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कुशीनगर के खड्डा में बाघ की दहशत, गाय को बनाया शिकार 

कुशीनगर के खड्डा थाना क्षेत्र में नदी उस पार के ग्राम शिवपुर में मंगवार की रात एक बाघ ने गर्भवती गाय पर हमला कर उसे मार डाला।ग्रामीणों ने लाठी डंडा लेकर उसका पीछा किया लेकिन वह वाल्मीकि टाइगर रिर्जव...

कुशीनगर के खड्डा में बाघ की दहशत, गाय को बनाया शिकार 
हिन्‍दुस्‍तान टीम ,कुशीनगर Wed, 29 Apr 2020 12:42 PM
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कुशीनगर के खड्डा थाना क्षेत्र में नदी उस पार के ग्राम शिवपुर में मंगवार की रात एक बाघ ने गर्भवती गाय पर हमला कर उसे मार डाला।ग्रामीणों ने लाठी डंडा लेकर उसका पीछा किया लेकिन वह वाल्मीकि टाइगर रिर्जव के जंगल की ओर निकल गया। बाघ के इस हमले से लोगो में भय व्याप्त है।सूचना पाकर मौके पर पहुंचे सोहगीबरवा रेंजर ने खेतो में पदचिह्न देख बाघ के होने की पुष्टि की है।

खड्डा रेता क्षेत्र के आधा दर्जन गांव महराजगंज जिले के सोहगीबरवा वन प्रभाग व बिहार वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना से सटे स्थित है। इन जंगलो में विचरण करने वाले जंगली जानवर जैसे बाघ, तेन्दुआ, जंगली सूअर आदि विचरण के दौरान अक्सर भोजन की तलाश में रिहायशी इलाको में  पहुंच जाते है, जिससे लोगों समेत पशुओं के जानमाल का खतरा हमेशा बना रहता है। ग्राम शिवपुर निवासी बेचन अंसारी मंगलवार की रात अपनी गर्भवती गाय को घर के सामने झोपड़ी में बांध सोने चला गया। 

इसी दौरान खूटे से रस्सी खुलने के चलते गाय बगल स्थित प्राथमिक की तरफ जाकर घास चरने लगी। इसी दौरान  विद्यालय के पास मौजूद बाघ ने उस पर हमला कर दिया।इससे गाय चीखने लगी। उसकी आवाज सुनकर निजमुद्दीन और बेचन घर से बाहर आए और गाय देख शोर मचाने लगे। उनकी आवाज सुनकर रामकल्प, नरसिंह, प्रमोद, उमेश, सच्चिदानंद, मुकेश सहित दर्जनो ग्रामीण मौके पर पहुंच गये और वे सभी लाठी डंडा लेकर शोर मचाते हुए टार्च की रोशनी में स्कूल की तरफ पहुंचते कि तब तक बाघ गाय को घसीटते हुए जंगल के नजदीक लेकर पहुंच चुका था, लेकिन लोगो के वहां पहुंचते ही बाघ अपना शिकार छोड जंगल की तरफ भाग गया।

ग्रामीणों की सूचना पर टीम के साथ पहुंचे सोहगीबरवा के वनरेंजर उमाशंकर ने खेत मे मिले पदचिन्हों के अधार पर बाघ होने की पुष्टि करते हुए लोगो को सचेत रहने की सलाह दी है। इस घटना को लेकर ग्रामीणों मे दहशत का माहौल है। ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र में दस दिनों पहले इस बाघ के विचरण करने की सूचना वनविभाग को दी गयी थी। वनक्षेत्राधिकारी खडडा बीके यादव का कहना है कि तेंदुआ के पदचिह्न 9 से10 सेमी जबकि बाघ के पदचिह्न 13 से 14 सेमी होते हे। खेत में मिले  पदचिह्न बाघ के है। वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना में रहने वाले वन्यजीव भोजन की तलाश में रिहायशी इलाकों का रुख कर लेते हैं। साक्ष्य के साथ प्राथर्ना पत्र देने पर उचित मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने लोगों से सर्तक रहने की सलाह दी है।

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