अयोध्या राम मंदिर में होगी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की फसाड लाइटिंग, भक्तों को दर्शन में होगी आसानी
यूपी के अयोध्या राम मंदिर में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की फसाड लाइटिंग होगी। देश की प्रतिष्ठित दर्जनों कम्पनियों ने रविवार को मॉकअप प्रजन्टेशन दिया। 33/11 केवी विद्युत सबस्टेशन व एसटीपी के लिए टेंडर भरा।
अयोध्या राम मंदिर में निर्माणाधीन कार्यों की प्रगति समीक्षा के लिए शुरू हुई भवन निर्माण समिति की समीक्षा बैठक के पहले दिन देश की दर्जनों प्रतिष्ठित कम्पनियों की ओर से राम मंदिर की फसाड लाइटिंग को लेकर मॉकअप प्रजन्टेशन दिया। इस बारे में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के न्यासी डा. अनिल मिश्र ने बताया कि राम मंदिर में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की फसाड लाइटिंग लगाने का निर्णय लिया गया है जिससे रामभक्तों को भव्य-दिव्य राम मंदिर के दर्शन का लाभ प्राप्त हो सके।
उन्होंने बताया कि प्रजन्टेशन को लेकर बोर्ड आफ ट्रस्टीज की बैठक में विचार विमर्श कर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया गया कि श्रीरामजन्मभूमि परिसर में 33/11 केवी विद्युत सबस्टेशन के आपरेशन व मेंटेनेंस के साथ सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के भी आपरेशन व मेंटेनेंस के सम्बन्ध में भी कम्पनियों की ओर से टेण्डर के अन्तर्गत टेक्निकल बिड प्रस्तुत किया हैं। इस पर भी बोर्ड की ओर से निर्णय लिया जाएगा। इसी तरह से समीक्षा बैठक से पहले स्थलीय सत्यापन किया गया और अलग-अलग कामों की समीक्षा की गई।
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मीरबांकी ने सीता-पाक का फारसी में लिखा पत्थर लगवाया था
श्रीराम जन्मभूमि विवाद के संदर्भ सबसे प्रचलित तथ्य विवादित ढांचे के उत्तर-पूर्व में सीता-रसोई को लेकर था। ऐसा कहा जाता है कि विवादित ढांचे की इमारत खड़ा करते समय दीवारें ढह जा रही थी। इसके कारण यहां मीरबांकी ने एक कमरे का निर्माण कर फारसी में सीता-पाक का पत्थर लगवाया था। छह दिसंबर 1992 को ढांचे के ध्वंस के दौरान यह पत्थर गायब हो गया। बताया जाता है इस पत्थर को तत्कालीन समय में शिव सैनिकों के हाथों में देखा गया है। उस दौर के समाचार पत्रों में वह तस्वीर भी प्रकाशित हुई थी। दूसरी ओर 1870 में अवध गवर्नमेंट प्रेस में अयोध्या फैजाबाद के तत्कालीन सेटलमेंट ऑफिसर पी. कारनेगी की रिपोर्ट 'द हिस्टॉरिकल स्केच ऑफ तहसील फैजाबाद जिला फैजाबाद विथ ओल्ड कैपिटल अयोध्या एंड फैजाबाद छपी।
इस रिपोर्ट में पी. कारनेगी ने धार्मिक महत्व के स्थानों की 'लिस्ट ऑफ सेक्रेड प्लेस इन अयोध्या' की सूची भी दी। इस सूची में 'जन्मस्थान' पहले नंबर पर दर्ज है, जिसमें इस बात का उल्लेख है कि जन्मस्थान को मीर मासूम अली जमींदार ने एक एकड से अधिक जमीन माफी (रेंट फ्री लैंड) दान में दी थी। यह स्थान तड़ गूदड़ रामचंद्र तथा महंत रामदास द्वारा स्थापित किया जाना दर्ज है। पी. कारनेगी ने जन्मस्थान की 166 वर्ष पुराना बताया । जन्मस्थान - सीता रसोई का यह मंदिर विवादित परिसर के दूसरे छोर पर स्थित था जिसे दुराही कुआ से आने वाली सडक विभाजित करती थी। परकोटा निर्माण के लिए इस मंदिर के जर्जर भवन को तीर्थ क्षेत्र ने 2022 में ध्वस्त करा दिया।