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Hindi News उत्तर प्रदेशघर में उगाए कैंसर-अस्थमा ठीक करने और हड्डियों को जोड़ने वाले पौधे, इनका बागवानी शौक कर रहा बीमारियों का इलाज

घर में उगाए कैंसर-अस्थमा ठीक करने और हड्डियों को जोड़ने वाले पौधे, इनका बागवानी शौक कर रहा बीमारियों का इलाज

मेरठ की डॉ. मीनू गुप्ता के घर की बगिया बहुत से लोगों के लिए दवाघर जैसी है। मीनू ने अपने घर में 300 से अधिक पौधे लगा रखे हैं, जिसमें 80 से अधिक औषधीय पौधे हैं और बाकी आक्सीजन का स्तर बढ़ाने वाले हैं।

घर में उगाए कैंसर-अस्थमा ठीक करने और हड्डियों को जोड़ने वाले पौधे, इनका बागवानी शौक कर रहा बीमारियों का इलाज
Srishti Kunjपारुल,मेरठThu, 14 Sep 2023 12:51 PM
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बागवानी का शौक बहुत से लोगों में  होता है, लेकिन कुछ लोग ऐसी बागवानी व किचेन गार्डन तैयार करते हैं, जिनसे दूसरे को भी फायदा हो और तमाम बीमारियों में भी आराम मिले। मेरठ की डॉ. मीनू गुप्ता के घर की बगिया भी बहुत से लोगों के लिए दवाघर जैसी है। मीनू ने अपने घर में 300 से अधिक पौधे लगा रखे हैं, जिसमें 80 से अधिक औषधीय पौधे हैं और बाकी आक्सीजन का स्तर बढ़ाने वाले हैं। 

मीनू गुप्ता आरजी पीजी गर्ल्स कालेज मेरठ में बॉटनी विभाग की विभागाध्यक्ष रह चुकी हैं। रिटायर होने के बाद उन्होंने घर के किचेन गार्डन में फूल के साथ-साथ औषधीय पौधे भी लगाए। आज उनके घर में खिल रहे कमल व पौधे सुंदरता के साथ ही लोगों को बीमारियों से भी बचा रहे हैं। उनकी बगिया में 300 से अधिक पौधे हैं, जिसमें कैंसर, अस्थमा, हड्डियों को जोड़ने से लेकर कटे हुए जख्मों को सही कर देने वाले पौधे भी शामिल हैं।

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कालेज में बनाई नवग्रह वाटिका 
डॉ मीनू ने अपने प्रयास से आरजी कालेज में नवग्रह वाटिका और 100 से अधिक पौधे आदि का गार्डन तैयार कराया। साथ ही शिक्षिकाओं से लेकर छात्राओं तक को इस चेन से जोड़ा। आज इसकी संख्या 500 से अधिक हो चुकी है। वहीं बाहर यह संख्या हजार तक पहु़ंच गई है। उनके इस प्रयास को देखते हुए अन्य लोगों ने भी घरों में औषधीय पौधे लगाने शुरू कर दिए हैं। वह पूरे देश से पौधे मंगाती रहती हैं। कहीं भी पौधे की औषधीय गुणवत्ता पता चलती है तो वह उसे जरुर मंगा लेती हैं। अब उनका प्रयास है कि पार्कों में औषधीय पौधे लगें, ताकि सभी को लाभ मिल सके।

बुखार, जख्म और टूटी हड्डियों को जोड़ने में मदद करने वाले पौधे
डॉ. मीनू गुप्ता ने अपने घर में टेरेस गार्डन भी बना रखा है। घर के हर कोने में औषधीय पौधे हैं। इसमें बुखार को कंट्रोल करने वाला ज्वर पौधा है, जिसे केवल सूंघते रहने से बुखार कंट्रोल होता है। यह पौधा पहाड़ों पर मिलता है। इसके अलावा मस्सा झाड़ने वाला पौधा काकटु़ंडी, सिंदूर प्लांट, सुंगध के लिए स्वर्ण चंपा, बायो डीजल प्लांट, हड्डियों को जोड़ने में सहायक हठजोड़, जख्म ठीक करने के लिए विधारा की बेल भी है। 

इसके अलावा लक्ष्मी तरु, स्टीविया, कडु, सदाबहार, ब्राहमी, काला बांसा, गुडहल, लेमन ग्रास, हार श्रृंगार, इंसुलिन प्लांट, काली हल्दी, जिंगोबाईलोबा, अजवाइन पत्ता, अपराजिता, राखी बेल, पान, मरूआ, तुलसा, काकतुंडी, अकरकरा, रात रानी, करौंदा, बेल, आम, अमरूद, जामुन, कमरख, लीची, चीकू, पपीता, कामिनी, नीलमणि, बिगोनिया, मोगरा, स्वर्णचंपा, छुईमुई, बत्तखबेल, कल्प वृक्ष, रजनीगंधा, लहसुन बेल, अलामंडा, मेंडाविला, बोगेन बिलिया, केली, शमी, जट्रौफा, जैस्मीन, गुडमार बूटी, अस्थमा बेल, गुलदाउदी आदि हैं।

ऑक्सीजन प्लांट दे रहे सांसों को सुकून
इसके अलावा तीन प्रकार के रंग वाले कमल के फूल, सभ्गी रंग के गुड़हल, कई फूलों की सुंदर बेल शामिल है। इसके अलावा घर के आंगन से लेकर बाहर तक ऑक्सीजन प्लांट हैं। जिनसे शुद्ध वायु मिलती है।

ई बुक लिखी, कई पुरस्कार भी किए प्राप्त
डॉ. मीनू गुप्ता ने 2016 में इंटरनेशनल ई बुक मार्डन किचेन गार्डन भी लिखी। साथ ही 2020 में प्रकृति फाउंडेशन की ओर से इंडियन रिकार्ड बुक में मेडिसिन प्लांट एकत्र करने में नाम दर्ज कराया। इसी क्रम में बेस्ट बुक 2023 का खिताब जीता, जोकि मार्डन किचेन गार्डन के लिए मिला। इसके अलावा भारत पीपल रत्न अवार्ड भी मिला।

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