उत्तर प्रदेश में जैश का खतरा बरकरार, सक्रिय है बैकअप मॉड्यूल
जैश आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद भी यूपी में किसी बड़ी वारदात का खतरा बना हुआ है। यही कारण है कि आतंकियों के साथियों की धरपकड़ के लिए सुरक्षा एजेंसियों से लेकर इंटेलीजेंस तक सक्रिय हैं। आतंकियों के...

जैश आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद भी यूपी में किसी बड़ी वारदात का खतरा बना हुआ है। यही कारण है कि आतंकियों के साथियों की धरपकड़ के लिए सुरक्षा एजेंसियों से लेकर इंटेलीजेंस तक सक्रिय हैं। आतंकियों के साथ मिलकर काम करने वाले बाकी लोगों की तलाश है और प्रयास किया जा रहा है कि इनके बैकअप मॉड्यूल तक पहुंचा जा सके। एक्सपर्ट की मानें तो इस तरह के ऑपरेशन के लिए भेजे गए आतंकियों की मदद के लिए दो से तीन बैकअप रखे जाते हैं, ताकि फरारी में मदद मिल सके। हालांकि इससे पहले ही दोनों आतंकी धरे गए, लेकिन अभी तक उनका बैकअप सुरक्षा एजेंसियों या एटीएस के हाथ नहीं आया है।
एटीएस लखनऊ की टीम ने देवबंद से दो जैश आतंकियों शाहनवाज तेली और आकिल अहमद मलिक की गिरफ्तारी की थी। दोनों कश्मीर के पुलवामा और कुलगाम के रहने वाले हैं। दोनों से लखनऊ में पूछताछ की जा रही है और आतंकियों से राज उगलवाने का प्रयास किया जा रहा है। अभी तक मिले इनपुट के अनुसार जैश आतंकी भाजपा की रैलियों में बड़े नेताओं को निशाना बनाने वाले थे। इसके लिए स्थानीय युवकों को जैश में भर्ती किया जा रहा था। अक्तूबर से यहां सहारनपुर में जैश का भर्ती कैंप दोनों आतंकी ऑपरेट कर रहे थे। इन आतंकियों की धरपकड़ के बाद ये भी खुलासा हुआ कि कुछ दिन पहले सहारनपुर में जैश का एरिया कमांडर भी था। उसके लिए ही दावत की गई थी।
इतनी बड़ी साजिश का पर्दाफाश करने के बाद सुरक्षा एजेंसियां और खुफिया विभाग अलर्ट पर है। आतंकियों को बैकअप देने वाले बाकी आतंकियों की टीम का कुछ पता नहीं चल रहा है। आतंकियों की धरपकड़ में लगी एटीएस टीम और कुछ अन्य एक्सपर्ट का मानना है कि इस तरह के ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए जैश ने अपने केवल दो आतंकी नहीं भेजे होंगे। इन दोनों आतंकियों को बैकअप देने के लिए अलग से दो या तीन टीम दी गई होंगी। ये टीम सहारनपुर या इसके आसपास ही डेरा डाले हुए रही होंगी। इनका काम जैश का भर्ती कैंप चलाने वाले आतंकियों को हर तरह से मदद और पैसा पहुंचाने का होता है।
यही कारण है कि आतंकियों के बैकअप मॉड्यूल की धरपकड़ के लिए एटीएस और बाकी एजेंसी ऑपरेशन चला रही हैं। प्रयास किया जा रहा है कि आतंकियों का पूरा नेटवर्क ध्वस्त किया जा सके और जैश भर्ती कैंप चलाने वाले आतंकियों से लेकर मॉड्यूल से जुड़े हर आतंकी को कानून के फंदे में जकड़ा जा सके।
बिजनौर और मुजफ्फरनगर तक था आना जाना
पूछताछ के बाद ये बात तो साफ हो गई थी कि आतंकियों ने बिजनौर और मुजफ्फरनगर में आना जाना किया था। हालांकि ये काम किसलिए किया था, ये बात साफ नहीं हो सकी है। ऐसे में इन आतंकियों के मोबाइल फोन से मिले डाटा को खंगाला जा रहा है। प्रयास किया जा रहा है कि कोई सबूत मिल जाए।