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सपा को झटका, MLC वीरेंद्र सिंह बेटे मनीष के साथ भाजपा में शामिल

आखिरकार सपा एमएलसी वीरेंद्र सिंह और उनके बेटे मनीष चौहान ने भाजपा का दामन थाम ही लिया। लखनऊ में भाजपा कार्यालय पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय के समक्ष...

सपा को झटका, MLC वीरेंद्र सिंह बेटे मनीष के साथ भाजपा में शामिल
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSat, 30 Mar 2019 09:43 PM
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आखिरकार सपा एमएलसी वीरेंद्र सिंह और उनके बेटे मनीष चौहान ने भाजपा का दामन थाम ही लिया। लखनऊ में भाजपा कार्यालय पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय के समक्ष पिता-बेटा ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इससे भाजपा ने साथ कई निशाने साधने का प्रयास किया है। 

सपा एमएलसी वीरेंद्र सिंह कैराना लोकसभा से सपा के दावेदारों में शामिल थे, लेकिन पार्टी मुखिया अखिलेश यादव द्वारा उनके बजाय तबस्सुम हसन को तवज्जो दी। तब से ही वीरेंद्र सिंह पार्टी से खफा चल रहे थे। हालांकि पार्टी छोड़ने के संकेत तो उन्होंने उसी समय से दे दिए थे। उन्होंने अपने पैतृक गांव जसला में समर्थकों की पंचायत भी बुलाई थी, तब से ही उनके भाजपा में शामिल होने के कयास शुरू हो गए थे। 

वीरेंद्र सिंह और उनके बेटे मनीष चौहान कई दिनों तक दिल्ली में रहे। भाजपा ने लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी की थी तो उसमें कैराना सीट को होल्ड कर देने से भी मृगांका सिंह के साथ वीरेंद्र सिंह को भी प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन 21 फरवरी को पार्टी हाईकमान द्वारा जब कैराना से प्रदीप चौधरी का प्रत्याशी घोषित कर दिया गया तो इन सब कयासों पर विराम लग गया।

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इसके साथ ही वीरेंद्र सिंह और उनके बेटे मनीष चौहान का भाजपा में शामिल होने का समय भी कुछ टल गया। बताया जा रहा है कि वीरेंद्र सिंह भाजपा के बड़े नेता के समक्ष ही सदस्यता ग्रहण करना चाहते थे। चुनावी व्यस्तता के कारण सही मौका नहीं मिल पा रहा था। शनिवार को सपा एलएलसी वीरेंद्र सिंह और उनके बेटे मनीष चौहान ने लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेशाध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय के समक्ष भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। 

छह बार विधायक रहे चुके वीरेंद्र सिंह 
सपा नेता वीरेंद्र सिंह विधानसभा परिसीमन से पूर्व कांधला विधानसभा सीट से छह बार विधायक रहे हैं। वर्ष 2002 में कांधला से उन्होंने आखिरी बार जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी बलबीर किवाना के आगे वह चुनाव हार गए थे। इसके बाद वह रालोद छोट सपा में शामिल हो गए थे। परिसीमन में कांधला सीट खत्म होकर शामली सीट अस्तित्व आयी। वर्ष 2012 में शामली से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी पंकज मलिक के आगे वह चुनाव हार गए। वीरेंद्र सिंह वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर से सपा के टिकट चुनाव लड़े, लेकिन जीत दर्ज नहीं करा सके। इसके बाद सपा ने इन्हे एमएलसी बनाया।

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2017 में बेटे मनीष चौहान ने की थी सपा से बगावत 
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सपा गठबंधन में शामली सीट कांग्रेस में खाते में आ गयी। कांग्रेस से पंकज मलिक चुनाव लड़े, जबकि इनके बेटे मनीष चौहान से पार्टी विरोध के बावजूद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। इस पर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने सख्त नाराजगी जतायी थी। उन्होंने मनीष चौहान को पार्टी से निष्कासित भी कर दिया था। इस चुनाव न तो मनीष चौहान जीत सके और नहीं कांग्रेस प्रत्याशी ्पंकज मलिक। मनीष चौहान शामली से जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके है। वर्तमान में वह जिला पंचायत पंचायत सदस्य भी हैं।
 

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