आगरा में एक दशक पहले सराफा कारोबारियों के लिए आतंक का पर्याय रहा बिल्लू वर्मा जेल से बाहर नहीं आना चाहता। अदालत में उसने कहा कि हाथरस पुलिस जमानत कराकर उसका एनकाउंटर करना चाहती है। उसे जमानत नहीं चाहिए। सोमवार को सीजेएम अचल प्रताप सिंह ने आरोपित के बयान को गंभीरता से सुना। जमानत प्रार्थना पत्र खारिज करते हुए आरोपित को जेल भेज दिया।
अधिवक्ता अवधेश कुमार शर्मा, रमाशंकर शर्मा और राहुल शर्मा ने सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। इसमें लिखा कि अगर आरोपित विनय वर्मा उर्फ बिल्लू वर्मा की जमानत दी गई तो हाथरस पुलिस आरोपित का एनकाउंटर कर देगी। बिल्लू वर्मा के खिलाफ वर्ष 2019 का चौथ वसूली का एक मुकदमा विचाराधीन है। मुकदमे में बिल्लू वर्मा के गैर जमानती वारंट जारी हुए थे। आरोपित ने छह जून 2024 को सीजेएम कोर्ट में समर्पण किया था। आरोपित जिला जेल में निरुद्ध है।
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अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि हाथरस पुलिस ने बिल्लू वर्मा के भाई मोनू वर्मा और उसकी मां को सात-आठ दिन पूर्व हिरासत में लेकर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया। दबाव बनाकर मोनू वर्मा की तरफ से जमानत प्रार्थना पत्र सीजेएम कोर्ट में प्रस्तुत कराया। अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि जान बचाने के लिए उन्होंने प्रार्थना पत्र दिया है। कोर्ट के सामने पेश होते ही बिल्लू वर्मा हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगा। कहने लगा उसकी जान को खतरा है। हाथरस पुलिस उसका एनकाउंटर करना चाहती है। सीजेएम अचल प्रताप सिंह ने आरोपित का बयान गंभीरता से सुना। जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।
दस साल की हुई थी सजा
बिल्लू वर्मा का गैंग वर्ष 2012 में आगरा में आतंक का पर्याय बन गया था। बिल्लू वर्मा और उसके साथियों पर सात सराफा व्यापारियों को गोली मारने के आरोप थे। अक्तूबर 2012 में श्री सराफा कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष आनंद अग्रवाल को एमजी रोड पर गोली मारी गई थी। इस घटना का खुलासा भी पुलिस ने बिल्लू वर्मा और उसके साथियों पर किया था। जानलेवा हमले के एक मुकदमे में बिल्लू वर्मा को 10 साल की सजा भी हुई थी।