मुफ्त में दाखिले को गरीब बने कार-मकान वाले अभिभावक, दूसरे बच्चे का ऐसे करवाया आरटीई में एडमिशन
शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में बच्चों को फ्री प्रवेश दिलाने के लिए कार, मकान वाले माता-पिता भी खुद को गरीब दिखा रहे हैं। कई का पहला बच्चा इन स्कूलों में फीस देकर पढ़ रहा है।

शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में बच्चों को फ्री प्रवेश दिलाने के लिए कार, मकान वाले माता-पिता भी खुद को गरीब दिखा रहे हैं। लगातार ऐसे केस आ रहे हैं जिनमें अभिभावक का पहला बच्चा सामान्य सीट पर प्रवेश लेकर पढ़ाई कर रहा है, वहीं दूसरे बच्चे को फ्री सीट पर प्रवेश दिलाया गया है।
आरटीई के तहत दुर्बल और अलाभित समूह के बच्चों को निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर नि:शुल्क प्रवेश दिलाया जाता है। दुर्बल वर्ग के आवेदकों के लिए एक लाख रुपये सालाना की आय सीमा तय है। अलाभित समूह में एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग आते हैं। इनके लिए आय सीमा का निर्धारण नहीं है। जिले में पहले चरण में 1223 आवेदकों को सीट आवंटित हुई थी, जिसमें से 623 को प्रवेश मिल चुका है।
इनमें बहुत से छात्र ऐसे हैं जिनके अभिभावक एक लाख रुपये से कम सालाना आय वाले नहीं हैं। उसके बाद भी यह लोग आय प्रमाण पत्र बनवा कर सीट आवंटित कराने में सफल रहे हैं। स्कूल संचालकों ने फर्जी आय प्रमाण पत्र लगाकर प्रवेश लेने की शिकायत की है। कई ऐसे लोग स्कूल में प्रवेश कराने पहुंचे हैं जिनके पास कार है। साथ ही तीन मंजिल मकान भी बना हुआ है।
केस स्टडी 1
जीआरएम स्कूल में मौलानगर का एक छात्र वर्षों से सामान्य प्रवेश लेकर पढ़ रहा है। उसकी सालाना फीस लगभग 82 हजार रुपये हैं। उसकी छोटी बहन ने इस वर्ष आरटीई के तहत इसी स्कूल में प्रवेश लिया है। हैरानी यह है कि एक लाख रुपये सालाना आय वाला व्यक्ति 82 हजार सालाना की फीस कैसे दे रहा है।
केस स्टडी 2
मौला नगर के ही एक अन्य छात्र को भी इस बार प्रवेश मिला है। छात्र की बहन ने केजी में सामान्य सीट पर प्रवेश लिया था। इस समय वह कक्षा तीन की छात्रा है। अभिभावक ने भी अपनी आमदनी एक लाख रुपये से कम दिखाई है। स्कूल संचालक ने इनका भी रिकॉर्ड निकालकर मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत करने की बात कही है।
शिकायतों की जांच कर होगा निस्तारण
बीएसए विनय कुमार ने बताया कि पारदर्शी प्रक्रिया के तहत आरटीई के सभी प्रवेश हुए हैं। जो भी शिकायतें आई हैं, उनकी जांच कर निस्तारण कराया जाएगा। कोई भी गलत प्रवेश नहीं होगा। स्कूलों को कोई शिकायत है तो उन्हें विभाग से कहना चाहिए।