क्या हराम, क्या हलाल, पहले साफ करें, योगी सरकार पर जमीयत के बाद सपा सांसद बर्क भड़के
सपा सांसद डा. शफीकुर्रहमान बर्क ने यूपी सरकार के हलाल उत्पादों पर बैन को लेकर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि पहले सरकार साफ करे कि क्या हराम है और क्या हलाल है।
यूपी के संभल से सपा सांसद डा. शफीकुर्रहमान बर्क ने बुधवार को यूपी सरकार के हलाल उत्पादों पर बैन को लेकर आपत्ति जताई है। सांसद ने कहा है कि इस्लाम में एक मसला है। अल्लाह के नाम पर जो जिबह की जाएगी वह हलाल है और जो अल्लाह के नाम पर नहीं है वह हराम है। इस पर सरकार ने कोई पॉलिसी नहीं बनाई है। सरकार को पहले पॉलिसी बनाकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
सपा सांसद डॉ. बर्क ने कहा कि इस पर एक कमेटी बनाई जानी चाहिए, जो साफ करे कि क्या हराम है और क्या हलाल है। इससे जनता का जहन साफ होगा और सबको पता भी चल जाएगा। जो हलाल खाना चाहते हैं, वह हलाल लेंगे और जो नहीं खाना चाहते हैं वह नहीं लेंगे। सरकार ने ऐसी पालिसी क्यों नहीं बनाई। मुसलमान हलाल खाने वाले हैं, दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं, जो हलाल और हराम को नहीं देखते हैं उनकी सोच अलग है। हलाल क्या है, हराम क्या है। इसे चेक करने के लिए सरकार को पॉलिसी बनानी चाहिए। वह पॉलिसी बनाकर तय करे कि यह हलाल है और यह हराम है वरना इसका असर सरकार की पूरी पालिसी पर पड़ता है। आम लोगों के रहन-सहन और जिंदगी के दूसरे हिस्सों पर भी असर पड़ता है।
यूपी सरकार के फैसले के विरूद्ध कोर्ट जाएगा जमीयत
यूपी सरकार द्वारा हलाल प्रमाणित उत्पादों की रोक के बाद प्रशासन ने कार्रवाई के लिए टीमों का गठन कर दिया है। तो वहीं दूसरी तरफ जमियत इसके विरोध में कोर्ट जाने का फैसला लिया है। जमीयत उलमा-ए-हिंद (महमूद मदनी) के हलाल ट्रस्ट के सीईओ मौलाना नियाज फारूखी ने 2010 से मान्यता प्राप्त होने का दावा करते हुए प्रतिबंध के खिलाफ कोर्ट जाने की बात कही है। उनके वकील ने बताया कि भारतीय कृषि उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण यानी एपीडा और दनियाभर के भारतीय दूतावासों की निकटता से सहयोग करते हुए वैश्विक बाजारों में भारतीय हलाल प्रमाणित उत्पादों को सक्रिया रूप से बढ़ावा दिया है।
मौलाना नियाज फारूखी ने कहा कि सभी हलाल प्रमाणन निकायों को एनएबीसीबी द्वारा पंजीकृति होना जरूरी है जोकि जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट ने हासिल किया है। बता दें कि विदेशों में मांस का निर्यात करने वाली कंपनी हलाल मांस के सर्टिफिकेट के बाद ही खाड़ी के देशों में भेजती है।
