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नेपाल सीमा से सटे जंगलों में बनाई जाएंगी 'नो मैंस लैंड' के समानांतर सड़कें

केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर उत्तर प्रदेश की नेपाल सीमा से सटे जंगलों में सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की सभी सीमा चौकियों को जोड़ते हुए 'नो मैन्स लैंड' के समानांतर सड़कें बनाई जाएंगी। इस...

नेपाल सीमा से सटे जंगलों में बनाई जाएंगी 'नो मैंस लैंड' के समानांतर सड़कें
भाषा, बहराइचWed, 28 Jul 2021 11:43 AM

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केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर उत्तर प्रदेश की नेपाल सीमा से सटे जंगलों में सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की सभी सीमा चौकियों को जोड़ते हुए 'नो मैन्स लैंड' के समानांतर सड़कें बनाई जाएंगी। इस योजना में, यातायात को जंगल से दूर बनाए रखने के लिए वनों में 10 मीटर ऊंचे एलीवेटेड फ्लाई ओवर एवं जंगल से सटे गांव की जमीनें अधिग्रहित कर सड़कें बनाई जाएंगी।

नेपाल के सीमावर्ती कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार के प्रभागीय वनाधिकारी आकाश दीप बधावन ने बुधवार को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रदेश में भारत-नेपाल सीमावर्ती नोमैन्स लैंड के समानांतर वन क्षेत्रों में सड़कें बनाने के निर्देश दिए हैं। राष्ट्र की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनने वाली ये सड़कें नेपाल सीमावर्ती एसएसबी की सभी सीमा चौकियों से होकर गुजरेंगी। बधावन ने बताया कि उत्तर प्रदेश के बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत जिलों से जुड़ी करीब 551 किलोमीटर लम्बी नेपाल सीमा की सुरक्षा के लिए नोमैन्स लैंड के निकट सशस्त्र सीमा बल की सीमा चौकियां हैं। कतर्नियाघाट जंगल में एसएसबी की 16 बीओपी हैं। 

डीएफओ ने बताया कि कतर्नियाघाट प्रभात के वन क्षेत्र की 45 हेक्टेयर और बलरामपुर के सोहेलवा जंगल की 138 हेक्टेयर सहित प्रदेश के जंगलों व आसपास की सैकडों हेक्टेयर जमीन सड़क निर्माण के लिए ली जाएंगी। उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में सड़कें बनेंगी। उनमें कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार और नेपाल के रायल बर्दिया नेशनल पार्क को जोड़ने वाला 'खाता कारीडोर' शामिल है।

वन्य जीवन की दृष्टि से दोनों देशों में विशेष अहमियत वाले 'खाता कारीडोर' में विलुप्त होने की कगार पर अति दुर्लभ एक सींग वाले भारतीय गैंडे, जंगली हाथी, बाघ, तेंदुए, ब्लैक स्पाटेड डियर, व्हाइट स्पाटेड डियर, साइबेरियन बर्ड्स और वल्चर की बहुतायत है। डीएफओ ने बताया कि मध्य प्रदेश के कान्हा और पन्ना नेशनल पार्क तथा दिल्ली मेरठ देहरादून एक्सप्रेस वे के रास्ते में पड़ने वाले शिवालिक जंगल से होकर जाने वाली सड़कों को जमीन से 10 मीटर उठाकर एलीवेटेड फ्लाई ओवर बनाए गये हैं। अब इसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश की तराई के जंगलों में भी फ्लाई ओवर बनाने की योजना है। सरकार का मकसद है कि इन ऊंचे फ्लाई ओवर के नीचे जंगली हाथी और शेर आदि वन्यजीव बगैर किसी परेशानी और बाधा के विचरण करें तथा फ्लाई ओवर पर सुरक्षा कर्मी, अर्धसैनिक बल व वन कर्मी निर्बाध पेट्रोलिंग कर सकें।

उन्होंने बताया कि जंगल से सटी ग्राम समाज की जमीनों पर भी सड़कें बनेंगी। वन क्षेत्र से दूरी बनने से राष्ट्रीय सुरक्षा व विकास की गतिविधियों के साथ हजारों पेड़ों और जानवरों को बचाया जा सकेगा। डीएफओ ने बताया कि इस सड़क के निर्माण के दौरान और बनने के बाद वाहनों के आवागमन के कारण वन्यजीवों पर संभावित पर्यावरणीय प्रभाव कम करने के लिए केंद्र सरकार ने वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के विश्व प्रसिद्ध वन्यजीव संरक्षण विशेषज्ञों की एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति भेजकर उत्तर प्रदेश के वनों का सर्वेक्षण कराया है। यह कमेटी राष्ट्र की सुरक्षा के लिए हो रहे विकास के बीच वनों एवं वन्यजीवों की सुरक्षा के उपाय खोजेगी।

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