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मायावती सरकार हुए स्मारक घोटाले के दो अभियुक्त मिर्जापुर से गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) ने बसपा शासनकाल में हुए लगभग 1400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले में दो और अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। दोनों अभियुक्त रमेश यादव व किशोरी लाल रविवार को...

मायावती सरकार हुए स्मारक घोटाले के दो अभियुक्त मिर्जापुर से गिरफ्तार
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊMon, 28 Jun 2021 03:18 PM
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उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) ने बसपा शासनकाल में हुए लगभग 1400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले में दो और अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। दोनों अभियुक्त रमेश यादव व किशोरी लाल रविवार को मिर्जापुर से गिरफ्तार किए गए। इससे पहले अप्रैल में विजिलेंस ने राजकीय निर्माण निगम के तत्कालीन चार बड़े अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। 

सूत्रों के अनुसार गिरफ्तार दोनों अभियुक्तों की स्मारकों में लगे पत्थरों की आपूर्ति में भूमिका थी। इससे पहले विजिलेंस ने कार्यदाई संस्था राजकीय निर्माण निगम के तत्कालीन वित्तीय परामर्शदाता विमलकांत मुद्गल, महाप्रबंधक तकनीकी एसके त्यागी, महाप्रबंधक कृष्ण कुमार और इकाई प्रभारी कामेश्वर शर्मा को गिरफ्तार किया था। 

वर्ष 2104 से चल रही है जांच 

वर्ष 2014 में तत्कालीन सपा सरकार ने लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट के आधार पर मामले की विस्तृत जांच विजिलेंस को सौंपी थी। इसके बाद विजिलेंस की तरफ से जनवरी 2014 में लखनऊ के गोमतीनगर थाने में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत 19 नामजद व अन्य अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। लोकायुक्त ने 20 मई 2013 को शासन को सौंपी गई अपनी जांच रिपोर्ट में स्मारकों के निर्माण में लगभग 1400 करोड़ रुपये के घोटाले की आशंका जताते हुए मामले की विस्तृत जांच सीबीआई या किसी अन्य सक्षम एजेंसी से कराने की संस्तुति की थी। लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट में कुल 199 लोगों को आरोपी माना गया था। 

हाईकोर्ट की दखल के बाद आई थी तेजी 

ये स्मारक वर्ष 2007-12 के बीच लखनऊ और नोएडा में बनवाए गए थे। इसमें कई पार्कों और मूर्तियों का निर्माण कराया गया। इसी दौरान लखनऊ व नोएडा में ही दो ऐसे बड़े पार्क बनवाए गए जिनमें तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती, बसपा संस्थापक कांशीराम और बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के अलावा बसपा के चुनाव चिह्न हाथी की सैकड़ों मूर्तियां लगवाई गईं। उस समय मायावती सरकार के इस फैसले की व्यापक आलोचना भी हुई थी। विजिलेंस जांच की धीमी गति पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई थी। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने विजिलेंस से स्टेटस रिपोर्ट भी तलब कर लिया था। इस बीच स्मारक घोटाले के आरोपियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी अपनी जांच शुरू कर रखी है। 

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