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जितिन प्रसाद को पार्टी में शामिल करने के पीछे भाजपा का क्या है मकसद 

भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री वरिष्ठ कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद को पार्टी से जोड़ कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। इस कद्दावार ब्राम्हण नेता को जोड़ने का लाभ विधानसभा चुनाव-2022 में भाजपा लेना चाहेगी।...

जितिन प्रसाद को पार्टी में शामिल करने के पीछे भाजपा का क्या है मकसद 
लखनऊ। हिटीWed, 09 Jun 2021 09:10 PM
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भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री वरिष्ठ कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद को पार्टी से जोड़ कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। इस कद्दावार ब्राम्हण नेता को जोड़ने का लाभ विधानसभा चुनाव-2022 में भाजपा लेना चाहेगी। जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के साथ ही उन्हें अहम जिम्मेदारी अथवा सम्मान दिए जाने की बातें भी तेज हो चली हैं। वहीं कांग्रेस के लिए जितिन प्रसाद का जाना मिशन-2022 के लिए सदमे जैसा है। यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इनसे बड़ी उम्मीदें थीं। 

सीएम और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने किया स्वागत
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट के माध्यम से जितिन प्रसाद का भाजपा परिवार में स्वागत किया है। उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा के वृहद परिवार में शामिल होने पर जितिन प्रसाद का स्वागत है। उनके भाजपा में शामिल होने से उत्तर प्रदेश में पार्टी को मजबूती मिलेगी। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने भी जितिन प्रसाद का भाजपा में स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि उनके भाजपा में शामिल होने से भाजपा का कद बढ़ेगा। कांग्रेस के बड़े व कद्दावर नेता रहे जितिन प्रसाद के साथ बड़ी संख्या में उनसे जुड़े लोग भाजपा को और आगे ले जाने का काम करेंगे। 

2019 से ही कांग्रेस से दूर होने लगे थे जितिन
राहुल गांधी के करीबी माने वाले जितिन यूपी में कांग्रेस का बड़ा चेहरा थे। पिछले दो साल से यूपी में ब्राह्मण चेतना यात्रा के जरिए ब्राह्मण वोटों को जोड़ने में लगे थे। 2019 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद जितिन के भी पार्टी छोड़ने की अटकले तेज थीं, लेकिन उस समय कांग्रेस  नेतृत्व ने उन्हें मना लिया था। जितिन उस कांग्रेस के असंतुष्ट समूह (जी 23) का भी हिस्सा थे जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर नेतृत्व पर सवाल उठाए थे और पार्टी नेतृत्व में बदलाव की मांग की थी। 

मनमोहन सिंह सरकार में राज्यमंत्री रह चुके हैं जितिन
जितिन के राजनैतिक जीवन की शुरुआत 2001 से हुई और भारतीय युवा कांग्रेस के सचिव बनाए गए। वर्ष 2004 में शाहजहांपुर से पहली बार सांसद चुने गए और 2008 में उनको मनमोहन सिंह सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया। 2009 में वह धौरहरा सीट से चुनाव लड़कर संसद पहुंचे। 2009 से 2011 तक सड़क परिवहन और राजमार्ग, 2011-12 में पेट्रोलियम मंत्रालय, वर्ष 2012-14 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री भी रहे। जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के पुराने और धुरंधर नेता रहे हैं। जितेंद्र प्रसाद ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और फिर नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार की भी भूमिका निभाई है। जितिन पश्चिम बंगाल चुनाव के प्रभारी थे और वहां से पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली है।

 

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