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Video - समय से सूचना नहीं देने वाले अधिकारियों पर होगी कार्रवाई : मुख्य सूचना आयुक्त 

सूबे के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने सूचना नहीं देने वाले अधिकारियों को चेतावनी दी है। यदि समय से सूचना नहीं दी तो सूचना का अधिकार कानून के तहत उन पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही लगातार ढिलाई...

Video - समय से सूचना नहीं देने वाले अधिकारियों पर होगी कार्रवाई : मुख्य सूचना आयुक्त 
वरिष्ठ संवाददाता,लखनऊ Mon, 23 Oct 2017 07:58 PM
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सूबे के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने सूचना नहीं देने वाले अधिकारियों को चेतावनी दी है। यदि समय से सूचना नहीं दी तो सूचना का अधिकार कानून के तहत उन पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही लगातार ढिलाई करने वाले अफसरों की जानकारी मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी को सौंपी जाएगी ताकि उन पर कार्रवाई हो सके। 


सोमवार को कलेक्ट्रेट स्थित सभागार में जिले के 100 से अधिक जन सूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। आयुक्त अरविंद कुमार बिष्ठ, कमिश्नर अनिल गर्ग और डीएम कौशल राज शर्मा ने अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के बाद मुख्य सूचना आयुक्त ने कहा कि जनसूचना अधिकारी का पहला दायित्व सूचना देना है। उन्होंने कहा कि जन सूचना अधिकारियों की मंशा सूचना उपलब्घ कराने की होनी चाहिए इसमें किसी प्रकार की अड़चन नहीं डालनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में प्रशिक्षण का पहला चरण जनवरी 2016 से प्रारम्भ किया गया था जो पूरा हो गया है। पहले चरण में मेरठ, आगरा और लखनऊ मंडल में प्रशिक्षण दिया गया है। इस अधिनियम के तहत आम जनता को सशक्त बनाया गया है। आम जनता किसी भी सरकारी दफ्तर में जाकर सूचना हासिल कर सकती है। शासन और प्रशासन की कार्य प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना इस कानून का उद्देश्य है। बिना अच्छे ढंग से आरटीआई लागू कराए सुशासन संभव नहीं है। जावेद उस्मानी ने कहा कि प्रथम अपीलीय अधिकारी पर एक्ट में जुर्माने का प्रावधान नहीं है। बावजूद इसके लापरवाही बरतने और जिम्मेदारी से बचने वाले अपीलीय जन सूचना अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के लिए निर्देश दिए जा सकते हैं। यह संशोधन वर्ष 2015 में किया गया था। 

ढाई वर्ष में 90 हजार लोगों को दी गईं सूचनाएं
वर्ष 2012 और 13 में मात्र एक मुख्य सूचना आयुक्त और दो सूचना आयुक्त ही तैनात थे, जबकि पद 10 के हैं। ऐसे में इन दो वर्षों में लम्बित मामले बढ़ते गए। इस दौरान 60 हजार मामले आयुक्तों की कमी के कारण निस्तारित नहीं हो सके। पिछले ढाई साल में 90 हजार लोगों को सूचनाएं दी गईं। 

 

 

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