हिन्दुस्तान स्पेशल: वर्धा और अहमदाबाद में ट्रेनिंग के बाद लाल जी सिंह ने लिया 'गांधीजी' बनने का संकल्प, जानें क्यों
बापू के जीवन दर्शन को अपनाकर यूपी प्रयागराज के लाल जी सिंह बन गए 'गांधीजी'। 30 साल पहले वर्धा और अहमदाबाद में प्रशिक्षण के दौरान गांधी बनने का संकल्प लिया था। ग्राम्य सेवा में चलाते हैं बापू का चरखा।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को कल उनकी जयंती पर भावपूर्ण स्मरण किया जाएगा। आज के समय में गांधी के विचारों और सिद्धांतों को अपनाना असंभव नहीं तो कठिन जरूर है। लेकिन सैदाबाद के दुमदुमा गांव के रहने वाले लालजी सिंह ने गांधी के जीवन दर्शन को पूरी तरह से आत्मसात कर लिया है। उनकी सादगी, सत्यनिष्ठा, सेवा भावना को देखकर लोग उन्हें गांधीजी कहने लगे। लोगों ने उनके कार्य की सराहना की तो लालजी ने गांधी के सिद्धांतों को अपने कार्य व्यवहार में उतारने लगे।
लालजी सिंह ने बताया कि 30 साल पहले खादी ग्रामोद्योग की ओर से वर्धा और अहमदाबाद में प्रशिक्षण आयोजित किया गया था। प्रशिक्षण के दौरान गांधी जैसा बनने और समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा जागृत हुई। उसी समय से पहनावा बदल लिया। गांधी कुर्ता, धोती, पायजामा और टोपी को धारण किया। प्रतापपुर विकास खंड के ग्राम्य सेवाा संस्थान से जुड़कर गांधी का चरखा चलाने लगे। लालजी खुद गांधी के चरखा से सूत कातते हैं। सूत को मिर्जापुर और वाराणसी के खादी ग्रामोद्योग को देते हैं, वहां से खादी का कपड़ा लेकर पहनते हैं।
इन युवाओं और महिलाओं का ग्रुप बना प्रेरणा; अपने बनकर लावारिस शवों का करते अंतिम संस्कार
लालजी प्रयागराज, प्रतापगढ़, सोनभद्र और मिर्जापुर के ग्रामीण क्षेत्रों में शिविर लगाकर, गोष्ठी आयोजित करके व पदयात्रा के माध्यम से लोगों को स्वावलंबन, खादी को अपनाने, परंपरागत खेती करने, समाज के वंचित लोगों की सहायता करने, पर्यावरण संरक्षण, जल प्रबंधन के प्रति लोगों को जागरूक करते हैं। सत्य और अहिंसा की शपथ दिलाते हैं।
स्कूलों में कैंप लागाकर बच्चों को गांधीजी की प्रासंगिकता से अवगत कराते हैं। 62 वर्षीय लालजी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में उच्च शिक्षा प्राप्त की है। लालजी सिंह को उनके गांधीवादी जीवन दर्शन के लिए जल शक्ति मंत्रालय, राष्ट्रीय खाादी ग्रामोद्योग और कई सामाजिक संस्थाओं की ओर से सम्मानित किया गया है।
