हर IAS अफसर रोशन जैकब जैसा क्यों नहीं होता? गरीब बच्चे के इलाज के लिए अस्पताल में रोने लगीं लखनऊ कमिश्नर
लखीमपुर में हुए हादसे के घायलों को देखने अस्पताल पहुंचीं कमिश्नर रोशन जैकब अचानक भावुक हो गईं। अस्पताल में एक जख्मी बच्चे को कराहते देखकर कमिश्नर रो पड़ीं। कहा कि इस बच्चे को रेफर मत करिए।
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लखीमपुर में हुए हादसे के घायलों को देखने अस्पताल पहुंचीं कमिश्नर रोशन जैकब अचानक भावुक हो गईं। अस्पताल में एक जख्मी बच्चे को कराहते देखकर कमिश्नर रो पड़ीं। कहा कि इस बच्चे को रेफर मत करिए। इसका जो भी इलाज हो सरकारी खर्चे पर कराया जाए। कमिश्नर जैकब का यह रूप देख हर कोई भौंचक रह गया। कई लोग यह कहते सुने गए कि हर आईएएस अधिकारी जैकब की तरह क्यों नहीं होता। अगर जैकब की तरह अधिकारी संवेदनशील हो जाएं तो प्रदेश की स्थित बदलते देर नहीं लगेगी। इससे पहले भी जैकब संवेदनशीलता को लेकर चर्चा में रही हैं। पिछले दिनों लखनऊ में हुई भारी बारिश के बाद रात तीन बजे वह पैदल सड़कों पर निकल पड़ी थीं।
दरअसल लखीमपुर में ऐसा पुल पर बुधवार सुबह बस और ट्रक की टक्कर में दस लोगों की मौत हो गई और 35 लोग जख्मी हो गए थे। भीषण हादसे की सूचना पर लखनऊ की कमिश्नर रोशन जैकब लखीमपुर जिला अस्पताल का मुआयना करने पहुंच गईं। उन्होंने इस हादसे में जख्मी मरीजों के परिजनों से बात की। इसके बाद वह अफसरों के साथ विमर्श करने जा रही थीं।
इसी बीच एक युवक उनको अस्पताल में मिला, जिसने अपने मरीज का सही इलाज न होने की शिकायत की। कमिश्नर उसके साथ वार्ड तक पहुंची, जहां उन्हें मरीज के रूप में एक 10 साल का बच्चा बेड पर औंधे मुंह पड़ा दिखा।
पता चला कि दो दिन पहले सदर कोतवाली क्षेत्र के बाजपेई गांव में कच्ची दीवार ढह गई थी। इसमें तीन बच्चों की मौत हो गई थी। उसी परिवार का यह बच्चा जिंदगी और मौत से लड़ रहा था। कफील नाम का यह बच्चा इतना जख्मी है कि न तो पीठ के बल लेट सकता है और ना उठ कर बैठ सकता है। उसकी हालत देखकर कमिश्नर रो पड़ीं।
कमिश्नर को सामने खड़ा देख डॉक्टर आनन-फानन में बच्चे को लखनऊ रेफर किए जाने की बात करने लगे। इस पर कमिश्नर और भड़क गईं। डॉक्टरों को मानवता का पाठ पढ़ाते हुए बच्चे के इलाज में कोई लापरवाही न बरतने का आदेश दिया।
वहां मौजूद एडीएम से कमिश्नर ने कहा कि एक आदमी इसके साथ में भेजो। जांच करवाए, कहां इलाज होगा, वहां भर्ती कराया जाए।.कोई इसकी जिम्मेदारी ले। कहा कि परिवार के तीन बच्चे खत्म हो गए हैं। इनके पास पैसे नहीं हैं। रेडक्रॉस या कहीं से भी मदद कराओ।