OBC आयोग को तीन महीने का समय, SC के आदेश के बाद इस महीने हो सकते हैं यूपी निकाय चुनाव
यूपी निकाय चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। अब अगर ओबीसी आयोग की रिपोर्ट तय समय 31 मार्च तक आ जाए तो भी चुनावी प्रक्रिया कम से कम तीन महीने बाद ही शुरू हो सकती है। यानी चुनाव में चार माह है।
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद यह साफ हो गया है कि यूपी में निकाय चुनाव अब नए आरक्षण के आधार पर होगा। इसके साथ ही कोर्ट ने ओबीसी आयोग को तीन महीने का समय दिया है। आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही सीटों और वार्डों के आरक्षण की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी। अगर आयोग की रिपोर्ट तय समय 31 मार्च तक आ जाए तो भी चुनावी प्रक्रिया कम से कम तीन महीने बाद ही शुरू हो सकती है।
हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका दाखिल की थी, जिस पर बुधवार को सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ओबीसी कमीशन को 31 मार्च तक रिपोर्ट सौंपनी होगी।
राज्य सरकार ने ट्रिपल टेस्ट के आधार पर ओबीसी को आरक्षण देने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। इसका अध्यक्ष न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह को बनाया गया है। अध्यक्ष ने पहली बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि आयोग ढाई से तीन माह में रिपोर्ट सौंप देगा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद यह अब पूरी तरह से साफ हो गया है कि नगर विकास विभाग द्वारा 5 दिसंबर को मेयर और चेयरमैन सीटों के लिए जारी आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना अस्तित्व में नहीं रही। आयोग द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद नगर विकास विभाग सीटों और वार्डों का आरक्षण नए सिरे से करेगा।
इसे करने में उसे कम से कम 15 से 20 दिन का समय चाहिए। इसके बाद आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना पर आपत्तियों के लिए उसे कम से कम सात दिन का समय चाहिए। इससे यह साफ हो गया है कि निकाय चुनाव इसके बाद ही अप्रैल या मई में संभव हो पाएगा।