यूपी के व्यापारी ने तम्बाकू मुक्त आर्गेनिक बीड़ी से फैमिली बिजनेस को दिया नया आयाम, विदेशों में बड़ी मांग
उत्तर प्रदेश के एक व्यापारी ने तम्बाकू मुक्त आर्गेनिक बीड़ी का उत्पादन शुरू कर दशकों पुराने अपने पारिवारिक व्यवसाय को वैश्विक बाजार दे दिया है। विदेशों में उनकी बीड़ी की...

उत्तर प्रदेश के एक व्यापारी ने तम्बाकू मुक्त आर्गेनिक बीड़ी का उत्पादन शुरू कर दशकों पुराने अपने पारिवारिक व्यवसाय को वैश्विक बाजार दे दिया है। विदेशों में उनकी बीड़ी की काफी मांग हो रही है। इससे उनके व्यवसाय में उछाल आ गया है।
बिना किसी विज्ञापन के, सिर्फ वर्षों से अर्जित विश्वास और बंधे विदेशी ग्राहकों के बूते आदिल मसूद ने दो साल पहले अपने तरह की अकेली इस खास आर्गेनिक बीड़ी को 'फेवरेट लीफ' ब्रांड नाम से बाजार में उतारने का निर्णय लिया। विदेशों में धूम्रपान करने वालों के बीच यह बीड़ी खासी पसंद की जाने लगी। सिर्फ दो साल में उनकी आर्गेनिक बीड़ी, पोलैंड और स्विट्जरलैंड सहित अमरीका और यूरोप के कई देशों में हाथों-हाथ बिकने लगी और इसका कारोबार डेढ़ करोड़ रुपए सालाना तक पहुंच गया। आदिल कहते हैं कि उनके उत्पाद को विदेशी ग्राहकों से जबरदस्त रिस्पांस मिला है। अब वे अपने निर्यात को पूरे यूरोप और कुछ अन्य देशों में फैलाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। आदिल बताते हैं कि ये आर्गेनिक बीड़ी पूरी तरह तम्बाकू और निकोटिन मुक्त हैं। इसमें कुछ भी अलग से नहीं मिलाया है। कुछ में आयुर्वेदिक मिश्रण भरा जाता है जो शत प्रतिशत तम्बाकू मुक्त होता है। इसके कुछ औषधीय गुण भी हैं जो गले को साफ कर कफ से आराम पहुंचाते हैं।
आदिल मसूद का परिवार बीड़ी के कारोबार में दशकों से है। उनके पिता स्वर्गीय मसूद अली और चाचा इस्लाम अहमद ने इस व्यवसाय को शुरू किया था। आगे चलकर यह उनके परिवार का परम्परागत व्यवसाय बन गया। छह साल पहले अपने चाचा के इंतकाल के बाद आदिल ने व्यवसाय को सम्भाला। आदिल बताते हैं कि पिता और चाचा के बाद उन्होंने पारम्परिक ढंग से चल रहे व्यवसाय को नया आयाम देने के लिए कुछ रचनात्मक और नया करने की सोची और तभी आर्गेनिक बीड़ी का विचार सामने आया। मांग और आश्यकता पर तीन साल तक रिसर्च करने के बाद उन्होंने इसे विदेशी बाजारों में लांच किया I
भारत में पारम्परिक रूप से तेंदूू पत्ते को घुमा कर बीड़ी बनाई जाती है। आदिल बताते हैं कि वह बीड़ी के लिए कुछ अधिक कास्मेटिक लुुुक वाली, हरी, पतली और टिकाऊ पत्तियों की तलाश में थे ताकि परपरागत बीड़ी के मोटे और देहाती लुक में बदलाव लाया जा सके। दो साल की तलाश के बाद उन्हें अपनी चाहत के मुताबिक पत्तियां मिल गईं और उन्होंने इनका प्रयोग शुरू कर दिया। इन पत्तियों के लिए उन्होंने तमिलनाडु और दक्षिण के कुछ अन्य राज्यों में पौधे उगाए। इन पत्तियों से बनी बीड़ी ने अपने लुक की वजह से विदेशों में धूम्रपान के शौकीनों को खूब लुभाया।
उनकी रिसर्च टीम ने बीड़ी के सिंथेटिक फिल्टर को भी उत्तरी राज्यों में प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाली पत्तियों (उन्होंने इन पत्तियों का नाम सार्वजनिक न करने का आग्रह किया) से बदलने का निर्णय लिया। फिल्टर को लगाने के लिए गोंद की बजाए एक पतले धागे का इस्तेमाल किया जाता है। आदिल बताते हैं कि ये सारी पहल उत्पाद को अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए की गई। भारत में भी कुछ ऑनलाइन शॉपिंग कम्पनियां आर्गेनिक बीड़ी बेच रही हैं लेकिन आदिल का दावा है कि ये सारे उत्पाद दो साल पहले विदेशों में उनके ब्रांड की लांचिंग के बाद के हैं। डुप्लीकेसी से बचने के लिए अभी तक घरेलू बाजार में अपने उत्पाद की लांचिंग वह टालते रहे हैं। बीड़ी के व्यवसाय से जुड़े लोग या धूम्रपान करने वाले, उनके उत्पाद और नकली ब्रांड में आसानी से अंतर कर सकते हैं। नकली उत्पाद बनाने वाले अभी भी परम्परागत तेंदू पत्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं जिसे उन्होंने नए और अधिक विश्वसनीय पत्तियों से बदल दिया है। इस वजह से उनकी ओरिजनल बीड़ी की फिनिशिंग और नकली बीड़ी की फिनिशिंग में अंतर आसानी से नमूदार होता है। आदिल कहते हैं कि ग्राहकों की मांग और उन्हें सबसे बेहतर देने के उद्देश्य के साथ उनकी रिसर्च टीम उत्पाद में कुछ और बदलाव लाने पर लगातार काम कर रही है।
