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34 हजार रूपये के लिए राजेश साहनी ने टाल दिया था अपना ऑपरेशन

वर्ष 1969 में बिहार में जन्मे राजेश साहनी ने वर्ष 1992 में यूपी पुलिस में बतौर पीपीएस अधिकारी अपनी नौकरी शुरू की। वह बतौर सीओ जहां-जहां तैनात रहे, लोगों का दिल जीतते रहे। लोग उनके सरल और शांत स्वभाव...

34 हजार रूपये के लिए राजेश साहनी ने टाल दिया था अपना ऑपरेशन
वरिष्ठ संवाददाता ,लखनऊWed, 30 May 2018 01:51 PM
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वर्ष 1969 में बिहार में जन्मे राजेश साहनी ने वर्ष 1992 में यूपी पुलिस में बतौर पीपीएस अधिकारी अपनी नौकरी शुरू की। वह बतौर सीओ जहां-जहां तैनात रहे, लोगों का दिल जीतते रहे। लोग उनके सरल और शांत स्वभाव की मिसाल देते नहीं थकते। बहराइच सीओ सिटी पद से जब उनका तबादला हुआ तो बहराइच की जनता तबादला रोकने की मांग पर अड़ गई थी। इसके बाद लखनऊ में वह बतौर सीओ कैसरबाग और सीओ चौक तैनात रहे थे।

दंगा भड़का तो अहम भूमिका निभाई
 कैसरबाग में तैनाती के समय दंगा भड़क गया था। इसमें उन्होंने अहम भूमिका निभाते हुये दोनों पक्षों को न सिर्फ शांत कराया था बल्कि दूसरे दिन ही सबको अपने सामने गले तक मिलवा दिया था। वर्ष 2013 में उनका एडिशनल एसपी के पद पर प्रमोशन हुआ। इसके बाद उन्होंने करीब दो वर्ष तक एनआईए में सवाएं दी और जुलाई 2014 में यूपी एटीएस में जिम्मेदारी संभाली।  

अधिकतर ऑपरेशन खुद किए लीड 
राजेश साहनी स्वभाव से जितने सरल और शांत थे। उतने ही बहादुर और निडर अधिकारी भी थे। 7 मार्च 2017 को उन्होंने काकोरी की हाजी कालोनी में खुरासान माड्यूल से जुड़े सैफउल्ला को कई घंटे चले ऑपरेशन के बाद मार गिराया था। एनकाउंटर के दौरान मौजूद एक अधिकारी ने बताया कि जिस वक्त एटीएस और सैफउल्ला के बीच मुठभेड़ चल रही थी।  राजेश साहनी बिना बुलेट प्रूफ जैकेट के सबसे आगे खड़े थे। इसके अलावा वह एटीएस के अधिकतर ऑपरेशन को खुद लीड करते थे। 

लोगों के हुजुम से भर गया एटीएस ऑफिस 
एडिशनल एसपी राजेश सहानी की मौत की खबर जिसने भी सुनी वह अवाक रह गया। उनके साथ काम करने वाले हर कर्मचारी और अधिकारी मौत की खबर पाकर एटीएस दफ्तर पहुंच गए। लोग इस बात का यकीन नहीं कर पा रहे थे कि राजेश साहनी जैसा बहादुर और शांत मिजाज का इंसान आत्महत्या कर सकता है। कुछ लोगों तो यह कह बैठे कि अगर राजेश साहनी जैसा इंसान टूट सकता है तो फिर कोई भी इंसान आत्महत्या कर सकता है।  

34 हजार के लिए टाला था ऑपरेशन 
राजेश साहनी की मौत के बाद उनके परिचित सकते में आ गए। पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचे उनके करीबियों ने बताया कि जब वह सीओ कैसरबाग के पद पर तैनात थे तो उन्होंने अपना एक ऑपरेशन कराया था। उनका चेकअप करने वाले निजी डॉक्टर ने उन्हें ऑपरेशन की सलाह दी थी। इस ऑपरेशन में करीब 34 हजार रुपये खर्च आना था। रुपये सुनकर वह ऑपरेशन की बात को टाल गए। डॉक्टर के काफी कहने पर राजेश साहनी ने अपना ऑपरेशन कराया और तीन महीने में तीन किश्तों में उन्होंने डॉक्टर के रुपये अदा किए। 

याद किए जाएंगे जांबाजी के ये किस्से 
मई 2018: इस्लामाबाद के भारतीय उच्चआयोग के अधिकारी के घर दो साल रहकर आईएसआई के लिए जासूसी करने वाले रमेश सिंह को पिथारौगढ़ से गिरफ्तार किया। 

सितम्बर 2017: कई बंग्लादेशी घुसपैठियों की धरपकड़ करके अहम खुलासे किए। जिनका सम्बंध बंग्लादेश के आतंकवादी संगठन अंसारउल्ला बंग्ला टीम से था।  

अगस्त 2017: बब्बर खालसा से जुड़े उग्रवादी जसवंत सिंह काला को उन्नाव के एक फार्म हाउस से गिरफ्तार किया। 

मई 2017: फैजाबाद से आईएसआई एजेंट आफताब को पकड़ा। आफताब की गिरफ्तारी से आईएसआई के कई स्लीपिंग माड्यूल का खुलासा हुआ था।  

वर्ष 2013: एनआईए (नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी) में तैनाती के दौरान असलहा तस्करों के गैंग की कमर तोड़ने में अहम भूमिका निभाई। इस कार्रवाई से नक्सलियों को होने वाली असलहे की आपूर्ति बाधित हो गई। 
 

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