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महापंचायत में RLD-BKU का महामिलन, तीन दशक की राजनीतिक दूरी मिटाने की कोशिश 

अराजनीतिक भारतीय किसान यूनियन की पंचायत राजनीतिक और सामाजिक रूप से कई ताने बाने बुन गई। इस पंचायत में दल भी मिले और दिल भी। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद से ही चली आ रही खाई को पाटने की कोशिश की गई। पंचायत...

महापंचायत में RLD-BKU का महामिलन, तीन दशक की राजनीतिक दूरी मिटाने की कोशिश 
मुजफ्फरनगर हिन्दुस्तान टीमFri, 29 Jan 2021 10:14 PM
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अराजनीतिक भारतीय किसान यूनियन की पंचायत राजनीतिक और सामाजिक रूप से कई ताने बाने बुन गई। इस पंचायत में दल भी मिले और दिल भी। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद से ही चली आ रही खाई को पाटने की कोशिश की गई। पंचायत में गाजीपुर सीमा पर धरना जारी रखने के अलावा कोई बड़ा फैसला नहीं हुआ। लेकिन दो बड़े महा-मिलन भी हुए। सबसे बड़ा मिलन था-भाकियू (BKU) और रालोद (RLD) का। दूसरा मिलन था-दंगे के दंश को भूलकर दिल मिलने का। 

भाकियू और रालोद में पिछले तीन दशक से दूरी थी। यह दूरी उस वक्त शुरू हुई जब भाकियू के मुखिया महेंद्र सिंह टिकैत किसानों के बीच छा गए। अजित सिंह और महेंद्र सिंह टिकैत की कभी नहीं बनी। बागपत और मुजफ्फरनगर में अजित सिंह की हार के पीछे भी किसी न किसी रूप से भाकियू को जोड़ा गया। भाकियू का किसानों की एक बड़ी ताकत बनने का रालोद पर काफी असर हुआ। भाकियू ने एक बार अजित सिंह का चुनाव में साथ भी दिया लेकिन बाद में दोनों में खटक गई।

चुनावी हार से बनी खाई
2019 लोकसभा चुनावों में मुजफ्फरनगर सीट से रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह वर्तमान में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान से हार गए। इस हार को भी भाकियू से जोड़ा गया। पिछले दिनों जयंत चौधरी पर कथित लाठीचार्ज के मुद्दे पर भाकियू खुलकर रालोद के साथ आई। रालोद ने भी नरमी दिखाई और भाकियू को साथ लेने का प्रयास किया। 

सिर्फ अजित ने साथ दिया: राकेश टिकैत
गाजीपुर सीमा पर बदले घटनाक्रम ने रालोद और भाकियू को नजदीक आने का मौका दिया। दिल्ली हिंसा में मुकदमों में घिरे राकेश टिकैत के पास गुरुवार को सबसे पहला फोन अजित सिंह का आया। राकेश टिकैत ने ट्वीट करके कहा भी, अजित सिंह ने साथ दिया। वह हमेशा साथ देते हैं। मुजफ्फरनगर की महापंचायत में खुद अजित सिंह के पुत्र और चौधरी चरण सिंह के पौत्र जयंत चौधरी पहुंचे। उनके पहुंचने का असर यह हुआ कि पंचायत में एक स्वर से कहा गया...अजित सिंह को हराकर भारी भूल हुई। 

रालोद के टिकट पर अमरोहा से चुनाव लड़ चुके हैं राकेश टिकैत
मुजफ्फरनगर। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत रालोद में रह चुके हैं। वह 2014 में रालोद के टिकट पर अमरोहा से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन वह भाजपा के प्रत्याशी से बुरी तरह से पराजित हुए थे। राकेश टिकैत अमरोहा में मुख्य मुकाबले में भी नहीं रह पाए थे। अब एक बार फिर भाकियू को रालोद का साथ मिला है। इससे आने वाले पंचायत चुनावों व 2022 के चुनावों में वेस्ट यूपी के समीकरण प्रभावित भी हो सकते हैं।

गुलाम मोहम्मद के जयंत ने पैर छुए और नरेश टिकैत गले मिले
किसी समय चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की सभी पंचायतों का संचालन करने वाले गुलाम मोहम्मद जौला भी नरेश टिकैत के आह्वान पर महापंचायत में पहुंचे। उन्होंने मंच से अपने संबोधन में कहा कि मुजफ्फरनगर दंगे में बहुत लोग मारे गए। जो हुआ सो हुआ, अब गले मिलकर सारे शिकवे दूर करें। इस पर जयंत चौधरी ने गुलाम मोहम्मद जौला के पैर छुए और चौधरी नरेश टिकैत गले भी मिले। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद भाकियू से अलग होकर गुलाम मोहम्मद जौला ने अपना अलग संगठन भारतीय किसान मजदूर मंच बना लिया था।

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