संसाधनों का टोटा, लॉकडाउन में 26 फीसदी छात्र ही पा रहे ई-शिक्षा
लॉकडाउन के दौरान ई-लर्निंग की सफलता को लेकर प्रदेश भर के बेसिक शिक्षकों के बीच रैंडम सर्वे हुआ। सर्वे में 63.8 फीसदी शिक्षकों ने माना कि तकनीकी संसाधनों की कमी के कारण आनलाइन पढ़ाई में पूरी...
लॉकडाउन के दौरान ई-लर्निंग की सफलता को लेकर प्रदेश भर के बेसिक शिक्षकों के बीच रैंडम सर्वे हुआ। सर्वे में 63.8 फीसदी शिक्षकों ने माना कि तकनीकी संसाधनों की कमी के कारण आनलाइन पढ़ाई में पूरी सफलता नहीं मिली। इसके चलते कक्षा के 26.84 फीसदी छात्रों तक ही आनलाइन शिक्षण सामग्री पहुंच सकी। इनमें से भी 27.40 फीसदी ही छात्र होमवर्क करते हुए नजर आए। अच्छी बात यह है कि 91.5 फीसदी शिक्षकों ने ई-शिक्षण शुरू किया।
भोजीपुरा ब्लाक के प्राथमिक स्कूल पिपरिया में सहायक अध्यापक सौरभ शुक्ला ने अपने साथियों के जरिए प्रदेश भर के शिक्षकों के बीच यह सर्वे किया। सर्वे में कुल 25 सवालों का शामिल किया गया था। बरेली के साथ ही अन्य जिलों के शिक्षकों ने भी सर्वे में हिस्सा लिया। सौरभ ने बताया कि सर्वे से साफ हो गया कि हमारे शिक्षक ई शिक्षा के लिए पूरी ताकत से प्रयास कर रहे हैं। संसाधनों की कमी से पूरी सफलता नहीं मिल पा रही है। 94.4 फीसदी शिक्षकों ने यह माना है कि आनलाइन पढ़ाई के चलते शिक्षक भी टेक-फ्रेंडली हुए हैं। इसका भवष्यि में आनलाइन पढ़ाई कराने में लाभ मिलेगा। लाकडाउन के बाद भी 61 फीसदी शिक्षक पढ़ाई के जारी रखने के लिए सहमत हैं।
इन जिलों से ज्यादा आए जवाब
बरेली, शाहजहांपुर, बदायूं, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, फर्रुखाबाद, मेरठ, प्रयागराज, कौशांबी, गोंडा, बहराइच, बुलंदशहर, हापुड़, बिजनौर आदि।
इन शिक्षकों का रहा विशेष सहयोग
प्राथमिक स्कूल पिपरया की हेड गायत्री यादव के साथ ही नीतू चौधरी, रुपेंद्र सिंह, कौशांबी के हरिओम सिंह, फर्रुखाबाद के हरीश चंद्र राठौर का विशेष सहयोग रहा।
यह सवाल थे शामिल
- लाकडाउन में छात्रों को पढ़ाने के लिए क्या क्या प्रयास किए
- 91.5 फीसदी ने अभिभावकों से संपर्क कर छात्रों को पढ़ाना शुरू किया
- 35.8 फीसदी ने ग्राम प्रधानों से भी संपर्क किया
- 49.4 फीसदी ने स्कूल मैनेजमेंट कमेटी से भी संपर्क साधा
- 65.9 फीसदी शिक्षको ने ग्रुप से जुड़े अन्य छात्रों की मदद ली
ई-शिक्षण का मुख्य उद्देश्य क्या रहा
- 61.9 फीसदी लोगों का कहना है कि तकनीक के माध्यम से सीखना-सिखाना
- 29फीसदी शिक्षकों का कहना है कि छात्रों के खाली समय का इससे सदुपयोग हुआ।
- 5.1 फीसदी ने इसे सरकारी आदेश का पालन माना
- केवल चार फीसदी शिक्षकों ने ही कोर्स पूरा करने की बात स्वीकारी
छात्रों को पढ़ाने में कौन-कौन सी तकनीक उपयोगी रहीं
- 96 फीसद शिक्षकों ने व्हाट्सअप को सबसे उपयोगी माना
- 42.6 फीसदी शिक्षकों ने यू-ट्यूब का भी बखूबी इस्तेमाल किया
- 29 फीसदी शिक्षकों ने इनके अलावा अन्य माध्यम भी अपनाए
पढ़ाई के लिए किन-किन विधियों का उपयोग किया
- 23.2 फीसदी शिक्षकों ने वीडियो कालिंग के जरिए लाइव शिक्षण किया
- 58.8 फीसदी ने एनीमेटेड वीडियो का भी उपयोग किया
- 71.2 फीसदी ने शैक्षिक पोस्टर का प्रयोग किया
- 41.2 फीसदी ने अन्य विधियों से भी पढ़ाई कराई
छात्रों का उत्साह बढ़ाने का क्या तरीका रहा
- 85.9 फीसदी शिक्षकों ने व्हाट्सअप ग्रुप में ही शाबाशी लिखी
- 47.5 फीसदी ने छात्रों को फोन करके भी शाबाशी दी
- 23.2 फीसदी ने वीडियो काल के माध्यम से शाबाशी दी
- 23.2 फीसदी ने ही छात्रों को उपहार देने की घोषणा की
क्या आनलाइन शिक्षण सामग्री से छात्र ध्यानपूर्वक अध्ययन करते हैं-
हां-77.4 फीसदी
नहीं-22.6 फीसदी
क्या छात्रों और अभिभावकों से फीड बैक मिलता है
हां-45.8 फीसदी
नहीं-54.2फीसदी
क्या छात्र परंपरागत कक्षा से ज्यादा रूचि दिखा रहे हैं
हां-53.1 फीसदी
नहीं-46.9 फीसदी
क्या आनलाइन शिक्षण से शिक्षकों के तकनीकी कौशल में विकास हुआ
हां-94.4 फीसदी
नहीं-5.6 फीसदी
क्या ई शिक्षण का छात्रों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है
हां-75.7 फीसदी
नहीं-24.3 फीसदी
क्या छात्रों को ई शिक्षण का लाभ मिल रहा है
हां-82.5 फीसदी
नहीं-17.5 फीसदी
क्या ई शिक्षण से अभिभावक संतुष्ट हैं
हां-66.7 फीसदी
नहीं-33.3 फीसदी
शिक्षण के दौरान क्या कठिनाई हो रही हैं
- तकनीकी संसाधनों का अभाव-63.8 फीसदी
- तकनीकी समस्याएं-15.3 फीसदी
- अन्य-18.1 फीसदी
क्या लाकडाउन में अपने काम से आप संतुष्ट हैं
हां-50.8 फीसदी
नहीं-49.2 फीसदी
क्या लाकडाउन के बाद भी आनलाइन पढ़ाई जारी रहना चाहिए
हां-61 फीसदी
नहीं-39 फीसदी
क्या परिषदीय शिक्षकों के लिए तकनीकी वर्कशाप होनी चाहिए
हां-98.3 फीसदी
नहीं-1.7फीसदी
क्या आनलाइन शिक्षण को बढ़ावा देना चाहिए
हां-93.2 फीसदी
नहीं-6.8 फीसदी