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योगी मंत्रिमंडल का विस्तार टला, जानें इसके पीछे की असल वजह

सोमवार को होने वाला पहला योगी मंत्रिमंडल विस्तार देर रात अपरिहार्य कारणों से टाल दिया गया हालांकि अगली तारीख जल्द सामने आएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से लखनऊ के बजाय दिल्ली...

योगी मंत्रिमंडल का विस्तार टला, जानें इसके पीछे की असल वजह
हिन्दुस्तान टीम, लखनऊ।Mon, 19 Aug 2019 12:45 AM
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सोमवार को होने वाला पहला योगी मंत्रिमंडल विस्तार देर रात अपरिहार्य कारणों से टाल दिया गया हालांकि अगली तारीख जल्द सामने आएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से लखनऊ के बजाय दिल्ली चले गए हैं। मंत्रिमंडल विस्तार सुबह 11 बजे होना था।

राजभवन ने इसकी तैयारियां भी पूरी कर ली थीं लेकिन रविवार देर रात तक प्रदेश सरकार की ओर से भेजा जाने वाला पत्र राजभवन नहीं पहुंचा तो कुछ शंकाएं पैदा हुईं। प्रदेश सरकार के प्रवक्ता की ओर से भी संशय व्यक्त किया जाने लगा। अंतत: मंत्रिमंडल टाल दिया गया। सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल में करीब आधा दर्जन नए चेहरे शामिल होने थे। करीब एक दर्जन मंत्रियों पर इस विस्तार का प्रभाव पड़ता।

इन्हें मिल सकती है जगह
मंत्रिमंडल में जगह पाने वालों में मुख्य रूप से एमएलसी अशोक कटारिया, एमएलसी विद्या सागर सोनकर, सिद्धार्थनगर इटवा के विधायक सतीश द्विवेदी, देवरिया के श्रीराम चौहान व बुंदेलखंड से झांसी के रवि शर्मा के नाम प्रमुख रूप से चर्चा में हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आरएलडी से भाजपा में आए सहेंद्र सिंह 'रमाला' व साहिबाबाद से सुनील शर्मा को जगह मिल सकती है। वहीं फर्रुखाबाद से सुशील कुमार शाक्य व सुनील दत्त द्विवेदी में से किसी एक को लिया जा सकता है।

इनका बढ़ सकता है कद
इसके इतर राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. महेंद्र सिंह को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई जा सकती है। इसी के साथ विवादों में रहे कई मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किए जाने का भी फैसला किया गया है। कई मंत्री तबादले व विभागीय कार्यशैली को लेकर विवाद में रहे थे। उन्हें लेकर पार्टी व संगठन में नाराज़गी है। माना जा रहा है कि उन्हें हटाया जा सकता है।

अभी हैं 43 मंत्री हो सकते हैं 60
प्रदेश मंत्रिमंडल में अभी 43 मंत्री है। इसकी संख्या 60 तक हो सकती है। वैसे वर्ष 2017 में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद ही कई बार कयास लगाए जाते रहे कि विस्तार होगा। वजह थी कि पार्टी के कुछ पुराने वरिष्ठ नेताओं को चुनाव जीतने के बाद भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी थी। मंत्रिमंडल में 45 जिलों का प्रतिनिधित्व नहीं था। इसके बाद लोकसभा चुनाव 2019 होने के बाद से यह संभावना जताई जा रही थी। 

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