UP : Teacher was treating Corona as a fake doctor patient died फर्जी डॉक्टर बनकर टीचर कर रहा था कोरोना का इलाज, मरीज की मौत के बाद हुआ खुलासा, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़UP : Teacher was treating Corona as a fake doctor patient died

फर्जी डॉक्टर बनकर टीचर कर रहा था कोरोना का इलाज, मरीज की मौत के बाद हुआ खुलासा

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में स्थित सफरदरगंज स्थित इंटर कालेज में तैनात सरकारी अध्यापक शिवेन्द्र पटेल (45) लखनऊ में फर्जी डॉक्टर बनकर कोरोना संक्रमित मरीजों को होम आइसोलेशन में करके इलाज कर रहा था।...

Shivendra Singh प्रमुख संवाददाता, लखनऊThu, 20 May 2021 07:51 AM
share Share
Follow Us on
फर्जी डॉक्टर बनकर टीचर कर रहा था कोरोना का इलाज, मरीज की मौत के बाद हुआ खुलासा

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में स्थित सफरदरगंज स्थित इंटर कालेज में तैनात सरकारी अध्यापक शिवेन्द्र पटेल (45) लखनऊ में फर्जी डॉक्टर बनकर कोरोना संक्रमित मरीजों को होम आइसोलेशन में करके इलाज कर रहा था। उसने दस्तावेजों में बाकायदा नव्या क्योर मेडिक्स नाम से एक मेडिकल सेन्टर बना रखा था जिसमें वह कई डॉक्टर होने का दावा करता था। उसके झांसे में फंसे एक मरीज की मौत हो गई।

इस मरीज की पत्नी से उसने सात दिन में दो लाख रुपये ऐंठ लिए थे। हालत बिगड़ने पर पत्नी अपने पति को डीआरडीओ अस्पताल ले गई जहां उसकी मौत हो गई। इसके बाद ही पीड़िता ने चिनहट पुलिस को सूचना दी तो अध्यापक की इस करतूत का खुलासा हुआ। पुलिस ने गैर इरादतन हत्या व धोखाधड़ी की धारा में एफआईआर दर्ज कर आरोपी अध्यापक को बुधवार रात को गिरफ्तार कर लिया। उसके अन्य साथियों के बारे में भी पता किया जा रहा है।

एडीसीपी पूर्वी कासिम आब्दी के मुताबिक आरोपी मूल रूप से उन्नाव के सफीपुर का रहने वाला है। यहां वह चिनहट के मटियारी इलाके में रहता था। चिनहट में रहने वाली खुशबू ने एडीसीपी को फोन कर शिवेन्द्र के फर्जीवाड़े के बारे में बताया था। खुशबू ने पुलिस को बताया कि उनके पति वीके वशिष्ठ कोरोना संक्रमित हो गये। इस बीच ही तीन मई को शिवेन्द्र पटेल ने उन्हें पता किया और पति का हाल-चाल लिया। पहले उसने खुद को स्वास्थ्य विभाग का बताया, फिर कहा कि उसका अपना मेडिकल सेन्टर है। डॉक्टरों की टीम है। आपके पति का घर पर ही इलाज हो जायेगा। उनकी टीम रोजाना आयेगी, पूरी निगरानी करेगी और तीन से चार दिन में कोरोना संक्रमण खत्म हो जायेगा। अगर तबियत बीच में खराब होती है तो उनका अस्पताल भी है जहां उनकी पत्नी डॉक्टर है। यह कहकर उसने पहले 50 हजार रुपये जमा कराये। फिर एक टीम उनके घर आयी और सामान्य दवा दी।

घर को ही आईसीयू बनाने को कहा
पीड़िता ने बताया कि शिवेन्द्र ने उनके घर को ही आईसीयू बनाने की बात कही और ऑक्सीजन गैस के भरे दो सिलेण्डर घर लाये और इसके बाद उनसे डेढ़ लाख रुपये और लिये गये। उनकी एक टीम आती थी जो बुखार लेती, ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन लेवल नापती, फिर चली जाती। खुशबू को दूसरे दिन घर आये लोगों का इलाज देखकर कुछ शक हुआ लेकिन वह विरोध नहीं कर सकी।

हालत बिगड़ती गई और मौत हो गई
इंस्पेक्टर चिनहट धनंजय पाण्डेय के मुताबिक इलाज सही न होने की वजह से तीन दिन में खुशबू के पति की हालत बिगड़ती चली गई। जब उनका ऑक्सीजन लेवल 80 से भी नीचे रहने लगा तो शिवेन्द्र ने कहा कि इन्हें किसी अस्पताल में भर्ती करा दीजिये। पीड़िता ने परिचितों के माध्यम से पति को डीआरडीओ अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन पहले से ही हालत काफी बिगड़ जाने की वजह से उन्हें बचाया नहीं जा सका।

न कोई डिग्री, न ही कोई उपकरण
डीसीपी संजीव सुमन ने बताया कि शिवेन्द्र का चयन माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग के जरिये हुआ था। वह सफदरगंज स्थित फतेहचन्द्र जगदीश राय इण्टर कालेज में जीव विज्ञान का सहायक अध्यापक है। शिवेन्द्र को जब पुलिस ने पकड़ा तो वह पहले पुलिस को उलझाता रहा। फिर उसने कुबूला कि ज्यादा कमाने के चक्कर में उसने ऐसा किया।

एक दर्जन से अधिक लोगों को ठगा
पुलिस का कहना है कि शिवेन्द्र अब तक एक दर्जन से अधिक लोगों से कोरोना इलाज के नाम पर वसूली कर चुका है। उसने बताया कि जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं थे लेकिन उनकी रिपोर्ट पाजीटिव आयी थी, उन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दवाईयां देता था। इसमें कई होम आइसोलेशन में अच्छे से रहने की वजह से सही हो गये, पर इसका श्रेय उसने खुद लेकर दो से तीन लाख रुपये की वसूली की। एडीसीपी कासिम ने बताया कि इस बारे में और पड़ताल की जा रही है। इसकी डायरी में कई लोगों के नम्बर मिले हैं। इसके झांसे में फंसे मरीजों का पता कर डॉक्टरों से उनकी कोरोना जांच फिर करायी जायेगी ताकि यह पता चल सके कि वे सब कोरोना निगेटिव हो गये हैं अथवा नहीं।

अगला लेखऐप पर पढ़ें