ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेशयूपी सरकार के ढाई सालः उम्मीदें बढ़ने  से योगी के आगे कई चुनौतियां

यूपी सरकार के ढाई सालः उम्मीदें बढ़ने  से योगी के आगे कई चुनौतियां

मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ का सफर सुशासन के मोर्चे पर खासा कामयाब कहा जा सकता है। साथ ही अपनी पार्टी भाजपा को आगे बढ़ाने में उनकी कार्यशैली सहायक रही है। इसके बावजूद आगे की राह में उनका सफर...

यूपी सरकार के ढाई सालः उम्मीदें बढ़ने  से योगी के आगे कई चुनौतियां
अजित खरे,लखनऊSat, 21 Sep 2019 11:06 AM
ऐप पर पढ़ें

मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ का सफर सुशासन के मोर्चे पर खासा कामयाब कहा जा सकता है। साथ ही अपनी पार्टी भाजपा को आगे बढ़ाने में उनकी कार्यशैली सहायक रही है। इसके बावजूद आगे की राह में उनका सफर चुनौतियों भरा नज़र आता है। ऐसा इसलिए कि एक तो सरकार के बेहतर कामकाज से जनता की  उम्मीदें बढ़ी हुई हैं और दूसरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें एक बड़ा कठिन काम दे रखा है।

मुख्यमंत्री ने अब संकेत दिया है कि आगे के ढाई साल में इन्हीं मुश्किलों को पार करने में बीतेंगे। पहली चुनौती तो उत्तर प्रदेश को  एक ट्रिलियन डालर यानी दस खरब रुपये की अर्थव्यवस्था बनाने का है। यूं तो यह काम पांच साल का है। उनके पास ढाई साल ही हैं और इसके बाद उन्हें विधानसभा चुनाव में जाना है। इस चुनाव में विजय पताका फहराने के लिए जरूरी है कि अब आगे उनकी सरकार को और तेजी से काम करना है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के तेजी से हो रहे निर्माण से उम्मीद है कि यह अगले साल चालू हो जाएगा। मुख्यमंत्री का अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बुंदेलखंड अगर ढाई साल में पूरा हो जाता है तो यह बड़ी उपलब्धि होगी। गंगा एक्सप्रेस- वे (मेरठ से बलिया तक)जैसी और बड़ी व भारी भरकम परियोजना को धरातल पर लाना और भी बड़ी चुनौती है। 

मायावती सरकार भी यह परियोजना (नोएडा से बलिया तक)को जमीन पर नहीं उतार पाई थी। यही नहीं सतत विकास के लक्ष्य पाने के लिए मुख्यमंत्री ने 16 सेक्टर चिन्हित कर उस पर कार्ययोजना बना कर काम शुरू करने को कहा है। यह दूरगामी योजना है जिसके नतीजे आने में लंबा वक्त लगेगा। पर यह समग्र विकास के लिए बहुत जरूरी है।

सरकार अभी लोकसभा चुनाव की कसौटी पर तो कामयाब रही है। उसके सामने आगे विधानसभा उपचुनाव हैं। अगले साल पंचायत चुनाव होंगे। हालांकि यह पार्टी सिंबल पर नहीं होते हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव जरूर पार्टी सिंबल पर होते हैं। राम मंदिर निर्माण का मुद्दा भी जल्द गरमाएगा। कोटे में कोटे का मसला भी चुनौती है। पिछड़ों, अतिपिछड़ी जातियों व दलितों को पार्टी के पाले में लाने के लिए दूसरे दलों के आधार में सेंधमारी भी चुनौती है।

स्वामी चिन्मयानंद ने जेल की रोटी खाई,तबीयत बिगड़ी, रेफर होने की संभावना

UP में सरकार के ढाई सालः योगी बोले- प्रदेश को कई मामलों में बनाया नं.1

 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें