नियमों को ताक पर रख अफसरों ने आजम के जौहर ट्रस्ट को दिया था शोध संस्थान, खुल रहे एक से बढ़कर एक राज
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद आजम खान के जौहर ट्रस्ट को मौलाना मोहम्मद अली जौहर प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान लीज पर देने में अफसरों ने न सिर्फ नियमों को ताक पर रखा, बल्कि जल्दबाजी भी बरती।

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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद आजम खान के जौहर ट्रस्ट को मौलाना मोहम्मद अली जौहर प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान लीज पर देने में अफसरों ने न सिर्फ नियमों को ताक पर रखा, बल्कि जल्दबाजी भी बरती। अब जब लीज निरस्त कर इस पर कब्जा लेने की बारी आयी तो नियमों की अनदेखी के खुलासे हो रहे हैं। अब पत्रावलियों से जानकारी हुई है कि निर्माण कार्य पूरा होने पर कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस से अल्पसंख्यक विभाग ने भवन को टेकओवर किए बगैर सीधे आजम खान के ट्रस्ट को सौंप दिया था।
दरअसल, सपा सरकार के कद्दावर मंत्री आजम खान ने अपने ही अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का सरकारी शोध संस्थान अपने निजी ट्रस्ट में लीज पर ले लिया था। आरोप है कि इसके लिए कई बार नियमों को भी बदला गया। यहां तक कि शोध संस्थान के उद्देश्यों को भी सपा सरकार ने बदल दिया था। करीब 20 करोड़ रुपये की लागत से बने इस शोध संस्थान को आजम खान ने सौ रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से 99 साल की लीज पर ले लिया था। चर्चित जौहर शोध संस्थान को जल निगम की कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस ने बनवाया था। जल निगम भी उस वक्त आजम खान के अधिकार क्षेत्र में आता था। अल्पसंख्यक विभाग ने इसे ही वर्कआर्डर दिया था, जिसे आज तक हैंडओवर नहीं किया गया।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की एसआईटी जांच की संस्तुति की थी। एसआईटी ने जांच पूरी कर रिपोर्ट सरकार को दी तो जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में हुई योगी सरकार की कैबिनेट बैठक में जौहर ट्रस्ट से जौहर शोध संस्थान वापस लेने का प्रस्ताव पास किया गया। इसकी अब स्थानीय स्तर पर प्रक्रिया चल रही है।
कब्जा लेने में आरपीएस का पेंच
जौहर शोध संस्थान पर कब्जा लेने में रामपुर पब्लिक स्कूल का पेंच फंस गया है। दरअसल, राजस्व विभाग ने डीएम को अवगत कराया है कि वर्तमान में वहां स्कूल संचालित है, ऐसे में बच्चों के भविष्य को देखते हुए बेदखल करना शायद उचित न रहे। इस पर जिलाधिकारी ने शासन से मार्गदर्शन मांगा है।
जौहर ट्रस्ट को लीज डीड कराने वाले डिप्टी डायरेक्टर हो चुके निलंबित
आजम खान के ट्रस्ट पर यह दरियादिली सपा सरकार में उनके चहेते अफसर रहे राघवेंद्र प्रताप सिंह ने दिखाई थी। उन्होंने उप निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण रहते वक्त जौहर ट्रस्ट को लीज डीड करायी थी। इस पर एक ओर उन्होंने दूसरी ओर जौहर ट्रस्ट के पदाधिकारी एवं वर्तमान में सपा विधायक नसीर अहमद खां ने हस्ताक्षर किए थे। इस प्रकरण में दिसंबर माह में संयुक्त निदेशक आरपी सिंह को निलंबित किया गया था। मालूम हो कि जिस समय यह शोध संस्थान आजम खान के ट्रस्ट को दिया गया उस समय वह रामपुर में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात थे।
डीजीसी रेवेन्यू अजय तिवारी ने कहा कि नियमानुसार किसी भवन का वर्कआर्डर देने के बाद जब कार्य पूरा हो जाता है तो उसे कार्यदायी संस्था संबंधित विभाग को विभाग हैंडओवर करता है, लेकिन, जौहर शोध संस्थान के मामले में ऐसा नहीं हुआ। बिना वर्क आर्डर पूरा किए ही अल्पसंख्यक विभाग ने सीधे जौहर ट्रस्ट को पजेशन दे दिया, जोकि नियम विरुद्ध था। एसआईटी ने भी इस बिंदु को प्रमुखता से लिया है।