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यूपी सरकार का दावा : 13 लाख एमएसएमई इकाइयों को मिला 42700 करोड़ लोन, जानें इससे क्या हुआ फायदा

यूपी सरकार ने दावा किया है कि देश में सबसे अधिक मध्यम,लघु और सूक्ष्म उद्योग (एमएसएमई) राज्य में कार्यरत है जिन्हे 42 हजार करोड़ रुपये से अधिक के ऋण दिये गये हैं। एमएसएमई विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत...

यूपी सरकार का दावा : 13 लाख एमएसएमई इकाइयों को मिला 42700 करोड़ लोन, जानें इससे क्या हुआ फायदा
लखनऊ। एजेंसी।Sat, 27 Feb 2021 04:25 PM
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यूपी सरकार ने दावा किया है कि देश में सबसे अधिक मध्यम,लघु और सूक्ष्म उद्योग (एमएसएमई) राज्य में कार्यरत है जिन्हे 42 हजार करोड़ रुपये से अधिक के ऋण दिये गये हैं। एमएसएमई विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने शनिवार को बताया कि प्रदेश में देश के अधिकतम करीब 14 फीसदी एमएसएमई कार्यरत हैं और इस साल 13 लाख एमएसएमई ईकाईयों को 42 हजार 700 करोड़ के लोन दिए गए हैं। प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि एक साल में एमएसएमई सेक्टर को इतनी बड़ी मात्रा में लोन उपलब्ध कराया गया है। इससे निजी क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 65 लाख लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हुए हैं। उन्होंने बैंकों को चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक एमएसएमई के क्षेत्र में और अधिक प्रगति के निर्देश दिए। 

अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने हाल ही में एसएलबीसी की स्टीयरिंग उप समिति की समीक्षा की थी। उन्होंने सरकार की विभिन्न योजनाओं, पीएमईजीपी, ओडीओपी और एमवाईएसवाई आदि के तहत बैंकों के स्तर पर स्वीकृति और वितरण के लिए लंबित आवेदनों पर जल्द निस्तारण करने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने एमएसएमई साथी ऐप पर बैंकों से संबंधित मामलों के निस्तारण के लिए शीघ्र आवश्यक कार्यवाही करने के लिए भी निर्देशित किया। 

प्रदेश सरकार की ओर से पारंपरिक कारीगरों और दस्तकारों के लिए संचालित विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना को सफल बनाने के लिए बैंकों को सहयोग के निर्देश दिए। एसएलबीसी के संयोजक ब्रजेश कुमार सिंह ने दिसंबर 2020 को समाप्त तिमाही के दौरान प्रदेश की महत्वपूर्ण बैंकिंग गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कुल सक्रिय जनधन खातों के सापेक्ष पीएमएसबीवाई में 41.16 फीसदी खातों को कवर किया जा चुका गया है। प्रदेश सरकार की वन जीपी, वन बीसी कार्यक्रम की शुरूआत हो गई है, जिसके तहत प्रदेश में 58 हजार बीसी सखी की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई है। चालू वित्त वर्ष के समाप्त तिमाही तक वार्षिक ऋण योजना के तहत 1,45,850 करोड़ का ऋण वितरित किया जा चुका है। 

केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय के अवर सचिव अमिल अग्रवाल ने बैंकों और नाबार्ड से एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के उपयोग के लिए संभावित परियोजनाओं और उद्यमियों तक पहुंचने के लिए आवश्यक कदम उठाने का सुझाव दिया। इसके अलावा उन्होंने सुझाव दिया कि एसएलबीसी की बैठकों में समय-समय पर एनबीएफसी को भी शामिल किया जाना चाहिए, ताकि उनके सुझाव और प्रगति भी प्राप्त की जा सके। नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डीएस चौहान ने प्रदेश में डेयरी और पोल्ट्री को बढ़ावा देने के जरूरत बताई।

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