
हिंदू विवाह में सप्तपदि के 7 वचन नहीं तो शादी वैध नहीं, रीति रिवाजों का पालन जरूरी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
संक्षेप: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए कहा कि वैध विवाह के लिए रीति रिवाजों का पालन जरूरी है। हिंदू विवाह तभी वैध है जब उसमें सप्तपदि के 7 वचन हो। कोर्ट ने विवाह में सप्तपदि जरूरी बताया।
यूपी में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि सभी रीति रिवाजों के साथ संपन्न हुए विवाह समारोह को ही कानून की नजर में वैध विवाह माना जा सकता है। यदि ऐसा नहीं है तो कानून की नजर में ऐसा विवाह वैध विवाह नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह में वैधता स्थापित करने के लिए सप्तपदी अनिवार्य तत्व है। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने वाराणसी की स्मृति सिंह उर्फ मौसमी सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने याची के खिलाफ दर्ज परिवाद और उस पर अधीनस्थ अदालत से जारी सम्मन आदेश रद्द कर दिया है।
याची के विरुद्ध उसके पति और ससुरालवालों ने बिना तलाक दिए दूसरा विवाह करने का आरोप लगाते हुए वाराणसी जिला अदालत में परिवाद दाखिल किया था। जिस पर अदालत ने याची को सम्मन जारी कर तलब किया था। इस परिवाद और सम्मन को याचिका में चुनौती दी गई थी। याची का कहना था कि उसका विवाह पांच जून 2017 को सत्यम सिंह के साथ हुआ था। लेकिन ये शादी नहीं चल पाई। विवादों के बाद केस दर्ज किया गया। वादी ने पति और ससुरालजनों के खिलाफ मारपीट और दहेज उत्पीड़न का केस किया था।

शिकायत में कहा गया था कि ससुराल वालों ने मारपीट कर उसे घर से निकाला है। केस के बाद पुलिस ने पति व ससुराल वालों के खिलाफ अदालत में चार्ज शीट दाखिल की। वहीं आरोपी पक्ष ने शिकायती पत्र देकर कहा कि याची ने पहले पति से तलाक लिए बिना दूसरी शादी की थी। इस शिकायत को सीओ सदर मिर्जापुर ने जांच के बाद झूठा बताया। याची के पति ने जिला न्यायालय वाराणसी में परिवाद दाखिल किया। हालांकि इस मामले में कोई सबूत नहीं मिल पाए। एक फोटो दी गई जिसमें लड़की का चेहरा साफ नहीं दिख रहा। वहीं शादी में सप्तपदी के भी सबूत नहीं दिए गए।





