बरेली में बंदर बने जी का जंजाल, वन विभाग ने पकड़ने की रखीं 28 शर्तें, पढ़ें
बरेली में बंदरों के खौफ से शहरवासियों को अभी राहत नहीं मिलने वाली है। नगर निगम ने दो हजार बंदरों को पकड़ने की अनुमति वन विभाग से मांगी तो 28 शर्तें लगाकर 250 को पकड़ने को कहा गया। पढ़ें शर्तें।

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बरेली में बंदरों के खौफ से शहरवासियों को अभी राहत नहीं मिलने वाली है। नगर निगम ने दो हजार बंदरों को पकड़ने की अनुमति वन विभाग से मांगी तो 28 शर्तें लगाकर 250 को पकड़ने को कहा गया। बंदर पकड़ने के लिए दी गई एनओसी में ऐसी शर्तें हैं, जो नगर निगम शायद ही पूरा कर पाए। एक भी शर्त का उल्लंघन हुआ तो एनओसी निरस्त कर दी जाएगी। शहर से देहात तक बंदरों ने आतंक मचा रखा है। लोगों को ये काटकर घायल भी कर रहे हैं। हाल में इनके कारण दो मौत भी हो चुकी है। लोग परेशान हैं, मगर बंदरों को न तो वन विभाग पकड़ रहा है और न ही नगर निगम। दोनों विभाग जिम्मेदारियों से बच रहे हैं।
वन एवं वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी समीर कुमार का कहना है कि नगर क्षेत्र में अगर बंदरों की समस्या है तो उसका निस्तारण कराने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। नगर निगम जब अनुमति मांगता है तो उसे यह बता दिया जाता है कि बंदर को पकड़ने के बाद कहां पर छोड़ा जा सकता है। भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत जो शर्तें हैं, उनका पालन करना होगा।
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क्या इन शर्तों का पालन कर पाएगा निगम
नगर निगम ने वन विभाग से दो हजार बंदर पकड़ने की अनुमति मांगी थी। 250 बंदरों को पकड़कर शाहजहांपुर वन प्रभाग की खुटार रेंज में छोड़ने की अनुमति दी थी, लेकिन 28 शर्तें लगा दी।
- पहली शर्त उत्पाती बंदरों को पकड़ने का खर्च नगर निगम उठाएगा।
- बंदरों के सभी सदस्यों को पकड़ा जाएगा।
- पकड़े गए बंदरों को अलग-अलग छोड़ा जाएगा।
- उन्हें कम दूरी पर छोड़ा जाए, ताकि बंदरों को तनाव कम से कम हो।
- पकड़ने के बाद बंदर छोड़ने से पहले पशु चिकित्साधिकारी का स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जरूरी है।
- बंदरों को दूसरी जगह छोड़ने में छह से अधिक घंटे का समय होता है तो रास्ते में बंदरों के भोजन-पानी की व्यवस्था हो।
- इस बीच बंदरों को ठंड, गर्मी से बचाने का इंतजाम हो।
- ऐसे बंदर जो, मां पर आश्रित हैं और 1.8 किग्रा से कम वजन के हैं, उनको बिना अनुमति परिवहन नहीं किया जाएगा।
- प्रेगनेंट, दूध पिला रही मादा बंदर को बिना अनुमति नहीं पकड़ा जाएगा।
- एक पिंजरे में एक समान वजन, साइज के एक ही प्रजाति के बंदरों को रखा जाए।
- रात के समय बंदरों का परिवहन नहीं किया जा सकता।
- इसके साथ ही बीमार, दिव्यांग, घायल बंदर का परिवहन नहीं होगा।
- रोजाना एक बंदर को एक किलो भोजना देना होगा।
- बंदर रखने के उपरांत एक पिंजड़े का वजन 45 किलो से अधिक नहीं होना चाहिए।
इस तरह की और भी शर्तें वन विभाग ने नगर निगम के सामने रखी है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी, डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि दो हजार बंदरों का पकड़ने की अनुमति मांगी थी। वन विभाग ने 28 शर्त लगाकर 250 उत्पाती बंदर को पकड़ने की अनुमति दी है। शर्तों का पालन करते हुए बंदर पकड़ने वाली एजेंसी से काम करने को कहा गया है।