ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेशOMG! वीवीआईपी नंबरों के लिए ऐसा क्रेज? 0001 के लिए 1 लाख से ज्‍यादा की बोली

OMG! वीवीआईपी नंबरों के लिए ऐसा क्रेज? 0001 के लिए 1 लाख से ज्‍यादा की बोली

गाड़ि‍यों पर वीवीआईपी नंबर के शौक के पीछे लोग कीमत की फिक्र नहीं कर रहे हैं। प्रयागराज में एक शख्‍स ने एक लाख रुपए चुकाकर 0001 नंबर हासिल किया है। इस वीवीआईपी नंबर का बेस प्राइस सबसे अधिक है।

OMG! वीवीआईपी नंबरों के लिए ऐसा क्रेज? 0001 के लिए 1 लाख से ज्‍यादा की बोली
Ajay Singhपार्थेश मिश्र,प्रयागराजWed, 27 Jul 2022 11:21 AM

इस खबर को सुनें

0:00
/
ऐप पर पढ़ें

VVIP Numbers: प्रयागराज में वीवीआईपी नंबरों की चाहत बढ़ रही है। शौकीनों की कमी नहीं। लोग अपनी गाड़ी पर मनपसंद नंबर लगाने के लिए एक लाख रुपये से अधिक कीमत दे रहे हैं। इसी साल 0001 वीवीआईपी नंबर एक लाख 500 रुपये में अलॉट किया गया है। इस वीवीआईपी नंबर का बेस प्राइस सबसे अधिक एक लाख रुपये है।

इस वर्ष 0001 वीवीआईपी नंबर को तीन वाहन स्वामियों ने खरीदा। नीलामी में दावेदार अधिक हुए तो शहर के एक बड़े उद्यमी की कंपनी के नाम पर बीएमडब्ल्यू के लिए यह नंबर एक लाख 500 रुपये में आवंटित किया गया। बाकी दो सीरीज के नंबरों के लिए बोली नहीं लगी इसलिए यह नंबर बेस प्राइज यानी एक-एक लाख रुपये में ही दो लोगों को आवंटित कर दिए गए।

आरटीओ दफ्तर ऐसे ही कई वीआईपी नंबर नीलामी में अधिक बोली लगाने वालों को आवंटित करता है। वीआईपी नंबरों की श्रेणी में 7070 का बेस प्राइस 15 हजार रुपये है। एक वाहन स्वामी ने इस साल नीलामी में 7070 नंबर 21 हजार रुपये में खरीदा। इसी प्रकार 15 हजार कीमत वाले 0707 नंबर की नीलामी 19 हजार रुपये में हुई।

वीआईपी नंबर भर रहे आरटीओ का खजाना
नीलामी के जरिए आवंटित होने वाले वाहन नंबर संभागीय परिवहन विभाग के लिए फायदे का सौदा बन गए हैं। पिछले ढाई साल में 566 वाहन स्वामियों ने बोली के जरिए नंबरों को लिया। इससे विभाग को 55 लाख 21 हजार 667 रुपये राजस्व प्राप्त हुआ। 2020 में 19.10 लाख, 2021 में 21.10 लाख तो 2022 में अब तक 15 लाख की कमाई हो चुकी है।

ऐसे होती है नंबरों की नीलामी
नंबरों की सीरीज शुरू होते ही सबसे पहले वीआईपी नंबरों की नीलामी होती है। इन नंबरों के खरीदने वाले अधिक नहीं होते तो एक सप्ताह बाद नीलामी की प्रक्रिया बंद कर दी जाती है। एक से अधिक दावेदार होनेना पर 15 दिनों में इस प्रक्रिया को पूर्ण कर लिया जाता है। उसके बाद सामान्य तौर पर नंबर दिए जाते है। कुछ वीआईपी नंबर बचे रह जाते हैं तो उनको बेस प्राइस पर आवंटित किया जा सकता है। नई सीरीज शुरू होने की सूचना दी जाती है। इसके अलावा किसी को खास नंबर की मांग होती है तो वो खुद विभाग में संपर्क कर लेता है।
 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें