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मुंबई के क्लीनिक में बम बनाता था आतंकी डॉ. जलीस अंसारी 

कुख्यात आतंकी डॉ. जलीस अंसारी मुंबई स्थित अपने क्लीनिक में ही बम बनाता औऱ नए-नए प्रयोग करता था। एक तरह से यह क्लीनिक बम बनाने की प्रयोगशाला थी। आतंक की दुनिया में उसे  डॉक्टर बम के नाम से जाना...

मुंबई के क्लीनिक में बम बनाता था आतंकी डॉ. जलीस अंसारी 
गौरव चतुर्वेदी, कानपुर।Sun, 19 Jan 2020 09:36 AM
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कुख्यात आतंकी डॉ. जलीस अंसारी मुंबई स्थित अपने क्लीनिक में ही बम बनाता औऱ नए-नए प्रयोग करता था। एक तरह से यह क्लीनिक बम बनाने की प्रयोगशाला थी। आतंक की दुनिया में उसे  डॉक्टर बम के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि उसे बम बनाने की तकनीक अब्दुल करीम टुंडा ने दी। टुंडा के साथ वह पाकिस्तान भी जा चुका है। टुंडा के आईएसआई नेटवर्क का इस्तेमाल कर वह लश्कर, सिमी समेत कई प्रतिबंधित संगठनों के सीधे संपर्क में आया।

अंसारी ने 1984 में एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर ली थी। इसके बाद उसने मुंबई महानगर पालिका के अस्पताल में डॉक्टरी शुरू की। शाम के वक्त वह एक निजी क्लीनिक में मरीज भी देखता था। क्लीनिक चलाने के अलावा डॉक्टर मुंबई के बाईकुला में अहले अदीस संगठन का उपाध्यक्ष भी रहा। उपाध्यक्ष रहते हुए अंसारी की मुलाकात वारंगल के आसिम बहारी से हुई थी। आसिम पाकिस्तान से ट्रेनिंग लेकर आया था और भारत में छिपकर रह रहा था।

क्रश इंडिया मूवमेंट की शुरुआत 
80 के दशक में डाक्टर और आसिम के बीच अच्छी दोस्ती हो चुकी थी। इसी दौरान इन लोगों ने देश में नफरत फैलाने को लेकर बड़ी योजना तैयार की। इस योजना को इन लोगों ने नाम दिया क्रश इंडिया मूवमेंट।  मूवमेंट शुरू तो हुआ लेकिन उसे अंजाम कैसे दिया जाए इसे लेकर इनकी प्लानिंग सटीक नहीं थी। हालांकि बम बनाने का तरीका मोटे तौर पर आसिम बहारी ने डॉक्टर को बता दिया था।

करीम टुंडा ने सिखाया बम बनाना   
क्रश इंडिया मूवमेंट को आगे बढ़ाने के दौरान डाक्टर की मुलाकात अब्दुल करीम टुंडा से हुई। सन 1985 में टुंडा से मुलाकात के बाद अंसारी का खौफनाक चेहरा सामने आया। टुंडा ने उसे टाइम बम से लेकर आरडीएक्स के इस्तेमाल के बारे में बताया। इसके बाद जलीस ने अपना दिमाग से इस तकनीक को और विकसित किया और ऐसे टाइम बम बनाए जो सेट टाइम पर ही फटते थे।

100 से ज्यादा लोगों को तैयार किया
अंसारी तकनीकी रूप से तो ताकतवर था ही ब्रेन वॉश करने में भी उसका कोई विकल्प नहीं था। 93 में बड़े धमाके करने से पहले उसने 100 से अधिक युवाओं का ब्रेन वॉश कर उन्हें अपने मूवमेंट में शामिल कर लिया था। उसके एक इशारे पर भटके हुए युवा जान देने लेने को तैयार रहते थे।

डोरियर के सहारे पकड़ गया अंसारी 
एसटीएफ के मुताबिक डॉ. जलीस अंसारी ने 1991 से 1992 के बीच कानपुर के चक्कर लगाए थे। तब भी वह ऊंची मस्जिद के पास ही रुका था और वहीं पर अपने लोगों के साथ नमाज अदा करता था। इस दौरान एटीएस समेत अन्य खुफिया एजेंसियां इसके बारे में जानकारियां जुटा रही थीं। उस दौरान ही इसका डोरियर (रिकार्ड) तैयार किया गया था। यह वर्तमान में एटीएस समेत अन्य एजेंसियों का पास मौजूद था। जब मुंबई से वह लापता हुआ तो एटीएस ने उसके पुराने ठिकानों को खंगालना शुरू किया। इसमें कानपुर प्रमुख ठिकाना था। इसी आधार पर एसटीएफ ने उसे इतनी जल्दी गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल कर ली।

दोनों दोस्तों की कुंडली खंगाल रही एसटीएफ
एसटीएफ अंसारी के फेथफुलगंज में रहने वाले दोस्त अब्दुल रहमान और अब्दुल कय्यूम की कुंडली भी खंगाली रही है। बताया जाता है कि रहमान की मौत हो चुकी है और कय्यूम शहर में नहीं है। कय्यूम इस वक्त कहां और किस हालत में है इस संबंध में एसटीएफ के पास सटीक जानकारी नहीं है। अब एसटीएफ पता लगा रही है कि रहमान और कय्यूम के परिजनों का फेथफुलगंज से कोई वास्ता है या नहीं। बताते हैं कि अंसारी इन्हीं के साथ ऊंची मस्जिद में नमाज अदा करता था। इस संबंध में मुंबई एटीएस से भी डिटेल मांगी गई हैं। कहीं किसी रिकार्ड में उसके दोस्तों का नाम तो नहीं आया है। 

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