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ताजमहल को धूल से बचाने के लिए यमुना किनारे लगेंगे पत्थर, ASI से मांगी एनओसी

प्रदूषण से ताजमहल को बचाने के लिए एक और पहल की जा रही है। ताज के पीछे यमुना नदी के किनारे स्लोव में स्टोन वर्क होगा। दीवार से लेकर यमुना तलहटी में ऐसे पत्थर लगाए जाएंगे, जो पानी को भी सोखने में मदद...

ताजमहल को धूल से बचाने के लिए यमुना किनारे लगेंगे पत्थर, ASI से मांगी एनओसी
आगरा। वरिष्ठ संवाददाताFri, 26 Oct 2018 01:06 AM
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प्रदूषण से ताजमहल को बचाने के लिए एक और पहल की जा रही है। ताज के पीछे यमुना नदी के किनारे स्लोव में स्टोन वर्क होगा। दीवार से लेकर यमुना तलहटी में ऐसे पत्थर लगाए जाएंगे, जो पानी को भी सोखने में मदद करेंगे। इससे यहां से उड़ने वाली धूल से ताज बच सकेगा। सिंचाई विभाग ने इसके लिए एएसआई से एनओसी मांगी है।

ताज पर बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट लगातार जिला प्रशासन सहित अन्य संबंधित इकाइयों को दिशा निर्देश जारी कर रही है। कोर्ट ने पिछले दिनों ताज संरक्षित रखने में सभी जिम्मेदार इकाइयों पर भी सवाल खड़े कर दिए थे। इसके बाद से ताज संरक्षित करने को लेकर तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। यमुना नदी की ड्रेजिंग करने की योजना बनाने के साथ अब ताजमहल के पीछे यमुना किनारे पर स्टोन वर्क की योजना तैयार की गई है। 

ऐसे होगा कार्य
ताज के पीछे दशहरा घाट से लेकर मोक्षधाम तक लगभग 300 मीटर के हिस्से में स्टोन वर्क होगा। ताज के पीछे बने प्लेटफार्म की दीवार से लेकर स्लोव में नदी किनारे टेल तक विशेष किस्म के स्टोन लगाए जाएंगे। सिंचाई विभाग के ताज बैराज खंड के अधिशासी अभियंता विशाल पोरवाल ने बताया कि किनारे से अक्सर धूल उड़कर ताज की दीवारों तक पहुंचती है। गर्मियों में ये हालात अधिक बिगड़ते हैं। स्टोन वर्क से धूल के कण (डस्ट पार्टिकल) को उड़ने से रोका जा सकेगा।

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ये भी रहेगी सुविधा
अधिशासी अभियंता के मुताबिक यहां विशेष किस्म का स्टोन वर्क होगा। पत्थर लगाने के कार्य को इस तरह डिजायन दिया जाएगा कि यमुना नदी का पानी ऊपर आने पर वे इसे सही तरह से सोखने में मदद करेंगे। इससे भूगर्भ जल की स्थिति भी बेहतर होगी। वहीं स्टोन रहने से ताज के पीछे के पूरे हिस्से की बेहतर सफाई भी रहेगी।

एनओसी मिलते ही शुरू होगा कार्य
अधिशासी अभियंता ने बताया कि प्रस्ताव पास हो चुका है। इसके लिए भारतीय पुरातत्व विभाग से एनओसी मिलनी है। उनके यहां आवेदन कर दिया है। जल्द ही एनओसी फाइनल होगी, जिसके बाद काम शुरू किया जाएगा।

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ताज संरक्षण को ये योजना भी शामिल
- ताज पर प्रदूषण का कारण यमुना नदी में बढ़ता प्रदूषण है। ऐसे में ताज के पीछे लगभग दो किमी तक नदी की पूरी ड्रेजिंग होनी है। इसके लिए पानी कम होने का इंतजार है।
- ताज के पीछे यमुना नदी पर ही ताज बैराज भी बनना है। नगला पैमा से लेकर यमुना के डाउन स्ट्रीम में लगभग छह किमी तक पानी रोके जाने की तैयारी है। इससे ताज के पास सौंदर्य बढ़ेगा। 
- ताज के पास ही ताज व्यू गार्डन विकसित हो रहा है। वहीं यमुना किनारे व्यू गार्डन से लेकर दशहरा घाट तक हरियाली भी विकसित की जानी है। इससे भी पर्यावरण सुधार होगा।
 

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