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 यूपी : आवास विकास ने छह लाख तक बढ़ाईं फ्लैट की कीमतें 

आवास विकास परिषद ने अपनी दो योजनाओं के करीब 1400 फ्लैटों की कीमतें बढ़ा दी हैं। परिषद ने उन योजनाओं के फ्लैटों की कीमतें बढ़ाईं हैं जो बिक चुकी हैं, जबकि न बिक पानी वाली योजनाओं के फ्लैट की कीमतें 10...

 यूपी : आवास विकास ने छह लाख तक बढ़ाईं फ्लैट की कीमतें 
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊ। Mon, 10 Feb 2020 03:22 PM
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आवास विकास परिषद ने अपनी दो योजनाओं के करीब 1400 फ्लैटों की कीमतें बढ़ा दी हैं। परिषद ने उन योजनाओं के फ्लैटों की कीमतें बढ़ाईं हैं जो बिक चुकी हैं, जबकि न बिक पानी वाली योजनाओं के फ्लैट की कीमतें 10 प्रतिशत तक कम की गई हैं। आवास विकास परिषद की इस मनमानी से आवंटियों में काफी आक्रोश है। 

आवास विकास परिषद के फ्लैट बिक नहीं रहे हैं। लखनऊ सहित प्रदेश के विभिन्न शहरों में उसके हजारों फ्लैट बनकर खड़े हैं।   फ्लैटों के बिक न पाने की वजह से परिषद ने इनकी कीमतें कम कर दी हैं। सोमवार को आवास विकास परिषद की बोर्ड बैठक में इसकी मंजूरी भी मिल जाएगी। 

परिषद एक तरफ कीमतें कम कर रही है और दूसरी तरफ पूर्व में आवंटित सम्पत्तियों की कीमत बढ़ा रही है। आवास विकास ने अपने 1400 फ्लैटों की कीमतें बढ़ा दी हैं। इससे आवंटियों पर साढ़े छह से सात लाख रुपए तक का अतिरिक्त भार आ गया है। वृन्दावन योजना संख्या तीन में आवास विकास ने करीब 550 फ्लैट बेचे हैं। दो बेडरूम के फ्लैट की कीमत उस समय 38.76 लाख रुपए थी। अब आवास विकास ने इसे बढ़ाकर करीब 45 लाख रुपए कर दिया है। इस तरह इस योजना में करीब सवा छह लाख रुपए तक कीमतें बढ़ा दी गई हैं। इसके अलावा परिषद ने पार्किंग सहित तमाम अन्य शुल्क भी जोड़ दिए हैं जिससे आवंटियों को आवंटन पत्र से 10.50 लाख रुपए तक ज्यादा देने पड़ रहे हैं।

इसके अलावा करीब तीन लाख रुपए स्टाम्प शुल्क अलग से देना होगा। अरावली के अलावा वृन्दावन योजना के ही कैलाश एन्क्लवे के लगभग 850 फ्लैटों की कीमतें भी बढ़ा दी हैं। इनकी कीमतें सात लाख रुपए तक बढ़ाई गई हैं।  सम्पत्ति प्रबंधक केडी शर्मा कहते हैं कि डिवीजन वाले ही कीमत तय करते हैं। खर्च के हिसाब से वह कीमत बढ़ाते हैं।  

अब चार वर्ष देरी से दे रहे मकान

आवास विकास परिषद ने अपनी अरावली एन्क्लेव योजना वर्ष 2014 में शुरू किया था। जून 2014 में ही इसका आवंटन किया था। आवंटियों को वर्ष 2016 में ही आवास विकास ने इसका कब्जा देने का वादा किया था। उसने कब्जा देने में करीब चार साल विलम्ब किया है। अब 2020 में लोगों के फ्लैट की रजिस्ट्री के लिए पत्र भेजा जा रहा है। इस पत्र के साथ आवंटियों से ज्यादा रकम भी मांगी जा रही है। चार साल विलम्ब होने पर आवास विकास को जहां आवंटियों को राहत देनी थी, वहीं परिषद ने कीमतें बढ़ाकर उन पर अतिरिक्त भार लाद दिया है। तमाम आवंटियों ने कहा कि वह आवास विकास की इस नाइंसाफी के खिलाफ रेरा में शिकायत दर्ज कराएंगे।  

आवंटन के समय संभावित कीमत एलाटमेंट लेटर पर लिखी जाती है।  निर्माण लागत व जमीन की कीमतें बढ़ने की वजह से कीमतें बढ़ाई जाती हैं। अगर ज्यादा कीमतें बढ़ाई गई होंगी तो इसे दिखवाया जाएगा। वैसे पंजीकरण बुकलेट में कीमत बढ़ने की शर्त लिखी रहती है।
विशाल भारद्वाज, सचिव, उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद   

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