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कानून को दरकिनार कर गिराए जा रहे मुसलमानों के मकान, बाबा के बुलडोजर पर पर्सनल लॉ बोर्ड का निशाना?

लखनऊ में नदवा कालेज परिसर में रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक हुई। इसमें मुसलमानों को लेकर बिना नाम लिए यूपी में चल रही बुलडोजर की कार्रवाई पर निशाना साधा गया।

कानून को दरकिनार कर गिराए जा रहे मुसलमानों के मकान, बाबा के बुलडोजर पर पर्सनल लॉ बोर्ड का निशाना?
Yogesh Yadavहिन्दुस्तान,लखनऊSun, 05 Feb 2023 09:54 PM

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लखनऊ में नदवा कालेज परिसर में रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक हुई। इसमें बिना नाम लिए यूपी में चल रही बुलडोजर की कार्रवाई पर निशाना साधा गया। बोर्ड के महासचिव ने कहा कि कानून इंसानी सामाज को सभ्य बनाता है और जालिमों को इंसाफ के कठघरे में खड़ा करता है। इसलिए जरूरी है कि कानून को अपने हाथ में न लें लेकिन बदकिस्मती से देश में कानून पर पूरी तरह से अमल किए बगैर मकानों को गिराया जा रहा है। विरोध करने के संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करने वालों को गिरफ्तार किया जाता है और जुल्म साबित किए बिना वर्षों जेल में डाल दिया जाता है। इसकी हम सख्त शब्दों में निन्दा करते हैं। 

बैठक में कहा गया कि देश के संविधान की बुनियाद बराबरी, इंसाफ और आजादी पर है। इन उसूलों को कायम रखना हुकूमत की भी जिम्मेदारी और न्यायालय की भी। इसलिए अदालतों से यह अपील की जाती है कि वह कमजोर नागरिकों और अल्पसंख्यकों के ऊपर होने वाले अन्याय का जायजा लें क्योंकि अदालतें ही अवाम के लिए उम्मीद की आखिरी किरण हैं।

बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैय्यद राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में बोर्ड कार्यकारिणी की बैठक हुई। इसमें पारित प्रस्ताव में कहा गया कि धर्मस्थलों से संबंधित 1991 का कानून खुद हुकूमत का बनाया हुआ कानून है, जिसे संसद ने पास किया है, उसे कायम रखना सरकार का कर्तव्य है और इसमें देश का फायदा भी है।

कहा कि वर्ष 1991 में संसद से पास किए गए धर्मस्थल विधेयक और उसके बाद रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले की शुचिता बनाई रखी जाए। देश में किसी भी अन्य धार्मिक स्थल का विवाद न उठाया जाए वरना इससे आपसी भाईचारे और सद्वाव पर आंच आएगी और देश की अदालतों में मुकदमे बढ़ेंगे।

बोर्ड ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकारें कॉमन सिविल कोड लागू करने से परहेज करें। मुसलमानों को नसीहत देते हुए बोर्ड ने कहा कि वे पर्सनल लॉ और शरीअत का पूरी तरह से पालन करें और महिलाओं को उनके वाजिब हक से वंचित न करें।

बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफ उल्लाह रहमानी ने बताया कि समान नागरिक संहिता पर चल रही बहस के बाबत बोर्ड में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि देश के संविधान में बुनियादी अधिकारों के मामले में हर शहरी को अपने धर्म पर अमल करने की आजादी है। इसमें पर्सनल लॉ शामिल है। इसलिए हुकूमत से अपील है कि वह आम नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करे। समान नागरिक संहिता को लागू करना एक गैर लोकतांत्रिक कदम होगा। 

बोर्ड ने कहा है कि यह इतने बड़े विभिन्न धर्मों के देश में असम्भव है और न ही इससे देश को कोई लाभ होगा। इसलिए बोर्ड की यह बैठक, जिसमें तमाम मुस्लिम संगठन शामिल हैं, हुकूमत से अपील करता है कि वह अपने इस इरादे को छोड़ दे और देश की मूल समस्याओं पर ध्यान दे।

नफरत का जहर घोलने का आरोप

प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि देश में नफरत का जहर घोला जा रहा है जो नुकसानदेह है। स्वतन्त्रता संग्राम और संविधान के बनाने वालों ने इस देश के लिए जो रास्ता तय किया था यह उसके बिल्कुल खिलाफ है। यहां सदियों से हर धर्म के मानने वाले, विभिन्न जुबानों और सभ्यताओं से संबंध रखने वालों ने देश की खिदमत की है और देश को आगे बढ़ाने में बराबर का हिस्सा लिया है। अगर यह भाई चारा खत्म हो गया तो देश का बड़ा नुकसान होगा। इसलिए कि यह बैठक हुकूमत, मजहबी रहनुमाओं, दानिश्वरों, कानून दानों, सियासी रहनुमाओं और मीडिया के लोगों से अपील करता है कि नफरत की इस आग को बुझाने की कोशिश करें।
 
 

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