सचाई की जीत: मुझे बर्बाद करने वाला आयकर अफसर खुद बर्बाद हो गया
उसे मेरा फ्लैट पसंद आ गया था। मैने बेचने से इनकार कर दिया तो वसूली का दबाव बनाने लगा। उससे भी नहीं डरा तो फर्जी मामलों में फंसाकर मुझे बर्बाद कर डाला। आठ दस साल पहले मेरे यार्ड में 30-35 ट्रक खड़े...
उसे मेरा फ्लैट पसंद आ गया था। मैने बेचने से इनकार कर दिया तो वसूली का दबाव बनाने लगा। उससे भी नहीं डरा तो फर्जी मामलों में फंसाकर मुझे बर्बाद कर डाला। आठ दस साल पहले मेरे यार्ड में 30-35 ट्रक खड़े रहते थे। आज 15-20 हजार रुपए महीना कमाने के लिए संघर्ष कर रहा हूं। लेकिन सच कभी नहीं हारता और इस लड़ाई में आखिरकार मेरी जीत हुई। मुझे बर्बाद करने वाला आयकर अफसर आज खुद बर्बाद हो गया और उसकी इज्जत तार-तार हो गई। खुशी के ये अल्फाज थे जितेन्द्र कुमार साव के, जिन्हे सहायक आयकर आयुक्त राम भार्गव ने सारी सीमाएं तोड़ते हुए सड़क पर ला खड़ा किया। सोमवार को वित्त मंत्रालय ने इसी मामले में राम भार्गव को जबरन सेवानिवृत्त कर दिया। इस कार्यवाही से राम भार्गव की पेंशन सहित अन्य लाभ छीन लिए गए हैं। आपके 'अपने अखबार हिन्दुस्तान' ने सात साल पहले इस मामले को प्रमुखता से उठाया था।
फर्जीवाड़े की पराकाष्ठा, विभाग सोता रहा
कानपुर में तैनात राम भार्गव ने जितेन्द्र कुमार साव को बर्बाद करने के लिए ऐसे हर हथकंडे का इस्तेमाल किया, जो हैरत में डालते हैं। वर्ष 2012 में सहायक आयकर आयुक्त राम भार्गव ने धनकुट्टी निवासी वैजयन्ती गुप्ता के नाम से फर्जी पत्र बनाया। जिसमें लिखा कि उसने जितेन्द्र के स्टेट बैंक आफ हैदराबाद स्थित खाते में 5.5 लाख रुपए जमा कराए थे, जो मुझे वापस नहीं मिले। आयकर विभाग की जो देनदारी मुझपर निकल रही है, वो जितेन्द्र कुमार से वसूल कर समायोजित कर लें। इस फर्जी पत्र को आधार बनाकर राम भार्गव ने जितेन्द्र के सभी खातों के संचालन पर रोक लगा दी। आयकर कानून ताक पर रखकर सिविल लाइंस स्थित आनंद एश्वर्या फ्लैट का लोन बैंक से रद कर दिया। फ्लैट को मिलीभगत कर बेच दिया गया। आरटीओ को पत्र लिखकर उनके वाहनों का पंजीकरण निरस्त करने की संस्तुति कर डाली। इतना ही नहीं रायपुर स्थित उनके घर को भी 2.75 करोड़ की देनदारी निकाल कर अटैच कर लिया। बाद में दिल्ली स्थित आयकर मुख्यालय ने रायपुर के आयकर अधिकारियों को लिखा कि ये फर्जी मामला है और घर को फौरन उसके मालिक को सौंपे। हाईकोर्ट में साबित हो गया कि वैजयन्ती गुप्ता नाम की कोई महिला ही नहीं है। ये भी साबित हो गया कि जितेन्द्र कुमार के खाते में कभी किसी ने पांच लाख रुपए जमा नहीं किए। इसके बावजूद आयकर विभाग खामोश रहकर राम भार्गव के कारनामों को देखता रहा।
लुटने के बाद भी लड़ी लड़ाई
जितेन्द्र कुमार साव ने सबकुछ खत्म हो जाने के बाद भी संघर्ष जारी रखा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड से लेकर वित्त मंत्रालय तक सबूत के साथ अपना पक्ष रखा। उनकी मेहनत रंग लाई और सोमवार को इसी मामले पर राम भार्गव की नौकरी से छुट्टी कर दी गई। फंडामेंटल रूल्स 56 जे के तहत की गई कार्यवाही से राम भार्गव की पेंशन आदि खत्म हो गई। केवल तीन महीने का वेतन देकर उन्हें नौकरी से बाहर कर दिया। जबकि अभी नौ साल की नौकरी बाकी थी।
किसने क्या कहा
मैं फाइनेंस कंपनियों से वाहन खरीदकर बेचता था। मेरा व्यापार 15 राज्यों में फैला था, जिस पर राम भार्गव नाम के आयकर अधिकारी ने ग्रहण लगा दिया। मेरे खाते सीज कर दिए। मेरा फ्लैट सीज कर बिकवा दिया। आरटीओ से मेरे वाहनों को निरस्त करने की संस्तुति की। फर्जी शिकायत कराकर मेरे ऊपर 2.75 करोड़ की नई देनदारी निकाल दी। केवल इसलिए कि उसे मेरा फ्लैट पसंद आ गया था और मुझसे घूस मांग रहा था। नहीं दिया तो मुझे बर्बाद कर दिया। मेरा संघर्ष रंग लाया है और वो भी बर्बाद हो गया।
-जितेन्द्र कुमार साव, पीड़ित
अंधेरगर्दी का ये जीता जागता उदाहरण है कि किस तरह एक आयकर अधिकारी खुद को हिटलर समझ बैठा। हाईकोर्ट ने उसे जमकर लताड़ लगाई और पूरे केस को अवैध घोषित किया। हम वित्त मंत्रालय तक इस मामले को लेकर गए और सोमवार को उसे अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया गया। केवल तीन महीने का वेतन देकर सहायक आयकर आयुक्त को नौकरी से बाहर कर दिया गया। पेंशन सहित अन्य लाभ से भी वंचित कर दिया गया।
-कौशल किशोर शर्मा, स्थायी शासकीय अधिवक्ता
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