बागी विधायकों के पीछे पड़ी सपा, सदस्यता खत्म कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाने की तैयारी, पैरवी करने वालों पर भी होगा ऐक्शन
समाजवादी पार्टी बागी विधायकों की दलबदल विरोधी कानून के आधार पर सदस्यता खत्म कराने के लिए सुबूत जुटा रही है। एक ओर वह विधानसभा अध्यक्ष के यहां उनकी सदस्यता खत्म कराने की तैयारी में है।
समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले बागी विधायकों की सदस्यता खत्म कराने के लिए सपा अब उनके पीछे पड़ गई है। इन बागी विधायकों की दलबदल विरोधी कानून के आधार पर सदस्यता खत्म कराने के लिए सपा सुबूत जुटा रही है। एक ओर वह विधानसभा अध्यक्ष के यहां उनकी सदस्यता खत्म कराने की तैयारी में है, वहीं इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जाने की भी तैयारी हो रही है। इसके लिए विधिक राय ली जा रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इन बागी विधायकों की पार्टी में वापसी की संभावना से पूरी तरह इंकार कर दिया है। इनके खिलाफ सख्त तेवर अपनाते हुए उन्होंने यहां तक कह दिया कि पार्टी के जो लोग इनकी पार्टी में वापसी की पैरवी करेंगे, उनको भी पार्टी से निकाला जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक पार्टी नेतृत्व ऐन वक्त पर अपने ही खास लोगों द्वारा राज्यसभा चुनाव में पाला बदल करने व लोकसभा चुनाव में भाजपा के हमसफर बनने से क्षुब्ध है। पार्टी चाहती थी कि भाजपा संग जाने वाले यह लोग खुद ही अपनी सदस्यता छोड़ दें लेकिन किसी विधायक ने इस्तीफा नहीं। इसके विपरीत स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा छोड़ने के बाद विधान परिषद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसी साल फरवरी में यूपी में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान 7-8 सपा विधायकों ने क्रासवोटिंग की थी। ऊंचाहार सीट से विधायक मनोज पांडे ने तो चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा बीजेपी की सदस्यता भी ग्रहण कर ली हैं।
फरवरी में इन विधायकों ने दिया था भाजपा का साथ
इस साल फरवरी में हुए राज्यसभा चुनाव में तेजी से बदले घटनाक्रम में रातों-रात सपा के सात विधायकों ने भाजपा का साथ देने का निर्णय कर लिया। अगले दिन चुनाव में सपा के ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडेय, गोसाईगंज से विधायक अभय सिंह, गौरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह, कालपी के विधायक विनोद चतुर्वेदी, चायल से विधायक पूजा पाल, जलालाबाद से विधायक राकेश पांडेय और बिसौली से विधायक आशुतोष मौर्य ने खुल कर भाजपा के पक्ष में क्रासवोटिंग की। इसके अलावा अमेठी से विधायक महाराजी देवी ने भी मतदान में गैर-हाजिर रह कर एक तरह से भाजपा की ही मदद की जबकि सपा विधायक पल्लवी पटेल ने पीडीए की उपेक्षा के सवाल पर सपा से विरोध जताया।
उन्होंने सपा के दो पीडीए उम्मीदवार का समर्थन किया। मनोज पांडेय व अन्य क्रासवोटिंग करने वाले विधायकों की लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए प्रचार करने के बाबत सभाओं व रैलियों में उनकी गतिविधियों व बयानों के प्रमाण जुटाए जा रहे हैं। चूंकि राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग सदस्यता खत्म होने के आधार नहीं बनेगा। इसके आधार पर व्हिप उल्लंघन का मामला भी नहीं बनेगा। इसलिए पार्टी जिन विधायकों के खिलाफ याचिका दायर करेगी, उसमें लोकसभा चुनाव के दौरान की गतिविधियों को भी आधार बनाएगी।
सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि सपा तो इन विधायकों पर कार्रवाई कराएगी ही, अच्छा हो यह विधायक अपनी सदस्यता खुद ही छोड़ दें।
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