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Hindi News उत्तर प्रदेशनिर्माणाधीन मकान की छत ढहने से 16 मजदूर घायल, एक की मौत

निर्माणाधीन मकान की छत ढहने से 16 मजदूर घायल, एक की मौत

नवाबगंज के क्योलड़िया में गुरुवार सुबह नौ बजे निर्माणाधीन मकान की छत 17 मजदूरों पर गिर गई। चीख पुकार मचते ही ग्रामीणों ने तुरंत राहत व बचाव कार्य शुरू किया। सूचना मिलते ही पुलिस-प्रशासन की टीम भी...

हादसे के बाद बचाव कार्य में जुटे लोग। हिन्दुस्तान
1/ 2हादसे के बाद बचाव कार्य में जुटे लोग। हिन्दुस्तान
हादसे के बाद बचाव कार्य में जुटे लोग। हिन्दुस्तान
2/ 2हादसे के बाद बचाव कार्य में जुटे लोग। हिन्दुस्तान
लाइव हिन्दुस्तान टीम,बरेलीThu, 05 Sep 2019 02:35 PM
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नवाबगंज के क्योलड़िया में गुरुवार सुबह नौ बजे निर्माणाधीन मकान की छत 17 मजदूरों पर गिर गई। चीख पुकार मचते ही ग्रामीणों ने तुरंत राहत व बचाव कार्य शुरू किया। सूचना मिलते ही पुलिस-प्रशासन की टीम भी  पहुंची। चार घंटे तक बचाव अभियान चलाकर घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां एक मजदूर की मौत हो गई। क्योलड़िया में किराना व्यापारी लियाकत हुसैन ने मकान की छत ऊंची कराने के लिए सितारगंज के पंडरी निवासी शहनवाज व फरियाद को ठेका दिया था। गुरुवार को जैक से लिंटर उठाने के लिए सितारगंज के पंडरी से 28 मजदूर काम पर लगे थे। सुबह नौ बजे सभी मजदूर लिंटर को जैक से उठा रहे थे। उसी दौरान एक तरफ जैक फिसलने से लिंटर दीवार पर टिक गया। दीवार कमजोर होने से कुछ पल में ही लिंटर भरभराकर नीचे खड़े मजदूरों पर गिर गया। मलबे में 17 मजदूर दब गए। जिला अस्पताल में पंडरी के शादाब (24) की मौत हो गई। 

एक ईंट की दीवार पर टिका था लिंटर, नहीं सह पाया वजन

क्योलड़िया में लियाकत ने 200 गज जमीन पर चार कमरों का मकान दो साल पहले बनवाया था। लिंटर एक ईंट की दीवार पर टिका था। अगर दीवार दो ईंट की होती तो काम रिस्की नहीं होता। लियाकत काफी दिन से इस कार्य को कराने के लिए मिस्त्री खोज रहे थे लेकिन लोकल में उन्हें मिस्त्री मिला नहीं। 37 हजार रुपये में सितारगंज के ठेकेदार जोखिम उठाने के लिए राजी हो गया और अंजाम मजदूरों ने भुगता। एक्सपर्ट के मुताबिक, कमजोर दीवार पर टिके लिंटर को उठाना ही गलत था। लिंटर को ऊपर उठाने के लिए ठेकेदार ने मजदूरों के जरिये चारों दीवारों के बीच में जैक लगा दिए। मजदूरों ने जैक टाइट करना शुरू किया तो लिंटर का वजन जैक पर आ गया। इससे  लिंटर एक फिट ऊपर उठ गया। इसी बीच एक जैक फिसल गया। इससे लिंटर का वजन दीवारों पर आ गया।

नदी के रेत से बनीं कमजोर चार इंच की दीवारें लिंटर का भार नहीं रोक सकीं। कुछ ही देर में सभी दीवारें भरभराकर गिरीं तो लिंटर भी नीचे गिर पड़ा जिसमें नीचे मजदूर दब गए। बताया जा रहा है कि बचाव कार्य करीब तीन घंटे तक चलता रहा।  लिंटर के अंदर से छलांग मारकर निकले बाहर: जैसे ही लिंटर नीचे खिसकने लगा तो अंदर काम कर रहे तमाम मजदूर लिंटर के अंदर से छलांग लगाकर बाहर आ गए। फिर भी एक दर्जन मजदूर बुरी तरह फंस गए। इस बीच किसी ने अफवाह फैला दी कि काम कर रहे सभी 28 मजदूर लिंटर के नीचे दबे हैं। इस कारण जिलेभर के अधिकारियों में हड़कंप मचा रहा।    

गांव के युवाओं और थाने के दो सिपाहियों की हो रही हर तरफ तारीफ

जिस तरह से सूचना पर पुलिस और एम्बुलेन्स ने पहुंचकर घायलों को तुरंत ही सीएचसी क्योलड़िया और नबावगंज में भर्ती कराया। और लिंटर के अंदर दबे मजदूरों को ग्रामीणों की मदद से निकाला उसकी ग्रामीण काफी तारीफ कर रहे हैं। क्योलड़िया पुलिस के सिपाही शाहरूख और ललित के अलावा पूरे थाना स्टाफ की ग्रामीण तारीफ कर रहे हैं। इसके अलावा गांव के इकबाल,समसीर अहमद,राशिद,रिजवान,बासिल,  मोहम्मद जावेद,समेत दो दर्जन से अधिक युवाओं की मदद से चार घंटे चले रेस्क्यू अभियान में सभी को मेहनत लगन की ग्रामीण सराहना कर रहे हैं। जिन्होंने दो घंटे तक लिंटर के नीचे दर्द से कराहते पप्पू को गंभीर हालत में निकाला। दो घंटों बाद ही मौके पर जेसीबी पहुंच पायी थीं। लेकिन इससे पहले ही युवाओं ने बड़ी होशियारी से लिंटर को हथौड़ों से तोड़कर घायलों को निकाला। बाद में जेसीबी ने लिंटर के मलबे को हटाया तो कोई भी मजदूर नहीं निकला तो सभी ने राहत की सांस ली। डॉ मुगीश,डॉ आर एन सिंह, डॉ सारिक,डॉ दिनेश समेत सभी घायल मजदूरों के इलाज में लगे रहे।

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