यूपी : खूंखार जानवरों से नहीं डरता है 11 साल का बच्चा, बाघ और तेंदुआ भी देखकर लेते हैं अंगड़ाई
यूं तो मानव-बाघ संघर्ष की घटनाएं बढ़ गई हैं। इन घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए लंबे चौड़े दावे भी हैं। नित नए उपाय खोजे जा रहे हैं, लेकिन कोई स्थायी हल नहीं निकल पा रहा है। इन सबके बीच एक अच्छी खबर है।...
यूं तो मानव-बाघ संघर्ष की घटनाएं बढ़ गई हैं। इन घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए लंबे चौड़े दावे भी हैं। नित नए उपाय खोजे जा रहे हैं, लेकिन कोई स्थायी हल नहीं निकल पा रहा है। इन सबके बीच एक अच्छी खबर है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के महोफ रेंज दफ्तर से कुछ दूरी पर चाय की दुकान पर अपने दादा की मदद करने वाला मासूम गोपी किशन बाघ का अच्छा दोस्त है। बाघ और तेंदुए उससे अच्छी तरह जानते और पहचानते हैं पर आज तलक कोई हमला नहीं किया।
महोफ गेट पर इंट्री प्वाइंट के नजदीक बने तालाब में जब बाघ पानी पीने के लिए आता है। मरौरी ब्लाक क्षेत्र के परिषदीय विद्यालय महोफ में कक्षा छह का 11 वर्षीय मासूम छात्र गोपी किशन पुत्र भगवान दास यहां अपने दादा के साथ चाय की दुकान पर आता जाता है। कोरोना संक्रमण की वजह से स्कूल में छुट़्टी चल रही है। ऐसे में गोपी किशन अपने बाबा चुन्नीलाल की चाय की दुकान पर मदद कर समय का उपयोग कर रहा है। दुकान पर आने वाले ग्राहकों को चाय बनाकर पिलाने का काम करता है। अभी तक स्कूल की किताबों में ही बाघ के बारे में पढ़ा था, लेकिन उसे असलियत में बाघ के बारे में काफी कुछ पता है। कहता है कि तालाब में पानी पीने के लिए यहां सुबह और शाम में बाघ आता है। लोग डरते हैं पर मैं तो उससे नहीं डरता। वह आता है और चुपचाप पानी पीकर एक अंगडाई लेता है और मेरी तरफ निहार कर वापस चला जाता है। गोपी ने बताया तेंदुआ भी आता है यहां।
एक और अच्छा पड़ोसी है गुडडा
वन विभाग का वेतनभोगी गुडडा भी यहां महोफ गेट पर तैनात है। वह भी बाघ और तेंदुए के बारे में बताते हैं। गुडडा के बारे में हर कोई जानता है। अधिकारी और कर्मी साथ ही आने वाले सैलानी भी गुडडा के दिलचस्प व्यक्तित्व के बारे में काफी कुछ जानने के लिए लालयित रहते हैं। दरअसल गुडडा और वन्यजीव एक दूसरे के काफी नजदीक हैं। गुडडा की बगैर अनुमति के महोफ गेट से कोई भी जंगल में इंट्री नहीं पा सकता। गुडडा के बारे में अफसर भी कहते हैं कि फर्ज और दायित्व को लेकर ऐसे जुझारू लोग महकमे की शान हैं।
