प्रयागराज कचहरी में भी होता रहा है खून खराबा, इन वारदातों ने दहला दिया था कोर्ट
प्रयागराज कचहरी में भी पिछले सालों में कम खून खराबा नहीं हुआ। अतीक-अशरफ हत्याकांड के बाद से सुरक्षा इंतजाम खासा कड़े हैं लेकिन प्रयागराज कचहरी में भी सनसनीखेज वारदातों की लंबी फेहरिस्त है।

लखनऊ में कोर्ट रूम के अंदर कुख्यात संजीव जीवा को गोलियों से छलनी कर मौत के घाट उतारने का मामला चर्चा में है। इस सनसनीखेज वारदात से जिला अदालतों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। प्रयागराज कचहरी में भी पिछले सालों में कम खून खराबा नहीं हुआ। अतीक-अशरफ हत्याकांड के बाद से सुरक्षा इंतजाम खासा कड़े हैं लेकिन प्रयागराज कचहरी में भी सनसनीखेज वारदातों की लंबी फेहरिस्त है। अब लखनऊ कांड के बाद एक बार फिर आला अफसरों ने कचहरी का सुरक्षा घेरा और मजबूर करने पर मंथन शुरू किया है ताकि खाकी को चैलेंज कर वारदात करने वाले कोई साजिश न रच सकें।
लखनऊ कचहरी में माफिया मुख्तार अंसारी के करीबी गैंगस्टर संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा की सरेआम हत्या से राजधानी की कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे हैं। ऐसी ही साजिश प्रयागराज में भी अतीक-अशरफ की हत्या करने वाले तीनों शूटरों ने रची थी। पकड़े गए शूटरों ने पूछताछ में साफ किया था कि रेकी करते हुए वह अतीक-अशरफ की पेशी पर कचहरी तक गए थे, हालांकि प्रयागराज में उन दिनों कचहरी परिसर की सुरक्षा बेहद कड़ी थी।
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पूरी कचहरी पेशी से पहले ही छावनी में तब्दील हो जाती थी। यही वजह थी कि शूटरों ने अपना प्लान बदल दिया था। यदि सुरक्षा इंतजाम कड़े न होते तो प्रयागराज कचहरी में लखनऊ से पहले वारदात हो जाती। तब लखनऊ पुलिस के बजाय प्रयागराज पुलिस पर सवाल उठ रहे होते। यूं तो प्रयागराज जिला अदालत में सुरक्षा इंतजाम पहले से बेहतर हुए लेकिन अब लखनऊ कांड के बाद सुरक्षा और बढ़ाई गई है।
वो वारदातें जो दहला गईं
- अधिवक्ता नबी अहमद की कचहरी में गोली मारकर हत्या।
- कचहरी डाकघर लूटकांड, शूटआउट में तीन की मौत।
- माफिया अतीक अहमद पर बमों से हमला, हंगामा
- महिला थाने की थानेदार रहीं अनिता चौहान पर चापड़ से हमला
- दरोगा से मारपीट के बाद पुलिस और वकीलों में पथराव, बवाल
