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यूपी विधानसभा चुनाव: मजहबी और जातीय गणित को आगे बढ़ाने में जुटे नेता, भाजपा-सपा में कौन आगे

2017 में चुनाव में समाजवादी पार्टी “काम बोलता है” और “उम्मीद की साइकिल” नारे के साथ ही कांग्रेस से गठबंधन कर “यूपी को ये साथ पसंद है” नारे के साथ चुनाव मैदान में...

यूपी विधानसभा चुनाव: मजहबी और जातीय गणित को आगे बढ़ाने में जुटे नेता, भाजपा-सपा में कौन आगे
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSun, 16 Jan 2022 09:16 AM
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2017 में चुनाव में समाजवादी पार्टी “काम बोलता है” और “उम्मीद की साइकिल” नारे के साथ ही कांग्रेस से गठबंधन कर “यूपी को ये साथ पसंद है” नारे के साथ चुनाव मैदान में थी, मात खा गई। अब 2022 में भाजपा भी अपने कामों के बूते जनकल्याणकारी कार्यों की फेहरिस्त पर “सबका साथ सबका विकास” साथ ही “योगी यूपी के लिए उपयोगी” नारे के साथ मैदान में है। इस बार मैदान कौन मारेगा यह बूथों पर मतदाता तय करेंगे। फिलहाल चुनाव को 80 बनाम 20 और 85 बनाम 15 बनाके आगे बढ़ने की होड़ भाजपा और सपा गठबंधन में है। 

भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बोल रहे हैं कि यह चुनाव 80 बनाम 20 का है। 80 किसे कह रहे हैं और 20 किसे कह रहे हैं यह राज्य के मतदाता समझते हैं। वहीं सपा खेमें में आने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने 85 बनाम 15 का नारा दिया है। इसका भाव भी मतदाता जानते ही हैं। मीडिया और मंचों पर चुनाव को पूरी तरह जातीय और मजहबी मोड़ देने की कोशिश इन दोनों प्रमुख गठबंधनों की तरफ से चल रही है। सपा गठबंधन में में शामिल ओम प्रकाश राजभर सामाजिक न्याय समिति, जातीय जनगणना, मुफ्त शिक्षा, सरकारी विभागों में सभी रिक्त पदों को भरने की बातें हर मंच से कर रहे हैं।

सुशासन भी बड़े मुद्दे के रूप में है इस चुनाव में

सपा ने “सब आएं, सबको स्थान और सबको सम्मान” तथा “पिछड़ों-दलितों का इंकलाब होगा, बाइस में बदलाव होगा” जैसे चुनावी नारों को लेकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है। वहीं भाजपा “योगी हैं यूपी के लिए उपयोगी” तथा “सोच ईमानदार, काम दमदार, फिर एक बार भाजपा सरकार” जैसे नारों को लेकर मैदान में है। वहीं बसपा “सुशासन” के अपने पूराने नारों को लेकर चल रही है। हालांकि भाजपा भी सुशासन की बात शुरू से ही करती आ रही है। भाजपाई भी कहते हैं कि “अब यूपी में कोई बाहुबली दिखाई नहीं पड़ता, केवल बजरंगबली दिखाई पड़ते हैं”। हालांकि भाजपा के सुशासन के दावों के बीच विपक्ष बुलंदशहर, प्रयागराज, गोरखपुर, उन्नाव, हापुड़ तथा कासगंज आदि स्थानों पर हुई घटनाओं को लेकर भाजपा पर हमलावर है। 

काशी-अयोध्या के विकास को भुनाने में जुटी है भाजपा

भाजपा चुनावी मंचों तथा अन्य स्थानों पर काशी विश्वनाथ मंदिर कारीडोर तथा अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि निर्माण कार्य को प्रमुखता से परोस रही है। भाजपा के इस मुद्दे का कोई काट विपक्ष के पास नहीं है। अब तो सपा प्रमुख अखिलेश भी यह बताते फिर रहे हैं कि भगवान श्रीकृष्ण उनके सपने में आते हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर भगवान परशुराम की भव्य मूर्ति बनाने की बात कर रहे हैं। 

जनहित से जुड़े मुद्दे से जुड़ने की कोशिश में भी सभी दल

इन सबके बाद भी रोजी, रोटी के साथ महंगाई जैसे मुद्दे आम आदमी के जेहन में बैठे हुए हैं। गैस सिलेंडर के बढ़े हुए दामों पर भी विपक्ष भाजपा को घेरने में जुटी है। सपा किसानों को मुफ्त में बिजली और पानी देने की वकालत कर रही है। वहीं कांग्रेस बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ से आगे बढ़ते हुए महिलाओं को 10 लाख तक मुफ्त में इलाज की सुविधा, मुफ्त में स्कूटी, गैस सिलेंडर और स्मार्टफ़ोन इत्यादि देने के वादे कर रही है। भाजपा प्रधानमंत्री स्वस्थ भारत योजना, किसान सम्मान निधि, बुंदेलखंड में डिफेंस कॉरिडोर, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, नौ हजार करोड़ का एम्स अस्पताल, चीनी मिलें, गोरखपुर फर्टिलाइज़र आदि को भुनाने में जुटी हैं। सपा तो सत्ता में आने पर जातीय जनगणना कराने के वादे भी कर रही है। विपक्ष ने इस चुनाव में 69,000 शिक्षक पदों पर आरक्षण की अनियमिताएं को भी मुद्दा बना रखा है।  कांग्रेस की अगुवाई कर रही प्रियंका गांधी वाड्रा ने इसे यूपी का व्यापम घोटाला करार दिया है। 
 

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