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कानपुर :गोला बारूद के साथ तैयार था विकास दुबे, AK-47 से लेकर कट्टे तक से की गई पुलिस वालों पर फायरिंग

विकास दुबे और उसके गिरोह ने ऐसा कोई असलहा नहीं बचा जिससे पुलिस पर फायरिंग न की हो। कट्टों से लेकर अत्याधुनिक हथियारों का प्रयोग किया गया। फॉरेंसिक टीम प्रभारी और लखनऊ से आई फॉरेंसिक टीम ने अपनी जांच...

कानपुर :गोला बारूद के साथ तैयार था विकास दुबे, AK-47 से लेकर कट्टे तक से की गई पुलिस वालों पर फायरिंग
कानपुर। वरिष्ठ संवाददाता,कानपुर Sat, 04 Jul 2020 03:53 PM
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विकास दुबे और उसके गिरोह ने ऐसा कोई असलहा नहीं बचा जिससे पुलिस पर फायरिंग न की हो। कट्टों से लेकर अत्याधुनिक हथियारों का प्रयोग किया गया। फॉरेंसिक टीम प्रभारी और लखनऊ से आई फॉरेंसिक टीम ने अपनी जांच करने के बाद अधिकारियों को प्राथमिकी रिपोर्ट इन्हीं तथ्यों पर सौंपी है।

पुलिस के आने से पहले विकास दुबे का हथियार बंद गिरोह पूरी तरह से तैयार था। फॉरेंसिक टीम प्रभारी ने बताया कि घटनास्थल पर पुलिस पर ऐके 47, सेमी ऑटोमेटिक वैपन, 306, 315 बोर, 12 बोर, पिस्टल और कट्टे से फायरिंग की गई है। इसके अलावा वहां पर बारूद के भी रेसिड्यू भी मिले हैं। जिससे जाहिर है कि बम भी चलाए गए हैं।

पुलिस के असलहों से उन्हें बनाया शिकार
 पुलिस कर्मियों के असलहे लूटकर बदमाशों ने उससे उन्हीं पर फायर झोंके। इसके सबूत भी फॉरेंसिक टीम को मौके से मिले हैं। प्रभारी डा. पीके श्रीवास्तव ने बताया कि लखनऊ से आई टीम ने अपनी फाइडिंग में यही जानकारी दी है कि सेमी ऑटोमेटिक और एके-47 छोड़कर बाकी ज्यादातर असले कंट्री मेड थे।

लगभग 100 राउंड फायरिंग हुई
अपराधियों को पुलिस को देखते ही बर्स्ट फायर कर दिया था। फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से 45 खोखे अलग अलग बोर के बरामद किए हैं। जबकि उनका मानना है कि लगभग 100 राउंड फायरिंग की गई होगी। कई बुलेट्स की दीवारों में धंसी और गेट को चीर कर निकल गई हैं। उन सभी खोखे की तलाश पुलिस टीम द्वारा की जा रही है।

शातिरों के उंगली के निशान नहीं मिले
विकास दुबे के मामा प्रेम प्रकाश पाण्डेय और उसके चचेरे भाई अतुल दुबे को पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर किया। उनके पास से असलहा भी बरामद हुए। मगर उसपर शातिरों के उंगली के निशान नहीं मिले। फॉरेंसिक टीम के मुताबिक वहां पर एनकाउंटर के दौरान असलहे जमीन पर पड़ी गिली मिट्टी में गिर गए। जिससे उनका सरफेस रफ हो गया। जिसके कारण उस पर से उंगली के निशान मिट गए।

नक्सलियों की तरह दिया घटना को अंजाम
विकास दुबे और उसके गिरोह ने जिस तरह से पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतारा उसमें नक्सलवादियों जैसी छाप छोड़ी है। इस तरह पुलिस से मोर्चा लेकर उन्हें मौत के घाट उतार देने की सबसे ज्यादा घटनाएं नक्सलियों के खाते में ही है। इस घटना से एक सवाल यह भी पैदा होता है कि विकास दुबे के पीछे ऐसी कौन सी ताकतें काम कर रही है जो उसे पुलिस का भी खौफ नहीं रह गया है।

नक्सलवादी सीधे पुलिस से मोर्चा लेने और उनपर सीधे फायरिंग करके उन्हें मौत के घाट उतारने की सैकड़ों घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। मगर बिकरू गांव में हुई घटना भी किसी नक्सली घटना से कम नहीं आंकी जा सकती। इसके साथ ही कुख्यात विकास दुबे के खिलाफ अब तक 60 अपराधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। उसके बावजूद उसे इस तरह की घटना को अंजाम देते हुए कोई हिचक नहीं हुई। इससे यह सवाल तो लाजमी है कि उसके पीछे कौन सी ताकतें काम कर रही है।

वीडियो के वायरल किया गया था
सन 2019 में एसटीएफ ने विकास दुबे को पकड़ लिया था। मगर उसका वीडियो वायरल कर दिया गया था। उसके बाद एसटीएफ ने उसे जेल भेजा था। वह सात माह पहले ही जेल से छूटकर आया था और उसके बाद फिर से उसके कुछ सम्पत्तियों को लेकर दूसरों से विवाद शुरू हो गए थे।

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