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जेल से रिहाई के बाद डॉ. कफील खान बोले- यूपी सरकार मुझे किसी अन्य मामले में फंसा सकती है

मथुरा जेल से रिहा होने के बाद डॉ. कफील खान ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार राज धर्म निभाने की बजाय बाल हठ कर रही है और वह उन्हें किसी अन्य मामले में फंसा सकती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय...

जेल से रिहाई के बाद डॉ. कफील खान बोले- यूपी सरकार मुझे किसी अन्य मामले में फंसा सकती है
एजेंसी,लखनऊ मथुराWed, 02 Sep 2020 01:34 PM
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मथुरा जेल से रिहा होने के बाद डॉ. कफील खान ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार राज धर्म निभाने की बजाय बाल हठ कर रही है और वह उन्हें किसी अन्य मामले में फंसा सकती है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत खान की गिरफ्तारी को मंगलवार को अवैध बताया और उनकी तत्काल रिहाई के आदेश दिए। अदालत के आदेश के बाद, खान को मंगलवार देर रात मधुरा की जेल से रिहा किया गया।

डॉ. कफील खान के वकील इरफान गाजी ने बताया कि मथुरा जेल प्रशासन ने रात करीब 11 बजे मुझे सूचित किया कि डॉ. कफील को मध्यरात्रि के आस-पास उनको रिहा किया गया। जेल से रिहा होने के बाद कफील खान ने अदालत का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि मैं अपने उन सभी शुभचिंतकों का हमेशा शुक्रगुजार रहूंगा जिन्होंने मेरी रिहाई के लिए आवाज बुलंद की। प्रशासन रिहाई के लिए तैयार नहीं था लेकिन लोगों की दुआओं की वजह से मुझे रिहा किया गया।

उन्होंने कहा कि रामायण में, महर्षि वाल्मीकि ने कहा था कि राजा को राज धर्म के लिए काम करना चाहिए। उत्तर प्रदेश में 'राजा' राज धर्म नहीं निभा रहा बल्कि बाल हठ कर रहा है। खान ने कहा कि उन्हें अंदेशा है कि सरकार उन्हें किसी दूसरे मामले में फंसा सकती है। उन्होंने दावा किया कि उन्हें और उनके परिवार को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि राज्य सरकार बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन वाले मामले के कारण उनके पीछे पड़ी हुई है। उनहोंने कहा कि अब वह बिहार और असम में बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद करना चाहते हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की पीठ ने खान की मां नुजहत परवीन की याचिका पर उनकी रिहाई का आदेश दिया। याचिका के अनुसार खान को सक्षम अदालत ने फरवरी में जमानत दी थी और उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना था। उन्हें चार दिन तक रिहा नहीं किया गया और बाद में उनके खिलाफ रासुका लगाया गया। याचिका में दलील दी गई कि इसलिए उनको हिरासत में रखना अवैध था। कफील संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ पिछले साल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में जनवरी से जेल में बंद थे।

गौरतलब है कि अगस्त 2017 में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी से बड़ी संख्या में मरीज बच्चों की मौत के मामले के बाद कफील चर्चा में आये थे। वह आपात ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर बच्चों की जान बचाने वाले नायक के तौर पर सामने आए। बाद में उनपर और अस्पताल के नौ अन्य डॉक्टरों तथा स्टाफ सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की गई। अब ये सभी जमानत पर रिहा हैं।

राज्य सरकार की जांच ने खान को सभी बड़े आरोपों से मुक्त किया था जिसके बाद उन्होंने योगी आदित्यनाथ सरकार से माफी मांगने को कहा। डॉक्टर ने आरोप लगाया कि संस्थागत विफलता के कारण बच्चों की मौत हुई। बाद में उन्हें धमकियां मिलने लगीं, उनके खिलाफ मामले दर्ज होने के अलावा उनके परिवार पर भी हमला किया गया जिसे कफील ने राज्य सरकार की तरफ से राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया।

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