वाराणसी में रहस्यमयी बुखार का कहर, जोड़ों में दे रहा दर्द, दवाइयां नहीं कर रहीं असर
वाराणसी में मिस्ट्री फीवर से बड़ी संख्या में लोग परेशान हैं। डॉक्टरों के लिए भी यह चिंता का विषय है। थोड़ी सतर्कता, खान-पान में बदलाव, दवा सेवन में सावधानी से मिस्ट्री फीवर से बचा जा सकता है।

‘डॉक्टर साहब एक महीना पहले बुखार था, लेकिन घुटनों और जोड़ों का दर्द से आज भी परेशान हैं। आटा नहीं गूंथ पाते, उंगलियां नहीं मुड़तीं’- यह पीड़ा वाराणसी के छित्तूपुर (सिगरा) स्थित टेलीफोन कॉलोनी लगे स्वास्थ्य परीक्षण शिविर में कॉलोनी की शीला पांडेय ने व्यक्त की। यही समस्या शिविर में मौजूद ज्यादातर महिला-पुरुषों की थी। यह शिविर ‘हिन्दुस्तान’ की पहल पर लगा।
शिविर में मिले फीडबैक के अनुसार जोड़ों के दर्द से परेशान 10 फीसदी मरीजों पर ही दर्दनिवारक दवाएं काम कर रही हैं। उनको इंजेक्शन लगाना पड़ रहा है। कुछ महिलाओं ने नॉर्मल डिलीवरी से ज्यादा दर्द महसूस होने की शिकायत की।
वरिष्ठ फिजिशियन एवं आरोग्य भारती काशी प्रांत के अध्यक्ष डॉ. इंद्रनील बसु ने कहा कि यह मिस्ट्री फीवर का असर है। इस फीवर से बड़ी संख्या में लोग परेशान हैं। डॉक्टरों के लिए भी यह चिंता का विषय है। थोड़ी सतर्कता, खान-पान में बदलाव, दवा सेवन में सावधानी से मिस्ट्री फीवर से बचा जा सकता है।
टेलीफोन कॉलोनी में शायद ही कोई घर हो जहां बुखार पीड़ित न हों। यहां 75 फीसदी परिवारों में सभी सदस्य बीमार रहे हैं। इसके मद्देनजर लगे स्वास्थ्य शिविर में आरोग्य भारती से जुड़े एलोपैथ, होम्योपैथ व आयुर्वेद के वरिष्ठ चिकित्सकों ने परामर्श दिया।
प्लेटलेट्स कब चिंता की बात डॉक्टरों ने बताया कि 40 फीसदी मरीजों के प्लेटलेट्स में कमी की शिकायत आ रही है। लोग एक लाख के आसपास प्लेटलेट्स होने पर घबरा जा रहे हैं जबकि प्लेटलेट्स काउंट 30 हजार से नीचे आए तब चिंता की बात है। लिहाजा लोगों को अनावश्यक घबराना नहीं चाहिए।
होम्योपैथी चिकित्सक बोले
वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्साधिकारी डॉ. मनीष त्रिपाठी ने कहा कि बदन दर्द से पीड़ित मरीज ज्यादा आ रहे हैं। बुखार होने पर दो से तीन दिन तक कोई दर्द निवारक दवा न खाएं। भोजन में 40 फीसदी हरी सब्जी और फल शामिल करें। साबुत अनाज खाएं, उससे पोषक तत्व मिलेगा। पानी की मात्रा बढ़ा दें।
यह आ रही दिक्कत
कुछ बुखार पीड़ित स्वस्थ होने के 3-4 दिन बाद फिर हो रहे बीमार
सभी को हाथ-पैर में दर्द, 70-80 फीसदी मरीजों को सिर दर्द
पहले बुखार के 2-4 दिन बाद जोड़ दर्द होता था, अब पहले दिन से ही दर्द शुरू
कंघी नहीं कर पा रहे, चम्मच से खाना खाने में असमर्थता
बुखार में 20 फीसदी ही डेंगू मरीज, चिकनगुनिया के मरीज बहुत कम
पीलिया, हेपेटाइटिस, टॉयफॉयड के भी कई केस आ रहे हैं
खान-पान में बदलाव व दवाओं के सेवन में सावधानी की सलाह
क्या है प्रभाव
भूख बहुत कम, उल्टी ज्यादा, पीलिया की भी शिकायत
बुखार में अनाज छोड़ें
वैद्य ध्रुव कुमार ने कहा कि बुखार में लंघन अथवा उपवास का बहुत महत्व है। दो-तीन दिन तक अनाज की जगह पानी या किसी एक फल का रस, परवल-पालक आदि का रस पीने से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि मुंह का स्वाद कड़वा-फीका हो, ठंड या गर्मी लगे तो समझें कि बुखार है।
डेंगू और वायरल बुखाबर भी फेफड़े कर रहा संक्रमित
कोविड के बाद अब डेंगू और वायरल बुखार में भी लोगों के फेफड़े संक्रमित हो रहे हैं लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। खांसी लंबे समय तक पीछा नहीं छोड़ रही है। इन समस्याओं से घिरे मरीज बीएचयू के सरसुंदरलाल अस्पताल के चेस्ट विभाग के अलावा निजी अस्पतालों में भी आ रहे हैं।
जिले में इस समय वायरल बुखार, डेंगू और मलेरिया का प्रकोप फैला हुआ है। वायरल और डेंगू के मरीजों में करीब 20 फीसदी को निमोनिया की समस्या आ रही है। उनके फेफड़े में सूजन हो रहा है। कई मरीजों के फेफड़े में पानी जमा हो जा रहा है। आम तौर पर बुखार एक सप्ताह में उतर जा रहा है लेकिन फेफड़े में समस्या होने के कारण 15 से 20 दिनों तक खांसी बनी रहती है। ऐसे मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है।
डेंगू शॉक सिंड्रोम के बढ़े मरीज अस्पताल में इस समय डेंगू शॉक सिंड्रोम के मरीज भी आ रहे हैं। मरीज तेज कंपकंपी के साथ पसीने से तर हो जा रहे हैं। शरीर पर लाल चकत्ते अधिक गहरे हो जा रहे हैं। नब्ज सामान्य से कम गति से चल रही है। रोगी बेहोशी की हालत में अस्पताल पहुंच रहे हैं।
बीएचयू के चेस्ट विभाग के डॉक्टर दीपक शाह के अनुसार डेंगू और वायरल बुखार में फेफड़ा संक्रमण वाले मरीज आ रहे हैं। लोगों को सजग होने की जरूरत है। बुखार में मेडिकल स्टोर से दवा लेकर खाने से बचें।
