अनन्या दीक्षित की मौत की होगी सीबीआई जांच, हॉस्टल में पंखे से लटकी मिली थी एमबीबीएस छात्रा की लाश
बरेली स्थित श्रीराम मूर्ति मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाली अनन्या दीक्षित की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने CBI जांच के आदेश दिए हैं। दरअसल 2017 में छात्रा का हॉस्टल में पंखे से लटका शव मिला था।

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उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित श्रीराम मूर्ति मेडिकल कॉलेज (एसआरएमएस) में पढ़ने वाली एमबीबीएस की छात्रा अनन्या दीक्षित की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। जांच एजेंसियों की विरोधाभासी रिपोर्ट के चलते न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और सुधांशू धूलिया की पीठ ने सीबीआई को जांच के बाद रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
नोएडा के सेक्टर- 62 के गेल अपार्टमेंट में रहने वाले इंजीनियर अनादि दीक्षित की इकलौती बेटी अनन्या दीक्षित ने 24 अगस्त 2017 को भोजीपुरा के एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया था। एडमिशन के बाद अनन्या 28 अगस्त 2017 को दोबारा मेडिकल कॉलेज पहुंची और उसे गर्ल्स हॉस्टल का कमरा नंबर 4 आवंटित किया गया था। इसके बाद 6 सितंबर 2017 की दोपहर हॉस्टल के कमरे में पंखे में बंधे दुपट्टे के सहारे उसका शव लटका मिला था।
इस मामले में अनादि दीक्षित ने थाना भोजीपुरा में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें पुलिस ने दो आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। लेकिन इसके बाद आरोपी पक्ष ने शासन से सीबीसीआईडी जांच के आदेश करा लिए। सीबीसीआईडी की जांच में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई। इसी आधार पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआई जांच कराने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और सुधांशू धूलिया की पीठ ने दो विरोधाभासी रिपोर्ट को आधार मानते हुए इस मामले में सीबीआई को जांच करके रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
पुलिस ने दो के खिलाफ लगाई चार्जशीट
अनादि दीक्षित ने बताया कि उन्होंने थाना भोजीपुरा में एसआरएमएस प्रबंधन के खिलाफ आत्महत्या को उकसाने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने विवेचना के दौरान कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ. आरसी पुरी और डेंटल के छात्र सुखवीर सिंह के खिलाफ चार्जशीट लगाई थी। अब दोनों ही आरोपी जमानत पर हैं।
सीबीसीआईडी ने लगाई फाइनल रिपोर्ट
छात्रा के पिता के मुताबिक भोजीपुरा पुलिस ने 30 अक्तूबर 2018 को चार्जशीट लगाई थी, जिसका 27 नवंबर 2018 को कोर्ट ने संज्ञान भी ले लिया। इसी बीच आरोपी पक्ष ने शासन से सीबीसीआईडी जांच का आदेश करा लिया जबकि उन्होंने कोर्ट में प्रदेश स्तर की किसी भी एजेंसी से जांच न कराने का प्रार्थना पत्र दिया था। बाद में सीबीसीआईडी ने इसमें फाइनल रिपोर्ट लगा दी।