इतिहास से है लगाव तो चले आइए बांदा के कालिंजर दुर्ग, बीरबल को उपहार में मिला था ये किला
कालिंजर किला चंदेल वंश का अद्भूत उदाहण है। किले के भीतर कई भवन और मंदिर हैं। महल के छतरियों की बारीक नक्काशी बेहद ही खूबसूरत लगती है। इसे गजनवी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने जीतना चाहा लेकिन निराशा हाथ लगी।
उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों की भरमार है। जिस जिले जाएं वहां आपको स्मार्क या किला देखने को मिल जाएगा। लेकिन इनमें सबसे खास है बुंदेलखंड के बांदा का कालिंजर किला। लखनऊ से करीब 238 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस किले भव्यवता देखते ही बनती है। पहाड़ी पर स्थित इस किले का निर्माण चंदेलों ने करवाया था। इस किले के भीतर एक शिव मंदिर भी है। जहां शिवभक्तों की भीड़ लगती है।
कालिंजर किला चंदेल वंश का अद्भूत उदाहण है। किले के भीतर कई भवन और मंदिर हैं। महल के छतरियों की बारीक नक्काशी बेहद ही खूबसूरत लगती है। इस दुर्ग पर महमूद गजनवी, कुतुबुद्दीन ऐबक, मुगल सम्राट हुमायूं ने आक्रमण कर इसे जीतना चाहा लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। अंत में साल 1569 में अकबर ने किले पर फतह पाकर इसे बीरबल को उपहार के तौर पर दे दिया। बाद में ये किला बुंदेल राजा छत्रसाल के अधीन हो गया। इसके बाद ये अंग्रेजों के हाथों में चला गया।
800 फीट की ऊंचाई पर स्थित कालिंजर दूर्ग के अंदर नीलकंठ मंदिर भी स्थापित है। इतिहासकारों की मानें तो इसका निर्माण चंदेश शासक परमादित्य देव ने करवाया था। मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि समु्द्र मंथन के बाद जब भगवान शिव ने विष पिया तो उनका गला नीला हो गया। इसके बाद वो कालिंजर आए और यहीं पर उन्होंने मृत्यु पर विजय प्राप्त की। इसी कारण इस मंदिर को नीलकंठ मंदिर भी कहा जाता है।
बांदा के अन्य पर्यटन स्थल
मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित बांदा में माहेश्वरी देवी मंदिर, भूरागढ़ फोर्ट, बामदेव मंदिर, हनुमान मंदिर खत्री पहाड़ मां विंध्यावासिनी मंदिर समेत अन्य हैं।
कैसे पहुंचे
बांदा रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। बड़े शहरों से बांदा के लिए सीधी बस मिल जाएंगी। इसके अलावा बांदा रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन भी ले सकते हैं। वहीं जिले से नजदीकी एयरपोर्ट खजुराहो है।