रेलवे यात्री परेशान! टिकट के इंतजार में बीत रहीं गर्मी की छुट्टियां, देहरादून, हरिद्वार समेत इन ट्रेनों में वेटिंग
इस समय ट्रेनों में सफर करना बेहद मुसीबत भरा काम है। गर्मी की छुट्टियों की वजह से सभी ट्रेनें फुल चल रही हैं। स्पेशल ट्रेनों में भी जगह नहीं है। सीट के मुकाबले 40 प्रतिशत टिकट वेटिंग के बुक हो रहे है।
इस समय ट्रेनों में सफर करना बेहद मुसीबत भरा काम है। गर्मी की छुट्टियों की वजह से सभी ट्रेनें फुल चल रही हैं। स्पेशल ट्रेनों में भी जगह नहीं है। सीटों के मुकाबले 40 प्रतिशत टिकट वेटिंग के बुक हो रहे हैं, टिकट महज पांच प्रतिशत ही कन्फर्म हो रहे हैं। वह भी तब जब कोई अपनी टिकट निरस्त कराता है। आरक्षित कोच में वेटिंग टिकटधारक चल रहे हैं। इससे रिजर्वेशन करा चुके यात्रियों को भी परेशानी हो रही है। सबसे बुरा हाल जनरल कोच का है। यात्री टॉयलेट से लेकर सामान रखने वाली बर्थ में लेटकर लोग सफर करने को मजबूर हैं।
इन दिनों सबसे ज्यादा वेटिंग जम्मूतवी, गुवाहाटी, हरिद्वार, देहरादून, हावड़ा रूट की ट्रेनों में है। वहीं मुम्बई के लिए भी ट्रेनों में सीट मिलना मुश्किल हो रहा है। वहीं बरेली जंक्शन से होकर गुजरने वालीं आठ समर स्पेशल ट्रेनों में भी सीटें खाली नहीं हैं। आईआरसीटीसी के ऑनलाइन रिकॉर्ड के मुताबिक लंबे रूट की ट्रेनों में इन दिनों 50 से 240 तक की वेटिंग चल रही है। अधिकांश ट्रेनों में 10 जुलाई से पहले जनरल कोटे से ट्रेनों में टिकट नहीं मिल रहा है। सफर करने के लिए यात्रियों को तत्काल कोटे का ही अब सहारा है। लोग मजबूरी में दोगुना किराया खर्च कर रहे हैं। लोग टैक्सी, बस से सफर करने को मजबूर हैं।
यूपी के इस शहर में अगस्त तक सात हजार बेरोजगारों को रोजगार, खुलने लगीं कंपनियां
स्लीपर कोच में वेंटिंग टिकट लेने को यात्री मजबूर
स्लीपर कोच में सीमा से ज्यादा वेटिंग टिकट बुक हो रहे हैं। इसका अंदाजा स्लीपर कोच में होने वाली भीड़ को देखकर लगाया जा सकता है। आम तौर पर लंबी दूरी की 12 स्लीपर कोच वाली ट्रेन में 72 सीट के मुताबिक 864 सीटें होती हैं। आम दिनों में ढाई-तीन सौ वेटिंग लिस्ट होती है। त्योहारों और मौजूदा समय में वेटिंग लिस्ट 350 तक पहुंच जाती है। जो कुल सीट क्षमता की करीब 40 फीसदी ज्यादा है।
वेटिंग टिकट निरस्त होने से रेलवे को हो रही कमा
दरअसल केवल चार से पांच प्रतिशत वेटिंग टिकट ही कंफर्म हो पाते हैं। इसके बाद 30 प्रतिशत के करीब लोग अपनी वेटिंग टिकट को कैंसिल कराते हैं। दरअसल यात्रियों के पास केवल दो विकल्प होते हैं या तो वह टिकट निरस्त कराए या वेटिंग टिकट पर भारी भीड़ के बीच सफर करें। रेलवे काउंटर से कराए वेटिंग टिकट से यात्रा कर सकते हैं। ऑनलाइन बुक वेटिंग टिकट खुद निरस्त हो जाता है।
2021 में वेटिंग बुकिंग की सीमा हुई थी तय
रेलवे बोर्ड ने मई 2021 में वेटिंग टिकट बुक करने की सीमा तय की थी। इसके तहत स्लीपर क्लास के लिए अधिकतम 200, थर्ड एसी के लिए 100 सेकेंड एसी के लिए 50 और फर्स्ट एसी के लिए 20 से अधिक वेटिंग टिकट नहीं बुक हो सकते हैं। स्पेशल ट्रेनों में 300 तक वेटिंग टिकट की सीमा है। रेलवे के टिकट काउंटरों से सीमा से दो गुना वेटिंग टिकट बुक हो रहे हैं। चार्ट बनने के पर ट्रेन छूटने के आधे घंटे पहले आरएसी और वेटिंग टिकट निरस्त कराने पर स्लीपर श्रेणी में 60 रुपये शुल्क लगता है। एसी का टिकट रद्द कराने पर 65 रुपये कटते हैं। इस शुल्क से ही रेलवे को भरपूर कमाई हो रही है।