Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़SP chief Akhilesh Yadav also came on CBI radar summoned in illegal mining directed to appear tomorrow

सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भी मिला सीबीआई का समन, गवाही के लिए पेश होने का निर्देश, यह है मामला

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी सीबीआई के रडार पर आ गए हैं। अवैध खनन के मामले में सीबीआई ने अखिलेश यादव को बतौर गवाह पूछताछ के लिए समन जारी किया है। सपा ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया है।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तान, लखनऊWed, 28 Feb 2024 04:25 PM
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सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भी मिला सीबीआई का समन, गवाही के लिए पेश होने का निर्देश, यह है मामला

सपा प्रमुख अखिलेश यादव को सीबीआई ने अवैध खनन के मामले में नोटिस जारी किया है। अखिलेश को कल यानी 29 फरवरी को दिल्ली में पेश होने के लिए समन दिया गया है। अखिलेश को इस मामले में बतौर गवाह पेश होना है। यह मामला अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहने के दौरान का है। उस समय अखिलेश यादव के पास ही खनन मंत्री का भी प्रभार था। इस मामले में रोक के बाद भी खनन का ठेका देने का आरोप है। 2016 से खनन घोटाले की जांच चल रही है। हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच का आदेश दिया था। 

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले समन को राजनीतिक नजरिए से भी देखा जा रहा है। ऐसे में मामले के गरमाने की आशंका जताई जा रही है। अखिलेश यादव इससे पहले भी मोदी सरकार पर सीबीआई और ईडी के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाती रही है। सपा के एक नेता ने अखिलेश के समन को भी राजनीति से प्रेरित बताया है। कहा कि चुनाव से ठीक पहले सीबीआई और ईडी इसी तरह से एक्टिव हो जाती है। 

अखिलेश सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति पर भी कई तरह के आरोप लगे थे। लंबे समय से वह जेल में ही हैं। उनके चुनाव नहीं लड़ने की स्थिति में सपा ने उनकी पत्नी को टिकट दिया और विधायक भी बनी हैं। सोमवार को हुए राज्यसभा चुनाव में मतदान से ठीक पहले वह गैरहाजिर भी रहीं। इसे एक तरह से भाजपा की मदद के रूप में देखा जा रहा है। 

क्या है आरोप
अधिकारियों ने बताया कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 160 के तहत जारी नोटिस में सीबीआई ने अखिलेश को 2019 में दर्ज मामले के संबंध में पेश होने के लिए कहा है। इस धारा के तहत जांच में गवाहों को बुलाने की अनुमति होती है। मामला ई-निविदा प्रक्रिया का कथित उल्लंघन कर खनन पट्टे जारी करने से संबंधित है। 

आरोप है कि 2012-16 के दौरान जब अखिलेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तो लोकसेवकों ने अवैध खनन की अनुमति दी और खनन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद अवैध रूप से लाइसेंस का नवीनीकरण किया गया। यह भी आरोप है कि अधिकारियों ने खनिजों की चोरी होने दी, पट्टाधारकों और चालकों से पैसे वसूले।

खनिजों के अवैध खनन के मामले की जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने 2016 में सात प्रारंभिक मामले दर्ज किए थे। अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय ने एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि अखिलेश यादव के पास कुछ समय तक खनन विभाग भी था। ई-निविदा प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए 14 पट्टों को मंजूरी दी थी। इनमें से 13 को 17 फरवरी 2013 को मंजूरी दी गई थी।

सीबीआई ने दावा किया कि 17 फरवरी 2013 को 2012 की ई-निविदा नीति का उल्लंघन करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद हमीरपुर की जिलाधिकारी बी. चंद्रकला द्वारा पट्टे दिए गए थे।

एजेंसी ने 2012-16 के दौरान हमीरपुर जिले में खनिजों के कथित अवैध खनन की जांच के सिलसिले में आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला, समाजवादी पार्टी (सपा) के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) रमेश कुमार मिश्रा और संजय दीक्षित (जिन्होंने बसपा के टिकट पर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था) सहित 11 लोगों के खिलाफ अपनी प्राथमिकी के संबंध में जनवरी 2019 में 14 स्थानों पर तलाशी ली थी। 

प्राथमिकी के अनुसार अखिलेश 2012 और 2017 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री थे और 2012-13 के दौरान खनन विभाग उनके पास था। इससे जाहिर तौर पर उनकी भूमिका संदेह के घेरे में आ गई। साल 2013 में उनकी जगह गायत्री प्रजापति ने खनन मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था। उन्हें चित्रकूट निवासी एक महिला द्वारा बलात्कार का आरोप लगाए जाने के बाद 2017 में गिरफ्तार कर लिया गया था।

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