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यूपी MLC चुनाव: 11वां प्रत्याशी न देकर भाजपा ने तोड़फोड़ के खेल पर लगाया ब्रेक

उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 12 सीटों पर हो रहे चुनाव में राज्यसभा चुनाव की तरह विधायकों के तोड़फोड़ की किसी भी आशंका को भाजपा ने सिरे से खारिज सा कर दिया है। सदन में संख्या बल के लिहाज से भाजपा ने जो...

यूपी MLC चुनाव: 11वां प्रत्याशी न देकर भाजपा ने तोड़फोड़ के खेल पर लगाया ब्रेक
हेमंत श्रीवास्तव,लखनऊ Tue, 19 Jan 2021 02:10 PM
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उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 12 सीटों पर हो रहे चुनाव में राज्यसभा चुनाव की तरह विधायकों के तोड़फोड़ की किसी भी आशंका को भाजपा ने सिरे से खारिज सा कर दिया है। सदन में संख्या बल के लिहाज से भाजपा ने जो दस प्रत्याशी पहले घोषित किए थे नामांकन तक इसी संख्या पर कायम भी रही। 11वां प्रत्याशी ना देकर भाजपा ने इस चुनाव में मतदाता विधायकों के पाल बदल खेल को समाप्त कर दिया है।

12 एमएलसी के चुनाव के लिए मतदान में ना जाना पड़े इसके लिए नामांकन पत्रों की जांच तक इंतजार करना होगा। निर्दल प्रत्याशी महेश चंद्र शर्मा का नामांकन फार्म सही पाया जाता है और वह नामांकन पत्र वापस नहीं लेते हैं तो इस चुनाव में मतदान होना तय है।

अपनी मूल ताकत के मुताबिक ही भाजपा ने दिए प्रत्याशी
विधान परिषद चुनाव में वोटों का गणित यह है कि एमएलसी के लिए हर उम्मीदवार को प्रथम वरीयता के करीब 32 वोट चाहिए। प्रथम वरीयता से इतने मत मिल जाए तो जीत पक्की है। भाजपा के 310 विधायक हैं। वहीं सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के नौ विधायक है। भाजपा के पास अपने दस एमएलसी बनाने के लिए करीब पर्याप्त वोट हैं। इसके अलावा कांग्रेस के दो और बसपा के एक विधायक भी पहले से भाजपा के प्रभाव में नजर आ रहे हैं। रालोद के इकलौते विधायक को भी भाजपा अपने साथ लाने की कोशिश कर सकती है। तीन निर्दलीय और बसपा के 11 विधायकों को भी जोड़ लिया जाए तो भाजपा की कुल संख्या बल 337 हो जाएगी। 10 एमएलसी के लिए करीब 320 वोट दिलाने के बाद भी भाजपा के पास 17 वोट सरप्लस रहते हैं।

तो क्या सपा के दूसरे प्रत्याशी को वाकओवर मिला
यदि यह मान लिया जाए कि निर्दल प्रत्याशी के पीछे किसी बड़े दल का कोई हाथ नहीं है तो यह तय है कि सपा के दूसरे प्रत्याशी को वाकओवर मिल जाएगा। विधानसभा में सपा के 49 विधायक हैं। इस संख्या में बसपा से निलंबित सात विधायकों को जोड़ा जा रहा है। दोनों मिलाकर सपा की संख्या 56 पहुंच रही है। वहीं सपा से अलग होकर अपनी पार्टी चला रहे शिवपाल यादव और दो अन्य विधायकों को हटा दिया जाए तो सपा की कुल ताकत 53 विधायकों की रह जाएगी। ऐसे में एक प्रत्याशी को करीब 32 वोट दिलाने के बाद सपा के पास 21 सरप्लस वोट बचेंगे। जो कि दूसरे को जिताने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

मतदान हुआ तो राजभर और कांग्रेस के हाथ रहेगी चाबी
वहीं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के चार विधायक और कांग्रेस के पांच विधायक किस ओर जाएंगे यह तय नहीं है। मतदान होने की स्थिति में जीत की चाबी इन दोनों दलों के हाथ होगी। माना जा रहा है कि यदि मुकाबला भाजपा और सपा के बीच सीधा होता तो शायद ये दल सपा के साथ खड़े हो जाते।

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