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सीएम योगी के खिलाफ गोरखपुर सदर से चुनाव लड़ सकते हैं डॉक्टर कफील खान

गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में 2017 में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी के कारण कई बच्चों की मौत होने की घटना से सुर्खियों में आए बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफील खान गोरखपुर सदर सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ...

सीएम योगी के खिलाफ गोरखपुर सदर से चुनाव लड़ सकते हैं डॉक्टर कफील खान
भाषा, लखनऊTue, 25 Jan 2022 03:44 PM

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गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में 2017 में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी के कारण कई बच्चों की मौत होने की घटना से सुर्खियों में आए बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफील खान गोरखपुर सदर सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं। खान ने मंगलवार को पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि मैं गोरखपुर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ सकता हूं। कई दलों से मेरी बात चल रही है। अगर सब कुछ ठीक रहा और कोई पार्टी मुझे टिकट देती है तो मैं तैयार हूं।

इस सवाल पर कि कौन सी पार्टी उनके संपर्क में है, खान ने कहा कि वह अभी पार्टी का नाम नहीं बताएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें अगस्त 2017 में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई 80 बच्चों की मौत के मामले में बलि का बकरा बनाया गया। बता दें कि कफील खान गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुई उस त्रासद घटना के वक्त वहां तैनात थे। इस मामले में उन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए उन्हें गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था। 

डॉक्टर कफील खान ने कहा कि वह फेसबुक, ट्विटर इत्यादि सोशल मीडिया मंच पर सक्रिय हैं और इस वक्त वह मुंबई में हैं जहां से वह हैदराबाद और बेंगलुरु जाएंगे और वहां वह अपनी किताब द गोरखपुर हॉस्पिटल ट्रेजेडी- ए डॉक्टर्स मेमोरी ऑफर डेडली मेडिकल क्राइसिस का प्रमोशन करेंगे। यह किताब गोरखपुर मेडिकल कॉलेज त्रासदी पर ही आधारित है। उन्होंने दावा किया कि मुझे प्रताड़ित करने का सिलसिला अभी रुका नहीं है। पिछली 17 दिसंबर को मेरी किताब का विमोचन होने के बाद पुलिस 20 दिसंबर और फिर 28 दिसंबर तथा इस महीने भी मेरे घर पहुंची और दावा किया कि मैं गोरखपुर जिले के राजघाट थाने का हिस्ट्रीशीटर हूं और विधानसभा चुनाव की वजह से ऐसे लोगों का सत्यापन किया जा रहा है।

कफील खान ने दावा किया कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने के बाद उन्होंने व्यक्तिगत प्रयास कर ऑक्सीजन सिलेंडर एकत्र किए थे जिससे अनेक बच्चों की जान बची। उन्होंने कहा कि अगले दिन अखबारों में उन्हें एक नायक के तौर पर पेश किया था, मगर इसके बावजूद उन्हें निशाना बनाया गया जबकि बाकी आरोपियों को छोड़ दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझकर उनके परिवार को प्रताड़ित किया और भड़काऊ भाषण देने के आरोप में उन्हें लंबे वक्त तक जेल में रखा।

डॉक्टर ने कहा कि जनवरी 2020 में यह कहते हुए उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की तामील की गई कि उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण दिया था लेकिन  इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन पर लगाए गए आरोप खारिज कर दिए। उन्होंने कहा कि 9 नवंबर 2021 को उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया और उन्होंने इसके खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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