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नगीना लोकसभा सीट पर बदलता रहा ‘नगीना’, इस बार दलित-मुस्लिम गठजोड़ की सबसे बड़ी परीक्षा  

UP Lok Sabha elections: उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की नगीना लोकसभा सीट पर ‘नगीना बदलता रहा। इस बार दलित-मुस्लिम गठजोड़ की सबसे बड़ी परीक्षा होगी।

नगीना लोकसभा सीट पर बदलता रहा ‘नगीना’, इस बार दलित-मुस्लिम गठजोड़ की सबसे बड़ी परीक्षा  
Deep Pandeyयुवराज त्यागी,बिजनौरThu, 18 Apr 2024 08:46 AM
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बिजनौर जिले की नगीना सीट पर ‘नगीना’ बदलता रहा है। इस आरक्षित सीट का इतिहास पुराना नहीं है। 2009 में अस्तित्व में आई यह सीट दलित राजनीति के चलते सुर्खियों में आई। इस बार दलित-मुस्लिम गठजोड़ की सबसे बड़ी परीक्षा है। चुनाव प्रचार बंद हो गया है। अब देखना यह है कि किस दल की अंगूठी में नगीना जड़ता है।

नोएडा से सुंदर बनाएंगे नगीना उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दो राज्यों के बीच आने वाली इस सीट पर मुद्दे भी अलग-अलग हैं। नगीना को अलग जिला बनाने से लेकर उत्तराखंड में कुछ हिस्सों में मिलाने से लेकर कई मुद्दे चुनाव में उठे। पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे आजाद समाज पार्टी (आसपा) के प्रमुख चंद्रशेखर कहते हैं कि वह नगीना को नोएडा से भी सुंदर बनाएंगे।

दलित और मुस्लिम वोट को लेकर लड़ाई बसपा समन्वयक आकाश आनंद ने नगीना में अपनी पश्चिम की पारी का आगाज किया तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव ने भी इस सीट जनता को मथा। असल लड़ाई दलित और मुस्लिम वोटों को लेकर ही है। इस सीट पर दलित और मुस्लिम का अनुपात लगभग बराबर है। पिछली बार बसपा के हाथ में सीट थी। वह इसे खोना नहीं चाहती।

वर्तमान सांसद को बसपा ने दिया बुलंदशहर से टिकट वर्ष 2019 में बसपा ने वेस्ट यूपी में तीन सीटें जीती थीं। इनमें नगीना, सहारनपुर और अमरोहा शामिल थीं। इनमें से सिर्फ नगीना सांसद ही दोबारा टिकट पाने में सफल रहे हैं। सहारनपुर सांसद फजलुर्रहमान की जगह पार्टी ने माजिद अली को उतारा है। अमरोहा सांसद को दानिश को पार्टी से निलंबित कर दिया था। अब वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। नगीना के सांसद गिरीश चंद्र पिछली बार डेढ़ लाख मतों से चुनाव जीते थे। बसपा ने अब उनको बुलंदशहर से मैदान में उतारा है। नगीना के लोगों का मानना है कि स्थानीय सांसद न होने के कारण यहां की समस्याएं हल नहीं हो पातीं। यहां अभी तक तीन चुनाव हुए हैं और हर चुनाव में बाहर के प्रत्याशी ही जीते हैं। नगीना से बीटीसी कॉलेज और होम्योपैथिक कालेज शिफ्ट होने से लोगों में रोष है।

आजाद समाज पार्टी के आने से चुनाव दिलचस्प

चंद्रशेखर ने 15 मार्च 2020 को आसपा का गठन किया। बिहार विधानसभा चुनाव में ताल ठोकी। इसके बाद पार्टी को मजबूत करते रहे। 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव में सीएम योगी के सामने गोरखपुर से विधानसभा चुनाव लड़े। हार का सामना करना पड़ा।

वर्ष 2009 में बनी सीट

पहले नगीना बिजनौर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था। 2008 में बिजनौर से अलग निर्वाचन क्षेत्र बना। इससे पूर्व बिजनौर जिले की सात विधानसभा सीटें थी। सात में बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में अफजलगढ़,नगीना, नजीबाबाद, बिजनौर व चांदपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल थे। स्योहारा और धामपुर विधानसभा क्षेत्र अमरोहा लोकसभा क्षेत्र में आते थे।

तीनों आम चुनावों में तीन पार्टियां जीतीं

2019 के चुनाव से पहले अखिलेश यादव और मायावती के बीच सियासी गठजोड़ हुआ। नगीना सीट बहुजन समाज पार्टी के खाते में आ गई। बसपा ने भाजपा को मात देते हुए यह सीट अपने नाम की। बसपा के गिरीश चंद्र ने 5,68,378 वोट हासिल किए तो बीजेपी के यशवंत सिंह को 4,01,546 वोट मिले. गिरीश चंद्र ने 1,66,832 मतों के बड़े अंतर से चुनाव जीत लिया। 2014 के चुनाव में यहां से भाजपा के यशवंत सिंह ने सपा के यशवीर सिंह को हराकर 92 हजार 390 मतों से जीत हासिल की थी। 2009 में सपा के यशवीर सिंह को जीत मिली थी। इस बार बसपा ने अपने सांसद गिरीश चंद्र को बुलंदशहर शिफ्ट कर दिया है।