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इस बार उत्तर प्रदेश में महाराष्ट्र से दोगुना चीनी उत्पादन हुआ

लॉकडाउन की परेशानियों के बीच उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के लिए राहत भरी खबर है। मौजूदा पेराई सत्र के चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश ने महाराष्ट्र को बहुत पीछे छोड़ दिया है। यूपी के गन्ना एवं चीनी...

इस बार उत्तर प्रदेश में महाराष्ट्र से दोगुना चीनी उत्पादन हुआ
अरविंद भरद्वाज दीपक शर्मा, मेरठ मुजफ्फरनगर।Thu, 14 May 2020 12:20 PM
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लॉकडाउन की परेशानियों के बीच उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के लिए राहत भरी खबर है। मौजूदा पेराई सत्र के चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश ने महाराष्ट्र को बहुत पीछे छोड़ दिया है। यूपी के गन्ना एवं चीनी विकास मंत्री सुरेश राणा के अनुसार 12 मई तक प्रदेश में 121 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। 

यह देश के चीनी उत्पादन का लगभग 45 प्रतिशत से अधिक है। जबकि किसी समय चीनी उत्पादन में अग्रणी रहने वाले महाराट्र में अभी तक सिर्फ 60 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। महाराष्ट्र में पिछले साल 110 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था लेकिन इस बार बाढ़ और सूखे से वहां गन्ने की फसल चौपट हो गई।

यूपी में लॉकडाउन में भी गन्ना किसान व चीनी उद्योग अप्रभावित रहा। यूपी में कुल 48 लाख गन्ना किसानों का ध्यान रखते हुए प्रदेश सरकार ने यूपी के चीनी मिलों की पेराई नहीं रोकी। 12 मई तक प्रदेश की चीनी मिलें 107.15 लाख टन गन्ने की पेराई कर चुकी हैं। जबकि पिछले वर्ष चीनी मिलों ने इसी अवधि तक 101.18 लाख टन गन्ने की पेराई की थी। प्रदेश के गन्ना मंत्री के अनुसार इस इस बार चीनी मिल अब तक दो हजार करोड़ रुपए का गन्ना अधिक पेर चुकी हैं।

देश के चीनी उत्पादन में यूपी की हिससेदारी 45 फीसदी
यूपी के गन्ना मंत्री सुरेश राणा के मुताबिक अब तक यूपी में जहां 121 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है, वहीं महाराष्ट्र में महज 60 लाख टन ही चीनी का उत्पादन है। चीनी उत्पादक अन्य राज्यों कर्नाटक में 35 लाख टन, तमिलनाडु में 5.4 लाख टन, गुजरात में 9 लाख टन और देश के अन्य राज्यों में 32 लाख टन चीनी का उत्पान हुआ है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष देश में कुल चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 38 प्रतिशत थी लेकिन इस बार यह अब तक 45 प्रतिशत से अधिक है।

लॉकडाउन में चीनी मिलें चलाना बड़ी चुनौती रहा
गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री सुरेश राणा ने बताया कि लॉकडाउन में चीनी मिल को चलवाना बहुत बड़ी चुनौती रहा है। हरियाणा और राजस्थान से आने वाले सल्फर, सोडा के साथ पैकिंग के लिए जूट की बोरी उपलब्ध कराना भी चुनौती था। प्रदेश के 48 लाख गन्ना किसानों व डेढ़ लाख कर्मचारियों को सोशल डिस्टेंसिंग से काम कराना भी कम चुनौती नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कहा है कि जब तक आखिरी गन्ना रहेगा चीनी मिल पेराई करेंगी।  

बोलते आंकड़े

  • देश के चीनी उत्पादन में यूपी की हिस्सेदारी- 45 फीसदी
  • देश के चीनी उत्पादन में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी-32 फीसदी

अगेती प्रजाति ने सबको पछाड़ा, डेढ़ फीसदी से ज्यादा रिकवरी बढ़ी
प्रदेश में बढ़े चीनी उत्पादन का सबसे बड़ा कारण अगैती(अर्ली वैरायटी) प्रजति को माना जा रहा है। अभी तक प्रदेश में तकरीबन 60 फीसदी गन्ने की फसल ही अगेती प्रजाति की होती थी, 40 फीसदी फसल पछेती (लेट वैरायटी) की होती थी। महाराट्र में गन्ने का सारा कारोबार कोऑपरेटिव के आधिपत्य में है इसलिए वहां पहले से ही पछेती पर रोक थी। यही कारण है कि अभी तक महाराष्ट्र चीनी उत्पादन में अववल था। उत्तर प्रदेश में भी पिछले कुछ सत्रों से पछेती फसल घटी है, इस बार तकरीबन 90 फीसदी फसल अगेती थी। इसके चलते गन्ने से चीनी की रिकवरी भी बढ़ी। पिछले सत्रों में 9 से 10 के बीच रहने वाली रिकवरी इस बार साढे़ 11 फीसदी से भी ज्यादा रही। बिजनौर, सहारनपुर और मुजफ्फरनगर की कुछ मिलों में यह रेट 13 से 14 फीसदी भी रहा। महाराष्ट्र में रिकवरी रेट लगभग 12 फीसदी है।

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