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UP कैबिनेट के बड़े फैसले: प्रदेश में उद्योग के लिए आसानी से मिलेगी जमीन

राज्य सरकार ने यूपी में उद्योग लगाने के लिए खेती की जमीन लेने की प्रक्रिया का सरलीकरण करने के साथ कुछ शर्तें भी जोड़ दी है। इसके साथ ही बेटों के साथ अविवाहित बेटियां भी पैतृक संपत्तियों में बराबर की...

UP कैबिनेट के बड़े फैसले: प्रदेश में उद्योग के लिए आसानी से मिलेगी जमीन
राज्य मुख्यालय | प्रमुख संवाददाताWed, 13 Feb 2019 09:58 AM
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राज्य सरकार ने यूपी में उद्योग लगाने के लिए खेती की जमीन लेने की प्रक्रिया का सरलीकरण करने के साथ कुछ शर्तें भी जोड़ दी है। इसके साथ ही बेटों के साथ अविवाहित बेटियां भी पैतृक संपत्तियों में बराबर की हकदार होंगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता संशोधन विधेयक 2019 के मसौदे को मंजूरी दे दी गई है। इसमें कुल 12 संशोधन किए गए हैं। अब इसे विधानमंडल में मंजूरी के लिए रखा जाएगा।

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता संशोधन विधेयक मसौदे को रखा गया। इसमें उद्योग लगाने के लिए खेती की जमीन साढ़े 12 एकड़ से अधिक देने के लिए नियमों का सरलीकरण करने की व्यवस्था की गई है, वहीं कुछ शर्तें भी जोड़ी गई हैं। उद्योग लगाने के लिए खेती की जमीन पांच साल के लिए दी जाएगी। इसके बाद उचित कारण बताने पर एक-एक साल के लिए तीन बार इसे बढ़ाया जाएगा। इसके बाद भी उद्योग न लगाने पर इसे सरकार वापस ले लेगी। इसके साथ ही मंडलायुक्त के साथ डीएम और शासन स्तर तक इसके लिए अनुमति लेने की अनिवार्य होगा।

किसान रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के आधार पर एक साल से लेकर 15 साल तक कांट्रैक्ट फार्मिंग के लिए अपनी जमीन दे सकेगा। पहले तीन साल के ऊपर कांट्रैक्ट पर एग्रीमेंट की अनिवार्यता की गई थी, अब एक साल के लिए लेने पर भी यह अनिवार्य होगा। आरक्षित जमीन मसलन खेल का मैदान, चारागाह, खलिहान, सिंचाई नहर, चकरोड या सार्वजनिक उपयोग की जमीन अब दूसरे गांवों में आरक्षित करने पर दूसरे उपयोग में लाने की अनुमति दी जाएगी। अभी उसी गांव में आरक्षित करने की व्यवस्था है। गांवों में जमीन खासकर मेड़ संबंधी विवाद खत्म करने के लिए पैमाइस संबंधी विवाद के समाधान के लिए धारा 24 का सरलीकरण किया जा रहा है।

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केंद्र के नियमों से होगी उपभोक्ता आयोग व फोरम में नियुक्ति

 प्रदेश कैबिनेट ने राज्य उपभोक्ता आयोग एवं जिलों में गठित उपभोक्ता फोरम में अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में केंद्र सरकार के बनाए मॉडल रूल्स को अपनाने का फैसला किया है। केंद्र सरकार ने ये मॉडल रूल्स सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में तैयार किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य बनाम आल यूपी कंज्यूमर प्रोटेक्शन बार एसोसिएशन से संबंधित याचिका पर सुनाया था। प्रदेश सरकार अब इन मॉडल रूल्स अपनाकर उत्तर प्रदेश उपभोक्ता संरक्षण (14वां संशोधन) नियमावली 2019 के लिए अधिसूचना जारी करेगी।

हाईकोर्ट के जज बनेंगे राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष: प्रदेश में इस समय एक राज्य उपभोक्ता आयोग है, जबकि विभिन्न जिलों में 79 जिला फोरम गठित हैं। मॉडल रूल्स अपनाए जाने के बाद राष्ट्रीय आयोग, राज्य आयोग एवं जिला फोरम में अध्यक्ष एवं सदस्य की नियुक्ति के ढंग, चयन की प्रक्रिया, वेतन-मानदेय, अवकाश, चिकित्सा सुविधा और अध्यक्ष व सदस्यों को हटाने की प्रक्रिया आदि के संबंध में एकरूपता हो जाएगी। 

वर्तमान में लागू नियमों के अनुसार राज्य आयोग के सदस्य एवं जिला फोरम के अध्यक्ष व सदस्यों का चयन राज्य आयोग की अध्यक्षता में गठित चयन समिति द्वारा किया जाता है। राज्य उपभोक्ता आयोग एवं जिला फोरम के सदस्य को प्रति माह क्रमश: 20910 रुपये एवं 13950 रुपये का समेकित मानदेय दिया जाता है। मॉडल रूल्स के अनुसार राज्य उपभोक्ता आयोग का अध्यक्ष हाईकोर्ट का पदस्थ न्यायाधीश होगा, जिसे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सलाह से राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। 

राज्य उपभोक्ता आयोग के सदस्यों एवं जिला फोरम के सदस्यों का चयन न्यायिक पृष्ठभूमि के अभ्यर्थियों द्वारा पारित निर्णयों-आदेशों के आधार पर सरकारी सेवकों की 10 वर्ष की वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि के आधार पर किया जाएगा। अन्य अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा तथा शार्टलिस्ट किए गए अभ्यर्थियों का साक्षात्कार आयोजित किए जाने का प्राविधान किया गया है। राज्य आयोग के अध्यक्ष को हाईकोर्ट  के न्यायाधीश के समान वेतन एवं सुविधाएं तथा सदस्यों को राज्य सरकार के विशेष सचिव के समान वेतन दिया जाएगा।

सौ बीज विधायन संयंत्र और बीज गोदाम बनेंगे

प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में एक सौ बीज विधायन संयंत्र एवं बीज गोदामों के निर्माण को कैबिनेट ने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। निर्माण के बाद इसके संचालन की जिम्मेदारी कृषि उत्पादक संगठनों को सौंप दी जाएगी। सम्बन्धित प्रस्ताव के तहत प्रत्येक संयंत्र व गोदामों के निर्माण के लिए 60 लाख रुपये के वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है। इसमें चयनित कृषक उत्पादक संगठनों द्वारा ही बीज विधायन संयंत्र की स्थापना एवं गोदान का निर्माण व प्रबन्धन किया जाएगा। 

कृषि विभाग व बीज विकास निगम की ओर से इन संयंत्रों को उन्नतशील प्रजातियों के आधार पर बीज उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके बाद बीज विधायन इकाइयां उन्नतशील प्रजातियों के प्रमाणित बीजों का उत्पादन, विधायन तथा पैकिंग कर कृषकों के बीच उचित मूल्य पर बेचा जाएगा। यह कार्य केन्द्र सरकार से पोषित सब मिशन ऑन सीड एण्ड प्लांटिंग मटेरियल के घटक क्रियेशन ऑल सीड इन्फ्रास्ट्रक्चर फैसीलिटीज के तहत ग्राम पंचायत स्तर प्रमाणित बीजों के उत्पादन एवं बिक्री योजना में किया जाएगा। प्रदेश में इस योजना को ‘दृष्टि-डी सेन्ट्रलाइज्ड रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर एण्ड सीड टेक्नॉलॉजी इनिशिएटिव के नाम यह संचालित किया जाएगा।  

कृषक उत्पादक संगठनों के चयन एवं उसके कार्यों की निगरानी के लिए जिले स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में गठित ‘आत्मा’ गवर्निंग बोर्ड के द्वारा किया जाएगा। राज्य स्तर पर कृषि निदेशक की अध्यक्षता वाली स्क्रीनिंग कमेटी इस पर नजर रखेगी। शासन स्तर पर कृषि विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति द्वारा निगरानी की जाएगी। 

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लोहिया संस्थान की बढ़ी लागत को मंजूरी

प्रदेश सरकार ने डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के एकेडमिक ब्लाक के निर्माण की परियोजना की बढ़ी हुई लागत को मंजूरी दे दी है। बढ़ी हुई लागत 382.52 करोड़ रुपये की है। इसके अलावा जीएसटी की धनराशि अलग से मंजूर की गई है। कैबिनेट ने मंगलवार को लोहिया संस्थान की बढ़ी हुई लागत पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगा दी है। कैबिनेट की मंजूरी से पहले व्यय वित्त समिति इस प्रोजेक्ट का मूल्यांकन कर चुकी थी। 

सुंदर बनेगा आयुर्वेदिक अस्पताल: कैबिनेट ने लखनऊ के राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज से संबद्ध अस्पताल के भवन निर्माण में लोक निर्माण विभाग द्वारा तय उच्च विशिष्टियों के प्रयोग को मंजूरी दे दी है। इससे आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज से संबद्ध अस्पताल सुंदर बन सकेगा। 

15722 करोड़ की पेयजल योजना मंजूर

प्रदेश के बुंदेलखंड, विंध्य क्षेत्र के साथ ही आर्सेनिक, फ्लोराइड तथा जेई और एईएस प्रभावित ग्रामीण आबादी को शुद्ध पीने का पानी मुहैया कराने के लिए पाइप पेयजल योजनाओं का क्रियान्वयन होगा। इस योजना पर 15722.89 करोड़ रुपये खर्च होने का प्रारंभिक आकलन है। मंगलवार को कैबिनेट ने इस योजना के क्रियान्वयन को हरी झंडी दी। 

बुंदेलखंड तथा विंध्य क्षेत्र के नौ जिलों के गुणता प्रभावित गांवों में पीने के पानी की विभिन्न परियोजनाओं के डीपीआर के लिए कंसल्टेंट का चयन किया गया है। झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, चित्रकूट, बांदा, महोबा, सोनभद्र तथा मिर्जापुर के आगणन तैयार किए जा चुके हैं। इन जिलों के आगणनों की कुल लागत 736.89 करोड़ रुपये है। जनपदों के बचे हुए कलस्टरों की प्रोजेक्ट फिजिबिलिटी रिपोर्ट (पीएफआर) भी तैयार की गई है। इनकी कुल लागत 14986 करोड़ रुपये है। इन दोनों को जोड़ने के बाद बुंदेलखंड की सात और विंध्य क्षेत्र के दो जनपदों के ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप पेयजल योजनाएं शुरू करने के लिए 15722.89 करोड़ रुपये चाहिए। इस योजना में बुंदेलखंड और विंध्य के साथ ही आर्सेनिक, फ्लोराइड तथा जेई और एईएस प्रभावित ग्रामीण आबादी पाइप पेयजल योजना के माध्यम से पीने के शुद्ध पानी दी जानी है। जनपदों से तैयार डीपीआर में मूल्यांकित धनराशि को मुख्यमंत्री के अनुमोदन से संशोधित भी किया जा सकेगा। इस परियोजना के संचालन के लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट (पीएमसी) के चयन के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) की कार्रवाई किए जाने का अनुमोदन भी कैबिनेट ने किया।

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6240 गांवों की 1.55 करोड़ आबादी को मिलेगा लाभ

इस योजना के माध्यम से बुंदेलखंड क्षेत्र के 2660 गांवों की करीब 45 लाख आबादी, विंध्य क्षेत्र के 1880 गांवों की लगभग 35 लाख आबादी के साथ ही जेई, एईएस तथा अन्य अशुद्धियों से प्रभावित 3700 गांवों की करीब 75 लाख आबादी को इस योजना से आच्छादित किया जाना है। यानी सीधे-सीधे इस योजना का लाभ 6240 गांवों की लगभग 1.55 करोड़ आबादी को मिलेगा।  

प्रदेश के सभी ग्रामों के लिए चाहिए 86 हजार करोड़

गौरतलब है कि भारत सरकार के स्ट्रैटजिक प्लान के मुताबिक 2022 तक 90 फीसदी ग्रामीण परिवारों को पाइप पेयजल योजना से आच्छादित करते हुए कम से कम 80 फीसदी परिवारों को घरेलू कनेक्शन के माध्यम से पीने के पानी की आपूर्ति की जानी है। इस प्लान के मुताबिक प्रदेश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप वाटर सप्लाई के माध्यम से 70 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन की दर से पानी देने के लिए पाइप पेयजल योजनाओं से वंचित ग्रामों में पाइप पेयजल योजनाओं  के निर्माण पर 86000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।  

अयोध्या में एयरपोर्ट के लिए 200 करोड़ मंजूर

राज्य मुख्यालय। कैबिनेट ने अयोध्या स्थित हवाई पट्टी को एयरपोर्ट के रूप में विकसित करने के लिए 200 करोड़ रुपये की शुरुआती रकम की मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी कैबिनेट की बैठक में दी गई। इस रकम से आपसी समझौते के तहत जमीन खरीदी जाएगी। इसी के साथ राज्यपाल से एयरपोर्ट के लिए खरीदी जाने वाली जमीन को नागरिक उड्डयन उत्तर प्रदेश के नाम दर्ज करने की भी मंजूरी दे दी गई है। एयरपोर्ट के अन्य कार्यों के संबंध में फैसला लेने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत कर दिया गया है। अयोध्या में एयरपोर्ट का निर्माण 640.26 लाख करोड़ रुपये से होना है। 200 करोड़ रुपये की रकम अयोध्या के जिलाधिकारी को दी गई है।

लैंड पूलिंग में 25 एकड़ तक जमीन ली जाएगी

राज्य मुख्यालय। राज्य सरकार ने गुजरात की तर्ज पर यूपी में भी लैंड पूलिंग के आधार पर जमीन लेने का फैसला किया है। इस योजना में न्यूनतम 25 एकड़ जमीन 18 मीटर चौड़ी सड़क पर ली जा सकेगी। जमीन डवलप करने के बाद इसका 25 फीसदी हिस्सा जमीन मालिक को मुफ्त में दिया जाएगा। इस नीति से कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर मिलेंगे। मुख्यमंत्री योगी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। प्रदेश में आवासीय योजना या अन्य योजना लाने के लिए किसानों से जमीनें लेने में समस्या आ रही है। राज्य सरकार ने इसीलिए बीच का रास्ता निकालते हुए लैंड पूलिंग के आधार पर जमीन लेने का फैसला किया है। आवास विकास परिषद और विकास प्राधिकरण पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में लैंड पूलिंग स्कीम में जमीन ले सकेंगे।लैंड पूलिंग योजना में जमीन लेने की सुविधा नीति जारी होने की तारीख से तीन साल तक के लिए रहेगी।  

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टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन योजना को मंजूरी

सूक्ष्म एवं लघु उद्योग तकनीकी (टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन ) योजना को लागू करने का निर्णय लिया है। योजना के तहत पूंजी उपादान सहायता, ब्याज सुविधा, मानक प्रक्रिया, प्रमाणीकरण सहायता, स्वैच्छिक उत्पाद गुणवत्ता मानक, उद्यम स्त्रोत योजना, ब्रांडिंग सहायता, बैद्धिक संपदा प्रमाणीकरण सहायता आदि सुविधाएं उद्यमियों को उपलब्ध कराई जाएंगी। इस योजना को सूक्ष्म उद्योगों एवं लघु उद्योगों के लिए क्रियान्वित किया जाएगा। योजना में अभ्यर्थियों द्वारा ऑनलाइन आवेदन किया जा सकेगा। उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन विभाग के आयुक्त व निदेशक द्वारा होगी।  सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्यम प्रोत्साहन नीति-2017 में प्रदेश सरकार की वर्तमान तकनीकी उन्नयन योजना को शामिल किया गया है। इसमें उच्चीकृत तकनीक का इस तरह होगा कि जिससे विभिन्न क्षेत्रों जैसे उत्पाद गुणवत्ता सुधार, परीक्षण सुविधाएं एवं कंप्यूटरीकृत गुणवत्ता नियंत्रण को बढ़ावा मिल सके। 

गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के लिए मिलों को मदद की अंतिम तारीख बढ़ी

राज्य मुख्यालय। प्रदेश सरकार ने चीनी मिलों की आर्थिक मदद के लिए अंतिम तारीख शासनादेश जारी होने की तारीख से 15 दिन बढ़ाने का फैसला किया है। इस प्रस्ताव पर कैबिनेट ने मंगलवार को मंजूरी दे दी है। फैसले के अनुसार चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों को बकाया भुगतान करने के लिए पेराई सत्र 2017-18 में की गई गन्ना खरीद के आधार पर प्रदेश सरकार ने चीनी मिलों को साढ़े चार रुपये प्रति कुंतल की दर से आर्थिक मदद देने का निर्णय किया था। इसके लिए तय अंतिम तारीख (कट आफ डेट) 10 दिसंबर, 2018 को बढ़ाने का फैसला किया गया है। इस योजना के लिए भविष्य में तारीख बढ़ाने के संबंध में जरूरी संशोधन के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत करने का भी फैसला किया गया है। अंतिम तारीख बढ़ने से किसानों का बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान आसानी से किया जा सकेगा।  

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गोरखपुर खाद कारखाने को बैंक गारंटी से छूट

राज्य मुख्यालय। कैबिनेट ने गोरखपुर के खाद कारखाने (हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड) को जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए स्टांप ड्यूटी के एवज में 210 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा कराने से छूट देने का फैसला किया है।   इस फैसले से राज्य सरकार पर कोई खर्च नहीं आएगा। साथ ही कारखाने के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। निर्माण से किसानों को उर्वरक एवं रसायन की उपलब्धता आसानी से एवं उचित मूल्य पर हो सकेगी। कारखाने के निर्माण से लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार भी मिलेगा।  

ऋण के लिए 400 करोड़ की शासकीय गारंटी

राज्य मुख्यालय। उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लि. द्वारा राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) से ऋण लेने के लिए शासकीय गारंटी को प्रदेश कैबिनेट ने मंजूरी दी है। शासन द्वारा एनसीडीसी के पक्ष में एक वर्ष के लिए 400 करोड़ रुपये की शासकीय गारंटी स्वीकृत की गई है।  

टीजीटी स्नातक शिक्षक भर्ती में इंटरव्यू खत्म 

प्रदेश सरकार ने राज्य के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में (टीजीटी स्नातक वेतनमान) के पदों की भर्ती में इंटरव्यू की व्यवस्था खत्म करने का फैसला किया है। ऐसा इंटरव्यू में होने वाले भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए किया गया है। अब केवल लिखित परीक्षा परिणाम की मेरिट के आधार पर ही शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। इससे संबंधित प्रस्ताव को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार की देर शाम हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई। कैबिनेट फैसले के अनुसार इस फैसले के लिए यूपी माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड नियमावली-1998 में पांचवें संशोधन को मंजूरी दी गई है। खास बात यह है कि यूपी अवर स्तरीय पदों पर सीधी भर्ती के लिए लिखित-साक्षात्कार (साक्षात्कार बंद किया जाना) नियमावली-2017 के लिए कार्मिक विभाग ने 31 अगस्त, 2017 को अधिसूचना जारी की थी। अशासकीय सहायता प्राप्त हाईस्कूल और इंटरमीडिएट कालेज के संबद्ध प्राइमरी विभाग में मौलिक रूप से खाली सहायक अध्यापक के पदों पर भर्ती भी अब यूपी माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड करेगा। लेकिन इसमें बेसिक शिक्षा  सेवा नियमावली-1981 लागू होगी।  

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