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रेप के ‘हथियार’ से कर रहे दुश्‍मनों का शिकार, जांच में मिल रही क्लीन चिट

आधी आबादी पर बुरी नजर रखने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बच्चियों संग हैवानियत के आंकड़ें भी चिंताजनक हैं। महिला अपराधों पर बने सख्त कानून के चलते गुनहगार तेजी से शिकंजे के पीछे भेजे जा रहे...

रेप के ‘हथियार’ से कर रहे दुश्‍मनों का शिकार, जांच में मिल रही क्लीन चिट
विवेक पांडेय ,गोरखपुर Mon, 01 Mar 2021 08:33 AM
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आधी आबादी पर बुरी नजर रखने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बच्चियों संग हैवानियत के आंकड़ें भी चिंताजनक हैं। महिला अपराधों पर बने सख्त कानून के चलते गुनहगार तेजी से शिकंजे के पीछे भेजे जा रहे हैं। वहीं इस सख्त कानून की आड़ में आपसी रंजिश या फिर ब्लैकमेल करने में रिश्तों का भी ‘रेप’ हो रहा है। आलम यह है कि वर्ष 2017 से 2019 तक रेप के आरोप में 217 बेगुनाह जेल जा चुके हैं। इनको विवेचना में क्लीनचिट मिल चुकी है या वे कोर्ट से दोषमुक्त हो चुके हैं। हालांकि 2020 के आंकड़ों की पड़ताल जारी है लेकिन यह आंकड़े भी कम नहीं है इसकी गवाही चार केस दे रहे हैं।

महिला अपराध से जुड़े मामलों में पुलिस-प्रशासन काफी सख्त है। पीड़िता के बयान को आधार मानकर तत्काल गिरफ्तारियां की जा रही हैं। वहीं कुछ महिलाएं या उनके परिचित इसका फायदा फर्जी तरीके से रेप या छेड़खानी के आरोप में फंसाने में भी कर रहे हैं। पुलिस विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 से 2019 तक 217 लोग रेप के फर्जी आरोप में जेल चले गए थे। इनमें से 198 को पुलिस ने अपनी विवेचना में क्लीनचिट दी। जांच के दौरान पता चला कि अपनी दुश्मनी निकालने या फिर ब्लैकमेल कर पैसा वसूलने के लिए उन्हें फंसाया गया था। वहीं 19 ऐसे मामले आए जिसमें पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दिया था पर कोर्ट ने सबूतों और साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों को निर्दोष पाते हुए बरी कर दिया। 2020 में भी रेप की शिकायत या फिर जेल जाने वालों की संख्या 50 से कम नहीं है।

केस एक

गोरखपुर केे पीपीगंज में पैरा मेडिकल कालेज के डायरेक्टर शंभू शरण गुप्ता के खिलाफ उन्हीं के कालेज में पढ़ने वाली छात्रा ने रेप का मुकदमा दर्ज कराया। मुकदमें में छात्रा का आरोप था कि डायरेक्टर ने शादी का झांसा देकर एक साल से शारीरिक संबंध बनाया अब शादी करने से मुकर रहे हैं। पुलिस ने डायरेक्टर को हिरासत में लिया। जांच शुरू हुई, तीन दिन बाद छात्रा अपने बयान से बदल गई। मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान में उसने मुकदमें में दर्ज कराए सारे आरोपों को गलत बताया। छात्रा के बयान के बाद डायरेक्टर को क्लीन चिट मिल गई और वे जेल जाने से बच गए। डायरेक्टर का कहना था कि छात्र को स्कूल के एक शिक्षक ने बरगलाया था। उन्होंने शिक्षक को निकाल दिया है और उसके ऊपर मानहानी के लिए विधिक राय ले रहे हैं।

 

केस दो

कैम्पियरगंज की एक युवती ने अपने गांव के तीन बेगुनाहों पर गैंगरेप का केस दर्ज कराया। युवती ने आरोप लगाया था कि गांव के तीन युवकों ने उसे अगवाकर नेपाल के एक चकला घर में बेच दिया था। वहां से वह किसी तरह से बचकर घर लौटी। युवती की शिकायत पर पुलिस ने तीनों युवकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। तीनों बेगुनाहों को पुलिस ने विवेचना में क्लीनचिट दे दी। जांच में पता चला कि लड़की अपने मौसी के घर गई थी। क्लीनचिट मिलने तक तीनों युवक महीने भर की जेल काट चुके थे।

केस तीन

एक महिला...रेप के तीन मुकदमे...और हर बार कहानी बिल्कुल एक जैसी...। मामला शाहपुर का है। अदालत के सामने रेप के एक मुकदमे में जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान यह तथ्य पकड़ में आया। इस पर अदालत भी चौंक गई और एक जैसी स्क्रिप्ट लिखने वाली इस महिला के बारे में उच्चस्तरीय जांच का आदेश दे डाला। साथ ही जेल में बंद डा. राजेन्द्र सिंह को जमानत दे दी जिस पर रेप का मामला दर्ज कराया गया था। हनी ट्रैप का यह चौंकाने वाला मामला अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में आया था।

 

केस चार

चिलुआताल के रहने वाले एक व्यक्ति के खिलाफ कैम्पियरगंज की रहने वाली महिला ने रेप का मुकदमा दर्ज कराया। महिला का आरोप था कि वह कैम्पियरगंज से चिलुआताल में बर्तन साफ करने आती थी। चिलुआताल के व्यक्ति ने उसे अपने घर ले जाकर रेप कर दिया। केस दर्ज करने के बाद चार्जशीट तक दाखिल कर दी गई लेकिन पीड़ित ने एलआईयू की जांच कराई तो संदेह नजर आया। एडिशनल एसपी ने जांच शुरू की तो पता चला कि महिला ने खुद को दलित बताकर रेप का केस दर्ज कराया था जबकि वह दलित नहीं है। वहीं उम्र भी उसने अलग-अलग दर्शाया था। पुलिस से क्लीनचिट मिलने के बाद पीड़ित को जमानत मिली।

 

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